दुष्यंत चौटाला: हरियाणा की खट्टर सरकार में बने रहना मजबूरी या ज़रूरी?
किसानों के रोष के चलते हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की करनाल की रैली रद्द होने पर और करीब 900 लोगों पर मामला दर्ज़ होने पर राज्य में बड़ी हलचल होनी शुरू हो गई है.
किसानों के रोष के चलते हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की करनाल की रैली रद्द होने पर और करीब 900 लोगों पर मामला दर्ज़ होने पर राज्य में बड़ी हलचल होनी शुरू हो गई है.
एक तरफ इंडियन नेशनल लोक दल के नेता अभय चौटाला ने अपना कंडीशनल (सशर्त) त्याग पत्र विधान सभा अध्यक्ष को भेज दिया है वहीं दूसरी तरफ जननायक जनता पार्टी (जजपा) के सभी विधायक और सीनियर नेता दिल्ली केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के रास्ते में हैं.
बीबीसी से बात करते हुए जजपा के हरियाणा प्रधान निशान सिंह ने कहा कि उनकी मीटिंग का एजेंडा एक ही रहेगा कि किसान आंदोलन के चलते मामला सेंसिटिव होता जा रहा हैं और केंद्र सरकार उसको इस तरीके से आगे से डील करे ताकि किसानों में और ज्यादा रोष उत्पन्न ना हो.
उन्होंने कहा, "हम सरकार को वस्तुस्थिति बताने जा रहे हैं और आशा है कि किसानों का हल जल्दी ही निकलेगा."
ये पूछे जाने पर कि क्या दुष्यंत चौटाला इस्तीफ़ा देंगे जैसे कि किसानों कि माँग हैं, तो निशान सिंह ने कहा कि दुष्यंत अपना काम कर रहे हैं और दुष्यंत का सम्बन्ध एक राज्य से हैं और किसानों की बिल की माँग केंद्र सरकार से हैं. निशान सिंह ने बीजेपी से हरियाणा में समर्थन वापिस लेने से मना कर दिया.
दुष्यंत पर परिवार की राजनीति का आरोप
डॉक्टर सिक्किम नैन जो कि जजपा पार्टी की उचाना हल्का से अध्यक्ष पद से प्रधान पद से त्याग पत्र दे चुकी हैं, का कहना है कि उन्होंने दुष्यंत चौटाला के अंदर चौधरी देवी लाल वाली बात देखी थी इसीलिए उचाना विधान सभा क्षेत्र से दुष्यंत चौटाला के लिए जी जान लगा दी थी.
सिक्किम नैन ने कहा, "हम सबने अपना पूरा ज़ोर लगा दिया था दुष्यंत चौटाला को मनाने के लिए कि वो भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लें और किसानों के समर्थन में उतर जाएं. लेकिन दुष्यंत ने हमें नीचे देखने पर मजबूर कर दिया और गाँव वालों ने भी उनकी पार्टी को छोड़ दिया."
सिक्किम ने बताया कि अब वो पूरे ज़ोर से किसान आंदोलन के समर्थन में हैं और कुछ दिन पहले दुष्यंत चौटाला के उचाना हलके में होने वाले प्रोग्राम को भी विफल बनाने में साथ दिया था.
सिक्किम ने सवाल उठाया, "जब मुझे और गाँव वालों को ये लगा कि दुष्यंत ने सिर्फ अपने परिवार तक ही राजनीति को सिमटा लिया हैं ताकि अजय चौटाला जेल से बाहर रहें और पावर का वो अकेले फायदा उठाते रहें तब हम सबने जजपा को छोड़ दिया."
यहाँ यह बताना भी ज़रूरी हैं कि जब जजपा ने भाजपा को समर्थन देकर हरियाणा में सरकार बनाई थी तब अजय चौटाला जो जेल में सज़ा काट रहे थे उन्होंने भी दुष्यंत की शपथ समारोह में भाग लिया था. सज़ायाफ्ता अजय चौटाला को रातों रात जेल से बाहर देखकर लोगों ने सवाल उठाए थे कैसे जजपा के भाजपा को समर्थन के तुरंत बाद रातों रात अजय जेल से बाहर आ गए.
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बीजेपी से समर्थन वापस लेने का दबाव
जजपा ने भाजपा के समर्थन और अजय चौटाला के बाहर आने को लेकर सवालों पर कहा था दोनों में कोई संबंध नहीं हैं.
टोहाना हलके से जजपा के विधायक देविंदर बबली जो कुछ समय पहले तक सरकार के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठाते रहे हैं, ने किसान आंदोलन के संदर्भ में कहा कि उनको बहुत पीड़ा है कि किसान आंदोलन के चलते इतने सारे किसान ठंड में बाहर बैठे है.
उन्होंने कहा, "किसानों के बगैर कोई चुनाव नहीं जीत सकता. मैं भी नहीं. हमारी पार्टी की मीटिंग में हमने किसानों की समस्या के हल के लिए पूरी ताकत के साथ आवाज़ उठाई थी और अब तीसरी बार केंद्रीय नेतृत्व से आज मंगलवार को मिलने का समय भी लिया हुआ है. आज भी हम अपनी आवाज़ केंद्र तक पहुंचेंगे का काम करेंगे."
ये पूछे जाने पर कि किसान चाहते है कि दुष्यंत चौटाला को भाजपा से समर्थन वापस ले लेना चाहिए तो बबली ने कहा कि दुष्यंत अपना काम कर रहे हैं, ये मामला केंद्र सरकार का है.
उन्होंने कहा, "कुछ सियासी लोग किसानों के अंदर घुस कर इस तरह की माँग को उठवा रहे है. जजपा किसानों की पार्टी है और उनके हक़ के लिए सदा खड़ी मिलेगी."
जजपा पार्टी के एक सीनियर नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उनकी पार्टी ने किसानों के मुद्दे पर अपना स्टैंड बार-बार बदला है और इस बात को पार्टी मुखिया के सामने कई बार लाया गया है कि गाँव, हलका स्तर पर उसका काफी विरोध भी हो रहा है अब तो कई गांव में ऐसे बोर्ड भी लगा दिए गए है जिसमे भाजपा और जजपा के नेताओ की एंट्री पर बैन भी लगा दिया गया है.
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चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने अपना समर्थन भाजपा-जजपा सरकार से वापस लेकर किसान आंदोलन को समर्थन दिया था.
उनका मानना है कि शायद जजपा और उसके नेता दुष्यंत चौटाला को ये लग रहा होगा कि समय के साथ लोग इस बात को भूल जाएंगे और वो अपने हाथ आए राज को तब तक क्यों हाथ से जाने दे.
सांगवान कहते हैं, "पंजाब के किसानों ने इस आंदोलन की अगुवाई की और हरियाणा के किसानों ने उसका समर्थन दिया. आज हरियाणा का बच्चा बच्चा किसान आंदोलन के समर्थन में है और जो लोग सरकार में बैठकर कभी इनके लिए सड़को पर गड्ढे खुदवाते है, कभी पुलिस के द्वारा आँसू गैस और पानी की बौछार करवाते है उनका इस बात का पता होना चाहिए कि ये इतिहास लिखा जा रहा है और लोग इसको कभी नहीं भूलेंगे."
देवीलाल के पौत्र और इंडियन नेशनल लोक दल के विधायक अभय चौटाला ने दुष्यंत चौटाला पर इलज़ाम लगाया कि सत्ता में बैठकर कुर्सी के सुख भोगने तक अपने आपको सीमित करने वाले अपने आपको देवीलाल के वारिस कहकर लोगों का पहले वोट लेते है और फिर जब किसानों को उनकी ज़रूरत है तो मुँह फेर लेते है.
उन्होंने कहा,"आज मैंने विधान सभा अध्यक्ष को एक चिट्ठी लिखी है कि अगर किसानों की समस्या का हल अगर 26 जनवरी तक नहीं हो जाता तो अगले दिन उनका त्याग पत्र स्वीकार कर लिया जाए."
अभय ने कहा कि दुष्यंत ने ऐसा पहली बार नहीं किया जब जनभावनाओं को ठेस पहुँचाई है, एक साल पहले भाजपा के ख़िलाफ़ वोट लेकर भाजपा के हाथों की कठपुतली बनकर कुर्सी पर बैठ गया और आज फिर जन भावना के विपरीत कुर्सी के लालच के लिए भाजपा का साथ देना यही दर्शाता है.
"अगर वो अपने आप को देवी लाल का असली वारिस कहता है तो लोगों के पक्ष में आकर खड़ा हो क्योंकि चौधरी देवी लाल ने लोगों की भावनाओं के लिए बड़े बड़े पदों को भी लात मार दी थी."
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पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपिंदर सिंह हुडा जो कि सदन में विपक्ष के नेता भी हैं, ने कहा कि उन्होंने तो जजपा की असलियत शुरू से ही लोगों के सामने ला दी थी. "जिस दिन इन्होंने भाजपा की सरकार हरियाणा में बनवायी उसी दिन मैंने कहा था वोट किसी की और सपोर्ट किसी को."
हूडा ने कहा कि कुर्सी के लालच के लिए दुष्यंत चौटाला का किसानों को समर्थन ना देना ही एक कारण है कि ये सरकार अभी तक बची हुई है.
हूडा ने दावा किया, "लेकिन जिस दिन भी सदन लगेगा मैं अविश्वास प्रस्ताव लेकर आऊंगा उस दिन पता लग जाएगा कौन किसान के समर्थन में है और कौन किसान के खिलाफ खड़ा है."
पूरी स्थिति का आंकलन करते हुए, हरियाणा की राजनीति पर 'पॉलिटिक्स ऑफ़ चौधर' के लेखक डॉक्टर सतीश त्यागी कहते हैं कि किसानों के भारी विरोध के बावजूद भी हरियाणा में गठबंधन सरकार धड़ल्ले से चल रही है क्योंकि दुष्यंत चौटाला को कल की राजनीति के बजाय आज को देखकर फैसले ले रहे है.
एक तो अभी सरकार को चार साल बचे हुए है और दूसरा दुष्यंत वही कर रहे हैं जो हरियाणा में पहले होता आया है.
चौधरी देवी लाल ने भी जन संघ का साथ दिया था. वो भी जन संघ को जानते थे पर साथ दिया था. बंसी लाल ने भी जब अपनी पार्टी बनाई तो भाजपा को साथ दिया था और भजन लाल ने भी अपनी पार्टी बनाई तो भी भाजपा के साथ गुरेज नहीं किया. जिसके चलते भाजपा हरियाणा में एक छोटी-मोटी पार्टी से एक महाशक्ति बन कर उभर गई.
डॉक्टर त्यागी ने कहा, "शायद दुष्यंत भी वही कर रहा है कि चार साल में जब चुनाव आएँगे तो जैसे पहले लोग माफ़ करते आए है आगे भी माफ़ कर देंगे और कोई और नया मुद्दा लोगों के दिमाग पर हावी होगा."