भूकंंप के झटकों से हिला अंडमान, तीव्रता 4.5 रिक्टर स्केल
नई दिल्ली। बुधवार की सुबह देश के अलग-अलग हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि कि कहीं भी किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, महाराष्ट्र के पालघर और अंडमान में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। द्वीप समूह अंडमान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप की तीव्रता 4.5 मैग्नीट्यूड मापी गई। दूसरी तरफ कांगड़ा में भूकंप के झटके लगते ही लोगों में दहशत फैल गई। लोग अपने-अपने घरों से निकल कर बाहर आ गए और घंटों तक वापस जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। वहीं, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.5 मैग्नीट्यूड मापी गई।
भूकंंप का केंद्र कांगड़ा क्षेत्र में ही सतह से 5 किलोमीटर नीचे था। बता दें कि हिमाचल में बीते आठ दिन में तीसरी बार भूकंप आया है। इससे पहले, 5 फरवरी को चंबा और मंडी में भूकंप आया था। गौरतलब है कि भूकम्प को लेकर हिमाचल अतिसंवेदनशील जोन 4 व 5 में आता है। मंडी, शिमला और चंबा इन जोन में शामिल हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र के पालघर में बुधवार को भूकंप के झटके दर्ज किए गए।
Earthquake with a magnitude of 3.1 on the Richter Scale hit Palghar, Maharashtra at 10:44 am today.
— ANI (@ANI) February 13, 2019
Earthquake with a magnitude of 3.5 on the Richter scale hit Kangra, Himachal Pradesh today at 7:35 am.
— ANI (@ANI) February 13, 2019
रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.1 मापी गई। मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया, "पालघर के कई इलाकों में सुबह 10:44 बजे कुछ सेकंड तक झटके दर्ज किए गए।" आपको बता दें कि मंगलवार को बंगाल की खाड़ी में भूकंप आया था, जिसके झटके तमिलनाडु के कुछ इलाकों में भी महसूस किए गए थे। बंगाल की खाड़ी में भूकंप सुबह 7:02 बजे आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.1 मापी गई थी। भूकंप के झटके चेन्नई में भी महसूस किए गए, जिस कारण लोग दहशत में आ गए और अपने घरों से बाहर निकल आए थे।
क्यों आता है भूकंप
यह धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, जिन्हें इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट कहा जाता है। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं, जिन्हें टैक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, घूमती रहती हैं, खिसकती रहती हैं।
ये प्लेट्स अमूमन हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इस क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं।