सचिन पायलट ने रख दी थी एक ऐसी मांग, जिसे मानना हाईकमान के लिए था नामुमकिन
सचिन पायलट ने कांग्रेस के सामने तीन ऐसी मांगें रखी थीं, जिन्हें पूरा करना आसान नहीं था।
नई दिल्ली। राजस्थान में दो दिन तक चली सियासी खींचतान के बाद आखिरकार कांग्रेस ने सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पद से हटा दिया है। इससे पहले सोमवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दफ्तर से बयान जारी करते हुए कहा गया था कि सचिन पायलट हमेशा उनके दिल में हैं और पार्टी की तरफ से उन्हें वापस लाने की कोशिशें जारी हैं। मंगलवार को जयपुर के फेयरमोंट होटल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई, जिसके बाद सचिन पायलट को लेकर पार्टी ने ये बड़ा फैसला ले लिया। इस मामले में कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने बताया कि सचिन पायलट ने पार्टी के सामने तीन ऐसी मांगें रखी थीं, जिन्हें पूरा करना आसान नहीं था।
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क्या थी सचिन पायलट की पहली मांग
HT की खबर के मुताबिक, सचिन पायलट ने कांग्रेस नेतृत्व के सामने पहली मांग ये रखी कि 2022 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, 'सचिन पायलट सार्वजनिक तौर पर पार्टी से ये वायदा चाहते थे कि कांग्रेस चुनाव के साल से ठीक पहले सीएम के चेहरे के तौर पर उन्हें आगे करेगी।'
ये थी सचिन की दूसरी मांग
सचिन पायलट की दूसरी मांग यह थी कि पार्टी के जिन विधायकों ने विद्रोह में उनका साथ दिया है, यानी पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और बाकी अन्य विधायक, उन सभी को खास पद दिए जाएं। इसका मतलब यह नहीं था कि सभी विधायकों को मंत्री बनाया जाए, लेकिन सचिन पायलट ने उनके लिए ईनाम के तौर पर दूसरे पदों की मांग की। उदाहरण के तौर पर उन्हें निगमों या दूसरे निकायों का अध्यक्ष बनाया जाए।
और ये थी फाइनल मांग
तीसरी और अंतिम मांग जो सचिन पायलट ने कांग्रेस नेतृत्व के सामने रखी, वो ये थी कि पार्टी महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे को उनके पद से हटाया जाए। सचिन पायलट का मानना है कि अविनाश पांडे का झुकाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ है, और इसलिए उन्हें लगता है कि हालात तभी सामान्य हो सकते हैं, जब किसी अन्य नेता को उनके स्थान पर लाया जाए।
'ये ब्लैकमेलिंग थी, हम पूरा करते तो गलत मैसेज जाता'
कांग्रेस के इस नेता ने बताया, 'हम लोगों ने वास्तव में कोशिश की, कि सचिन पायलट वापस पार्टी में लौटें, लेकिन हम उनकी शर्तें मंजूर नहीं कर सकते थे, क्योंकि ये ब्लैकमेलिंग थी। अगर बाकी राज्य भी इस तरह की शर्तें लगानी शुरू कर दें तो क्या होगा?' वहीं कांग्रेस के इस तर्क पर सचिन पायलट के एक समर्थक नेता ने कहा कि कांग्रेस बाकी राज्यों में सत्ता में ही कहा है, जो उन्हें इस बात का डर है?
'फैसले से कोई खुश नहीं, लेकिन वो सौदेबाजी कर चुके हैं'
वहीं, इससे पहले मंगलवार को जयपुर के होटल फेयरमोंट में हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि सचिन पायलट को विद्रोह के चलते पार्टी से बाहर निकाला जाए। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि बैठक में 102 विधायक मौजूद थे। सचिन पायलट पर फैसला लिए जाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस फैसले से कोई खुश नहीं है, लेकिन इन लोगों की भारतीय जनता पार्टी से सौदेबाजी हो चुकी है, जिसके चलते हमें ये फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। गहलोत ने कहा कि सचिन पायलट के हाथ में कुछ नहीं है, इस पूरे खेल के पीछे भाजपा है।
अशोक गहलोत के पास कितने विधायक?
आपको बता दें कि रविवार देर रात सचिन पायलट ने पार्टी से बगावत करते हुए दावा किया कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है और राजस्थान सरकार अल्पमत में है। हालांकि कांग्रेस ने सचिन पायलट के दावे पर सोमवार को जवाब देते हुए कहा कि उनके साथ केवल 16 विधायक हैं। इसके बाद शाम होते-होते कांग्रेस की तरफ से बयान आया कि केवल 10 से 12 विधायक ही सचिन पायलट के साथ हैं। वहीं, कांग्रेस का यह भी कहना है कि अशोक गहलोत सरकार पूरी तरह सुरक्षित है और उनके पास 107 विधायकों का समर्थन है।
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