अमेरिका में अर्ली वोटिंग ने तोड़ा 2016 का रिकॉर्ड, अब तक 7 करोड़ वोटर डाल चुके वोट
वाशिंगटन। अमेरिका में 3 नवम्बर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential Election 2020) के लिए हो रही अर्ली वोटिंग ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अभी तक अर्ली वोटिंग में 7 करोड़ वोटर बैलट या मेल से अपना वोट डाल चुके हैं। इस तरह अभी तक की अर्ली वोटिंग में 2016 का रिकॉर्ड टूट गया है। अभी यह दोगुनी तक पहुंच सकती है क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव होने में अभी 6 दिन बाकी है। 2016 में अर्ली वोटिंग में कुल 5 करोड़ 70 लाख वोट पड़े थे।
इस तरह इस बार काफी पहले ही अर्ली वोटिंग ने रिकॉर्ड आंकड़ा पार कर लिया है। अभी तक की अर्ली वोटिंग में पिछली बार राष्ट्रपति चुनाव में कुल पड़े वोटों के आधे से अधिक वोट पड़ चुके हैं। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में 13.9 करोड़ वोट डाले गए थे। ऐसे में इस बार अर्ली वोटिंग में भारी मतदान ने और अधिक मतदान को लेकर उम्मीद जगा दी है। अर्ली वोटिंग की एक बड़ी वजह कोरोना वायरस महामारी को बताया जा रहा है जिसके मुताबिक लोग 3 नवम्बर के दिन भीड़ से बचने के लिए अर्ली वोटिंग में अपना मतदान कर रहे हैं।
अभी
बाइडेन
आगे
अर्ली
वोटिंग
में
अभी
तक
बाइडेन
को
फायदा
होता
ज्यादा
दिख
रहा
है।
रुझानों
से
पता
चलता
है
कि
अर्ली
वोटिंग
में
डेमोक्रेटिक
समर्थक
ज्यादा
है
जबकि
वोटिंग
के
दिन
वोट
करने
वालों
में
ट्रंप
समर्थक
ज्यादा
हैं।
अर्ली
वोटिंग
में
पड़े
वोटों
में
अभी
तक
52
प्रतिशत
बाइडेन
के
समर्थक
हैं
जबकि
26
प्रतिशत
रिपब्लिकन
समर्थक
हैं।
26
प्रतिशत
किसी
पार्टी
से
संबंद्धता
रखने
वाले
नहीं
हैं
जबकि
1
प्रतिशत
अस्पष्ट
हैं।
मेल
वोटिंग
की
बढ़ती
संख्या
के
चलते
इस
बार
काउंटिंग
में
देरी
होने
की
संभावना
है
जिसके
चलते
परिणाम
में
देरी
हो
सकती
है।
क्या
है
अर्ली
वोटिंग?
अमेरिका
में
हर
बार
राष्ट्रपति
चुनाव
के
लिए
नवम्बर
के
पहले
मंगलवार
को
वोट
डाले
जाते
हैं।
इस
बार
यह
दिन
3
नवम्बर
को
पड़
रहा
है।
कई
अमेरिकी
राज्य
इस
तारीख
के
पहले
लोगों
को
अपना
वोट
डालने
की
सुविधा
देते
हैं।
इसे
ही
अर्ली
वोटिंग
कहा
जाता
है।
इसका
मकसद
ऐसे
लोगों
का
भी
वोट
कास्ट
करवा
सकना
होता
है
जो
किसी
कारण
से
उस
दिन
वोट
नहीं
दे
सकते
हैं।
इस
प्रक्रिया
के
तहत
अधिक
से
अधिक
वोटिंग
करवाना
भी
मकसद
होता
है।
मतदान
के
लिए
मतदान
केंद्रों
पर
अधिक
भीड़
न
हो
इस
वजह
से
भी
इसे
कराया
जाता
है।
इस
बार
कोरोना
के
चलते
लोग
सोशल
डिस्टेंसिंग
का
पालन
कर
रहे
हैं।
अधिक
अर्ली
वोटिंग
की
ये
भी
एक
वजह
है।
लोग
चाह
रहे
हैं
कि
मतदान
वाले
दिन
से
पहले
ही
वोट
डाल
लिया
जाए
ताकि
उस
दिन
भीड़
से
बचा
जा
सके।
अर्ली
वोटिंग
को
बढ़ावा
देने
के
लिए
प्रशासन
भी
कई
सारे
प्रोग्राम
का
सहारा
ले
रहा
है।
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