आने वाले दिनों में और भी खराब हो सकती है दिल्ली की हवा, पराली जलाने की घटनाओं में हुई वृ्द्धि
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता मंगलवार सुबह "मध्यम" श्रेणी में दर्ज की गई थी, लेकिन आने वाले दिनों में पंजाब, हरियाणा और पड़ोसी सीमा क्षेत्रों में खेत की आग में स्पाइक के कारण इसके खराब होने की संभावना है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वायु गुणवत्ता मॉनिटर, SAFAR, ने कहा कि शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बुधवार और गुरुवार को "मध्यम" श्रेणी में रहेगा और इसके बाद बिगड़ना शुरू हो जाएगा। शहर ने सुबह 10.30 बजे 177 का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) दर्ज किया, जो "मध्यम" श्रेणी में आता है।
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सफर ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में खेतों में पराली जलाने की घटना में वृद्धि देखी गई है। वायु की दिशा प्रदूषकों के प्रसार के लिए अनुकूल है और आने वाले दिनों में दिल्ली पर ये अपना असर दिखाना शुरू करेंगे। इसके अलावा, दिल्ली में न्यूनतम तापमान में भी गिरावट देखी गई है। मंगलवार को यह सामान्य से तीन डिग्री कम, 18.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। कम तापमान और हवा स्थिर होने से प्रदूषक तत्वों का संचय होता है, जो वायु गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
सोमवार को, 24-घंटे की औसत AQI 179 थी। आपको बता दें कि 0 और 50 के बीच एक AQI को 'अच्छा', 51 और 100 'संतोषजनक', 101 और 200 'मध्यम', 201 और 300 'ख़राब', 301 और 400 'बहुत ख़राब', और 401 और 500′ गंभीर ' माना जाता है।
एक टन पराली जलाने पर दो किलो सल्फर डाईऑक्साइड निकलती हैं
एक अनुमान है कि हर साल अकेले पंजाब और हरियाणा के खेतों में कुल तीन करोड़ 50 लाख टन पराली जलाई जाती है। एक टन पराली जलाने पर दो किलो सल्फर डाईऑक्साइड, तीन किलो ठोस कण, 60 किलो कार्बन मोनोऑक्साइड, 1460 किलो कार्बन डाईऑक्साइड और 199 किलो राख निकलती हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब कई करोड़ टन अवशेष जलते हैं तो वायुमंडल की कितनी दुर्गति होती होगी। हानिकारक गैसों एवं सूक्ष्म कणों से परेशान दिल्ली वालों के फेफड़ों को कुछ महीने हरियाली से उपजे प्रदूषण से भी जूझना पड़ता है।