भूकंप के तेज झटकों से हिला तिब्बत का झियांग क्षेत्र, भारत में भी महसूस किए गए झटके
नई दिल्ली। भारतीय सीमा से लगे तिब्बत के पूर्वी झियांग क्षेत्र में रविवार की दोपहर 2:20 बजे भूपंक के तेज झटके महसूस किए गए हैं। पड़ोसी देश तिब्बत में आए भूकंप के झटके इतनी तेज थे की आस-पास के काफी किलोमीटर तक महसूस किए गए। नई दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.1 मापी गई है, अभी तक इसके केंद्र का पता नहीं चल पाया है। हालांकि इस भूकंप से अभी तक जानलेवा नुकसान की खबर नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से भारतीय हिमालयी क्षेत्र के अलावा देशभर के अलग-अलग हिस्सों में लगातार भूकंप आ रहे हैं। शनिवार को ओडिशा और असम में एक ही दिन भूकंप आने से लोगों में दहशत फैल गई थी, इससे एक दिन पहले राजस्थान में भी भूकंप से धरती हिली थी। ओडिशा के बहरामपुर में रिक्टर स्केल पर 3.8 की तीव्रता से भूकंप आया था। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप शनिवार सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर आया। उस वक्त तक सभी लोग उठ चुके थे और डर से घरों के बाहर निकल पड़े। वहीं असम के सोनितपुर में उसी दिन तड़के 5:26 बजे का भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.5 थी। हालांकि, भूकंप के इस झटके में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
An earthquake with a magnitude of 4.1 on the Richter Scale hit Eastern Xizang-India Border Region today at 2:20 pm: National Center for Seismology (NCS) pic.twitter.com/bZG6z7W9VG
— ANI (@ANI) August 9, 2020
क्या
होता
है
भूकंप
और
क्यों
आती
है
यह
प्रलयकारी
आपदा
दरअसल
धरती
के
भीतर
कई
प्लेटें
होती
हैं
जो
समय-समय
पर
विस्थापित
होती
हैं।
इस
सिद्धांत
को
अंग्रेजी
में
प्लेट
टैक्टॉनिकक
और
हिंदी
में
प्लेट
विवर्तनिकी
कहते
हैं।
इस
सिद्धांत
के
अनुसार
पृथ्वी
की
ऊपरी
परत
लगभग
80
से
100
किलोमीटर
मोटी
होती
है
जिसे
स्थल
मंडल
कहते
हैं।
पृथ्वी
के
इस
भाग
में
कई
टुकड़ों
में
टूटी
हुई
प्लेटें
होती
हैं
जो
तैरती
रहती
हैं।
सामान्य
रूप
से
यह
प्लेटें
10-40
मिलिमीटर
प्रति
वर्ष
की
गति
से
गतिशील
रहती
हैं।
हालाँकि
इनमें
कुछ
की
गति
160
मिलिमीटर
प्रति
वर्ष
भी
होती
है।
जब
भी
यह
प्लेटें
गतिशील
होती
हैं
तो
यह
आपस
में
टकरती
हैं।
इन
प्लेटों
के
टकराने
से
ही
तरंगे
पैदा
होती
हैं।
यही
नहीं
इन्हीं
प्लेटों
के
एक-दूसरे
से
टकराने
के
बाद
यह
एक
दूसरे
के
उपर
चढ़ने
लगती
हैं
जिसके
परिणामस्वरूप
ज्वालामुखी
उत्पन्न
होता
है।
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