16,000 फीट पर हुआ DRDO के Made in India ड्रोन रूस्तम-2 का टेस्ट
नई दिल्ली। शुक्रवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी तकनीक पर आधारित ड्रोन रूस्तम 2 को फ्लाइट टेस्ट किया है। पिछले काफी समय से इस प्रोग्राम को कुछ समस्याओं की वजह से टालना पड़ रहा था। लेकिन अब डीआरडीओ ने उन तमाम बाधाओं को दूर करके इसका सफल परीक्षण कर डाला है। रूस्तम ड्रोन का परीक्षण ऐसे समय में हुआ है जब पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ टकराव जारी है।
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8 घंटे की फ्लाइट के बाद भी बचा था फ्यूल
रूस्तम को कई विभिन्न प्रकार के उपकरणों से लैस किया गया है जिसमें एक सिंथेटिक ऐपर्चर रडार, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलीजेंस सिस्टम और स्थिति के हिसाब से अलर्ट करने वाला सिचुएशनल अवेयरनेस सिस्टम भी है। यह ड्रोन आठ घंटे तक उड़ सकता है। शुक्रवार को जो टेस्ट हुआ है उसके तहत कर्नाटक के चित्रदुर्गा में 16,000 फीट की ऊंचाई पर इसने आठ घंटे तक सफल उड़ान भरी। लेकिन इस वर्ष कि अंत यह 26,000 फीट की ऊंचाई पर टेस्ट किया जाएगा और उस समय इसे 18 घंटे तक हवा में रहना होगा। आठ घंटे तक उड़ान के बाद भी शुक्रवार को इसमें एक घंटे की उड़ान का ईधन बचा हुआ था। डीआरडीओ को उम्मीद है कि रूस्तम 2 सर्विलांस ड्रोन, इजरायली ड्रोन हेरॉन को टक्कर देगा। हेरॉन ड्रोन का प्रयोग वायुसेना और नौसेना कर रही हैं। रूस्तम 2 प्रोग्राम को ऐसे समय में आगे बढ़ाया गया है जब पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) लद्दाख में एलएसी पर डटी पड़ी है। फिलहाल रूस्तम-2 को कुछ परीक्षणों और यूजर ट्रायल से गुजरना होगा और इसके बाद इसे सेनाओं में जगह मिलेगी।
इजरायल का हेरॉन हो रहा है अपग्रेड
इस बीच रक्षा मंत्रालय, इजरायल के ड्रोन हेरॉन को अपग्रेड करने का अनुरोध कर चुका है। हेरॉन ड्रोन को हवा से जमीन तक हमला करने वाली मिसाइल और लेसर गाइडेड बमों से लैस किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो भारत के पास इस समय चीन के पास मौजूद ड्रोन टेक्नोलॉजी और सर्विलांस ड्रोन क्षमता का कोई मुकाबला नहीं है। लद्दाख में इस समय पीएलए ने भारी तादाद में मानवरहित क्षमताओं से लैस उपकरण एलएसी पर तैनात कर रखे हैं। भारत ने इजरायल से अनुरोध किया है कि वह हेरॉन मध्यम रेंज वाले ड्रोन को अपग्रेड कर दे। हेरॉन का प्रयोग इस समय सेनाएं कर रही हैं। भारत ने इसकी सर्विलांस क्षमता को बढ़ाने के लिए कम्यूनिकेशन लिंक्स को अपग्रेड करने के लिए कहा है। वर्तमान समय में हेरॉन ड्रोन को सैटेलाइट से लिंक करना थोड़ा मुश्किल है। अपग्रेडेशन के दौरान हेरॉन को सैटेलाइट पैकेज के साथ फिट किया जाएगा। ताकि ड्रोन सैटेलाइट के साथ संपर्क कायम कर जानकारी को रियल टाइम बेसिस पर भेज सकेगा। इस अपग्रेड के बाद हेरॉन बिना किसी रूकावट या फिर संपर्क खोने के डर के बिना सर्विलांस को अंजाम दे सकेगा। हेरॉन अपग्रेड प्रोग्राम को पिछले माह रक्षा मंत्रालय की तरफ से अनुमति दी गई है।