एस जयशंकर बोले- चीन के साथ अच्छे रिश्ते खराब दौर में, 5 बार LAC की परिभाषा बदल चुका है पड़ोसी
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन के रिश्तों पर बड़ा बयान दिया है। लोवी इंस्टीट्यूट की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के लिए किए गए समझौतों को मान ही नहीं रहा है। यही मुद्दा एलएसी पर बरकरार संकट को सुलझाने के लिए दोनों देशों के लिए एक बड़ा विषय बन गया है। जयशंकर ने यह भी कहा कि एलएसी पर मौजूद संकट के बाद भी कम्यूनिकेशन कभी कोई समस्या नहीं था। जयशंकर का बयान इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि उन्हें चीन से जुड़े मसलों का विशेषज्ञ माना जाता है।
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चीन ने तोड़ा हर समझौता
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि बॉर्डर पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए किए गए कई समझौतों के बाद भी चीन ने अपनी तरफ कई हजारों जवानों को तैनात कर दिया और यह पूरी तरह से समझौतों का उल्लंघन था। विदेश मंत्री ने चीन को याद दिलाया कि एलएसी पर दोनों पक्ष बड़ी संख्या में सेना को तैनात नहीं करेंगे। जयशंक के मुताबिक चीन हर बार इसके पीछे कोई नई वजह बता देता था। लेकिन हकीकत में अब रिश्ते बहुत ही खराब दौर में हैं। उनका इशारा एलएसी पर चीन की तरफ से तैनात भारी लाव-लश्कर की तरफ था। मंत्री ने खासतौर पर कहा कि रिश्ते अब बहुत बिगड़ चुके हैं। अब इन्हें वापस पटरी पर लाना एक बड़ा मुद्दा होगा। डॉक्टर एस जयशंकर ने बताया कि सन् 1975 के बाद से पहली बार चीन बॉर्डर पर जवान शहीद हुए। भारत ने अपने 20 सैनिकों को खो दिया। यहां से राष्ट्रीय स्तर पर संवेदनाएं भी बदल गईं।
हर बार LAC की नई परिभाषा
इस वर्ष मई से ही पूर्वी लद्दाख में तनाव की स्थिति है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि करीब तीन दशक बाद कई उतार-चढ़ाव के बाद भी रिश्ते एक सकारात्मक दिशा की तरफ बढ़ रहे थे। 30 साल पहले तक दोनों देशो के बीच व्यापार न के बराबर था लेकिन अब चीन, भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बन गया है। उन्होंने इसका जिक्र भी किया कि एलएसी पर मौजूद संकट की वजह से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्ते दांव पर लगे हैं। इस वर्ष सितंबर में रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन से अलग जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग वाई से मुलाकात की थी। इस मीटिंग में एलएसी पर संकट को सुलझाने के विकल्पों पर चर्चा हुई थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि साल 1993 के बाद से कई समझौते हुए हैं लेकिन अब तक पता नहीं क्यों चीन की तरफ से पांच बार एलएसी की अलग-अलग परिभाषाएं दी जा चुकी हैं। उन्होंने फिर दोहराया की चीन ने हर समझौते का उल्लंघन किया है।