अमित शाह की इस रणनीति की बदौलत बीजेपी ने जीता यूपी
एक्जिट पोल के अनुमानों के अनुसार उत्तर प्रदेश में जहां भाजपा का परचम लहराने जा रहा है तो 2009 में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस की सीटें अंगुलियों की गिनती तक सिमटी नजर आ रही है।
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पिछले साल मई में जब नरेंद्र मोदी के करीबी यूपी का प्रभारी महासचिव बनाया गया था, तब उनके लिए गुटों में बटी पार्टी को एकजुट करने की चुनौती थी। इसके साथ ही मोदी को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने के लिए राज्य से पार्टी को कम-से-कम 40 सीटें जिताने का लक्ष्य दिया गया था, जो 2009 में भाजपा को मिली 10 सीटों से चार गुना अधिक था।
शाह ने न सिर्फ यूपी के गांव-गांव में जमीनी कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी की, बल्कि गुटबाजी में संलिप्त राज्य के वरिष्ठ नेताओं को बिना किसी शोरशराबे के किनारे कर दिया। हालत यह है कि सभी एक्जिट पोल उत्तर प्रदेश में भाजपा को 50 से अधिक सीट जीतने का अनुमान लगा रहे हैं।
दूसरी
ओर,
कांग्रेस
ने
भी
केरल
और
कर्नाटक
में
कांग्रेस
का
परचम
लहराने
में
सफल
रहे
मधुसूदन
मिस्त्री
को
यूपी
की
जिम्मेदारी
सौंप
दी।
उम्मीद
की
जा
रही
थी
कि
मिस्त्री
कम-से-कम
कांग्रेस
2009
के
21
सीटें
जीतने
के
प्रदर्शन
को
बरकरार
रखने
में
सफल
होंगे।
लखनऊ पहुंचकर मिस्त्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की कोशिश की। राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में आगे रहे, कार पर चढ़कर नारेबाजी की, कुर्ता भी फड़वाया, लेकिन चुनाव आते-आते मिस्त्री को अपनी काबिलियत की सीमाओं का अहसास होने लगा।
यही कारण है कि उन्होंने मोदी के खिलाफ वड़ोदरा से ताल ठोंक कर उत्तरप्रदेश से ससम्मान बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ़ लिया। वड़ोदरा में मिस्त्री पोल पर चढ़कर मोदी के पोस्टर पर अपना पोस्टर लगाने में चर्चा में आने की कोशिश भी की, लेकिन उसके बाद वे नेपथ्य में कहीं गुम हो गए।