दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला, दूर के रिश्तेदारों पर नहीं चल सकता दहेज उत्पीड़न का केस
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि दूर के रिश्तेदारों के खिलाफ ऐसे मामलों में केस नहीं चलाया जा सकता है।कोर्ट ने करीब 6 साल पहले दिल्ली पुलिस द्वारा दो लोगों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न के मुकदमे को रद्द करते हुए ये फैसला सुनाया। इस दहेज उत्पीड़न केस में महिला के पति की भाभी के मामा को आरोपी बनाया गया था।
अपने फैसले में जस्टिस अनु मल्होत्रा ने रिश्तेदार शब्द को विस्तार से परिभाषित किया और कहा, ऐसे मामलों में मुकदमा उन रिश्तेदारों के खिलाफ चलाया जा सकता है जिनका संबंध खून से शादी ये या फिर गोद लेने से हो। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति खून के रिश्ते, शादी या गोद लेने से नहीं जुड़ा है तो उसके खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस नहीं चलाया जा सकता है।
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हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी बनाए गए हनीफ और अख्तर मलिक शिकायतकर्ता महिला की पति की भाभी के मामा हैं, लिहाजा दोनों रिश्तेदारों की श्रेणी में नहीं आते हैं। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने 6 साल पहले दोनों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज किया था। इस मामले में निचली अदालत द्वारा चार्जशीट पर संज्ञान लिया गया था। हालांकि, अक्टूबर 2015 में कोर्ट ने निचली अदालत में सुनवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने मुकदमा रद्द करने की दोनों की याचिका का निपटारा करते हुए निचली अदालत को मुकदमा की सुनवाई तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए।
गोविंदपुरी थाने में साल 2013 में एक महिला की शिकायत पर उसके पति, दो जेठ, दोनों जेठानी, ननद और अन्य के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व अन्य आरोपों में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। अपनी शिकायत में महिला ने कहा था कि उसने बेटे को जन्म दिया तो पति व परिवार के लोग अस्पताल में ही बच्चे को ननद को गोद देने का दबाव बनाने लगे और मना करने पर खूब पिटाई की।