हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों को नो-एंट्री ज़ोन घोषित किया, आयोजकों के अलावा नहीं मिलेगी किसी को एंट्री
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों को नो-एंट्री ज़ोन घोषित किया गया,आयोजकों केअलावा नहीं मिलेगी किसी को एंट्री:हाई कोर्ट
कोलकाता। पश्चिम बंगाल का प्रमुख त्योहार दुर्गा पूजा इस बार कोरोना के चलते थोड़ा फीका नजर आ रहा है। नवरात्रि के पहले दिन से दुर्गा पूजा पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने पूजा-अर्चना करने वाले भक्त इस बार मायूस हैं क्योंकि प्रदेश सरकार ने पूजा पंडालों को लगाने की तो अनुमति प्रदान की थी लेकिन एक निश्चित संख्या में ही लोगों को इन पंडालों में रहने की अनुमति प्रदान की थी। वहीं सोमवार को कोलकाता हाई कोर्ट में दुर्गा पूजा पंडालों ने पश्चिम बंगाल में नो-एंट्री ज़ोन घोषित कर दिया है। कोर्ट के इस आदेश के अनुसार अब केवल पंडालों में केवल आयोजक ही प्रवेश कर सकते हैं।
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कोलकोता उच्च न्यायालय ने सोमवार को आदेश दिया कि दुर्गा पूजा पंडाल आगंतुकों के लिए नो-एंट्री ज़ोन होंगे। बंगाल के सबसे बड़े त्योहार आरंभ होने के तीन दिन बाद कोर्ट ने आदेश जारी किया है। कोर्ट के इस आदेश के अनुसार पंडालों के अंदर केवल आयोजकों को अनुमति दी जाएगी, अदालत ने कहा, कोरोनोवायरस प्रकोप को देखते हुए बड़े पंडालों के लिए संख्या 25 और छोटे लोगों के लिए 15 को सीमित कर दिया गया है।
कोलकाता अदालत ने कहा कि सभी पंडालों को अपने प्रवेश द्वार पर बैरिकेड्स लगाने होंगे - यह दूरी छोटे पंडालों के लिए पांच मीटर है और बड़े पंडालों के लिए दोगुनी है। उच्च न्यायालय ने कहा कि कोलकाता में शहर के 3000 से अधिक पंडालों में लोगों की भीड़ के लिए पर्याप्त पुलिसकर्मी नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि कोरोना को ध्यान में रखते हुए ये निर्णय लिया गया है।
बता दें नवरात्रि के मौके पर सबसे अधिक रौनक पश्चिम बंगाल में दिखाई देती है लेकिन कोरोना वायरस महामारी के चलते इस बार की दुर्गा पूजा में लोगों की कम संख्या देखने मिल रही है, हालांकि महामारी काल में भी इस त्योहार को लेकर उत्साह कम नहीं हुआ है, राज्य में कई जगह दुर्गा पूजा पंडाल लगाए गए जिनका उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया था। सीएम ने यह भी कहा कि पूजा पंडालों के पास ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जाना चाहिए, इससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है।
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