कोरोना के इलाज में Vitamin-K वाली 'चीज' खाने से हो सकता है चमत्कार- रिसर्च
नई दिल्ली- कोरोना वायरस के इलाज की अभी तक कोई कारगर दवा नहीं बनी है। वैक्सीन को लेकर भी अभी तक कोई ठोस नतीजे सामने नहीं आए हैं। लेकिन, इस दौरान कु वैज्ञानिकों ने शोध करके यह संभावना जताई है कि अगर कोरोना के मरीजों के खाने में विटामिन-के की मात्रा बढ़ा दी जाय तो उन्हें बहुत ज्यादा फायदा मिल सकता है। यही नहीं, वैज्ञानिकों ने सामान्य लोगों को भी अपने भोजन में इस वक्त विटामिन-के की मात्रा बढ़ाने की सलाह दी है, क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है, बल्कि हर हाल में यह फायदा ही करेगा, क्योंकि इससे दूसरे अंगों के अलावा फेफेड़े मजबूत होते हैं।
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विटामिन-के खाइए, कोरोना को मार भगाइए
एक नई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जो मरीज नोवल कोरोना वायरस की वजह से बहुत ही ज्यादा गंभीर रूप से बीमार हुए हैं, उनके शरीर में विटामिन-के की कमी पाई गई है। इस आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कोविड-19 से बीमार हुए लोगों को खाने में विटामिन-के की मात्रा बढ़ा दी जाए तो वह जल्दी इस बीमारी को मात दे सकते हैं। यह रिसर्च नीदलैंड (डच) के Nijmegen शहर के एक अस्पताल में भर्ती मरीजों पर किया गया है, जिसके विश्लेषण के बाद वैज्ञानिक विटामिन-के को एक कारगार हथियार होने की संभावना जता रहे हैं। यह रिसर्च मार्च-अप्रैल के बीच उस अस्पताल में भर्ती हुए 134 मरीजों पर किया गया है। शोध को पुख्ता करने के लिए उन्हीं मरीजों के हमउम्र के 184 लोगों को भी निगरानी में रखा गया था, जिन्हें कोविड-19 की बीमारी नहीं थी।
फेफड़े की सुरक्षा में कारगर
रिसर्च ग्रुप में शामिल एक शोधकर्ता जोना वॉक के मुताबिक, कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों को वैसी कोई भी चीज खाने के लिए कहा गया, जिसमें विटामिन-के पाया जाता है। वॉक के मुताबिक वे चाहती थीं कि मरीज इस विटामिन को ज्यादा मात्रा में खाएं, ताकि उस प्रोटीन को सक्रिय किया जा सके जो फेफड़े की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं। इसके इलावा शोधकर्ता ये भी जानना चाह रहे थे कि कहीं इसका कोई साइड इफेक्ट तो नहीं देखने को मिलता है? बीते शुक्रवार को ही यह रिसर्च पेपर रिसर्च ग्रुप के साथियों के बीच समीक्षा के लिए भेजा गया है।
विटामिन-के और कोरोना वायरस के बीच संबंध
इस रिसर्च का एक मकसद मरीज के शरीर में इस विटामिन की कमी और उसमें नोवल कोरोना वायरस के गंभीर लक्षणों के बीच लिंक स्थापित करना था। गौरतलब है कि विटामिन-के उन प्रोटीन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है, जिससे ब्लड क्लॉटिंग नियंत्रित होता है। इसके इलावा यह फेफड़े की बीमारियों से भी रक्षा करता है। क्योंकि, कोविड-19 की वजह से खून का थक्का बनने लगता है और इसके चलते फेफेड़े का लचीला फाइबर क्षतिग्रस्त होने लगता है। इसी वजह से शोधकर्ताओं को विश्वास है कि अगर शरीर में विटामिन-के की सप्लाई बढ़ा दी जाए तो कोरोना वायरस पर जीत हासिल की जा सकती है। हालांकि, शोधकर्ता अभी इसके क्लिनिकल ट्रालय के लिए फंडिंग के जुगाड़ में लगे हैं, लेकिन उन्होंने लोगों से कहा है कि वह अपने खानपान में विटामिन-के की मात्रा बढ़ा दें।
कोई साइड इफेक्ट नहीं मिला,लेकिन एंटी-क्लॉटिंग दवा लेने वाले न खाएं
एक शोधकर्ता डॉक्टर रॉब जैनस्सेन का कहना है कि, अगर यह विटामिन कोरोना वायरस के मरीजों को ज्यादा लाभ नहीं भी पहुंचाता है तो भी यह हड्डियों, खून की नलियों और फेफेड़ों के लिए निश्चित तौर पर फायदेमंद ही रहेगा। उन्होंने ये भी कहा कि इस विटामिन को लेने से किसी साइड इफेक्ट का खतरा तो नहीं है, लेकिन उन मरीजों को यह विटामिन लेने से मना किया गया है, जो पहले से ही एंटी-क्लॉटिंग या खून को पतला करने वाली दवा खा रहे हैं। बाकी लोगों के लिए इसे खाने में कोई नुकसान नहीं है।
जापान के एक इलाके में विटामिन-के खाने वालों में हुआ चमत्कार
बता दें कि विटामिन-के पालक, अंडे और कुछ खास तरह की चीज या पनीर में प्रचूर मात्रा में मौजूद होता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक विटामिन-के दो तरह के होते हैं- K1 और K2. इनमें पालक, ब्रोकोली, ब्लूबेरीज, हरी सब्जियों और सभी तरह के फलों और सब्जियों में K1 प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। वैसे डच वैज्ञानिकों के मुताबिक, K2 को शरीर ज्यादा अच्छे तरीके से अवशोषित कर लेता है और यह ज्यादातर डच और फ्रेंच चीज में पाया जाता है। बता दें कि वैज्ञानिकों के मुताबिक जापानी खाने में एक डिश नट्टो का बहुत ही ज्यादा इस्तेमाल होता है, जो खमीरयुक्त सोयाबीन से बनी होती है। उसमें भी K2 बहुत ज्यादा मात्रा में उपलब्ध होता है। डॉक्टर रॉब जैनस्सेन का कहना है कि वह लंदन में एक जापानी वैज्ञानिक के साथ भी काम कर चुके हैं, जिन्होंने बताया है कि जापान के एक खास इलाके में जहां लोग नट्टो बड़े चाव से खाते हैं, वहां कोरोना वायरस से अबतक एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है।
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