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DRDO ने जवानों के लिए तैयार की पहली स्वदेशी पिस्टल, इजराइल की Uzi गन को देगी टक्कर

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India's First Indigenous Machine Pistol: पिछले 8 महीनों से लद्दाख में चीन के साथ भारत का सीमा विवाद जारी है। इसके अलावा पाकिस्तान भी एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिए आतंकी साजिशों को अंजाम देने की फिराक में लगा रहता है। दो दुश्मनों की वजह से भारत लगातार अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है। साथ ही सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा आधुनिक हथियार भारत में बनें और उनका इस्तेमाल सुरक्षाबल करें। सरकार के इस प्रोजेक्ट पर DRDO भी तेजी से काम कर रहा है। अब उसने भारतीय बलों के लिए एक खास आधुनिक हथियार तैयार किया है।

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9MM की है पिस्टल

9MM की है पिस्टल

दरअसल भारतीय सेना ने इनोवेशन डिस्प्ले इवेंट नाम से एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। जिसमें DRDO ने बुधवार को एक आधुनिक पिस्टल का प्रदर्शन किया, जिसका नाम ASMI है। ये हथियार पूरी तरह से भारत में ही विकसित किया गया है। अभी तक सैन्य बल 9MM की पिस्टल का इस्तेमाल करते थे। उसकी जगह पर इसे काफी कारगर हथियार माना जा रहा है। ये ऑटोमैटिक पिस्टल आकार में भी ज्यादा बड़ी नहीं है, जिस वजह से ऑपरेशन के दौरान जवान आसानी से इसको ले जा सकते हैं।

100 मीटर है रेंज

100 मीटर है रेंज

DRDO के मुताबिक उन्होंने सैन्य बलों के ऑपरेशन को ध्यान में रखते हुए इस पिस्टल का निर्माण किया गया है। ये आसानी से 100 मीटर तक अपने निशाने को भेद सकती है। ये इजरायल की Uzi सीरीज की गन की श्रेणी में आती है। सैन्य बलों को ये जल्द से जल्द इस्तेमाल के लिए मिल सके, इसके लिए इसका ट्रायल भी तेजी से जारी है। DRDO के अधिकारियों ने बताया कि पिछले 4 महीने में इस पिस्टल से 300 राउंड से ज्यादा फायर किए गए। अभी तक ये सभी पैमानों पर खरी उतरी है।

हाल ही में तैयार की थी कार्बाइन

हाल ही में तैयार की थी कार्बाइन

हाल ही में डीआरडीओ ने एक खास कार्बाइन मशीन गन तैयार की थी। ये गन एक मिनट में 700 राउंड फायर कर सकती है। इसका ट्रायल भी पूरा हो गया है। ऐसे में ये हाईटेक उपकरण भारतीय सेना के उपयोग के लिए तैयार है। सेना के अलावा सीआरपीएफ, बीएसएफ समेत अन्य बल भी इसका प्रयोग कर सकते हैं। अभी तक सेना 9 एमएम कार्बाइन मशीनगन का इस्तेमाल कर रही है। उसकी जगह पर ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन कम रेंज के ऑपरेशन्स के लिए एक खास विकल्प है। ये गन छोटी होती है, ऐसे में ऑपरेशन के दौरान सैनिक इसे आसानी से संभाल सकते हैं। अगर वजन की बात करें तो ये इतनी हल्की है कि कोई भी जवान एक हाथ में इसे लेकर फायरिंग कर सकता है।

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English summary
drdo First Indigenous Machine ASMI Pistol in Army innovation display
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