दो माह में कश्मीर घाटी से होगा आतंकवादियों का सफाया, डोवाल और सेना ने तैयार की रणनीति
श्रीनगर। कश्मीर घाटी के हालात अगले दो माह के अंदर सुधरने की गुंजाइश है। इसकी वजह है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवाल और भारतीय सेना का एक ही तरह की रणनीति पर काम करना। एनएसए डोवाल जहां मानते हैं कि पत्थरबाजों का ज्यादा प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाएंगे। वहीं दूसरी ओर सेना को कश्मीर संकट से निबटने के लिए खुली छूट दे दी गई है। सेना सर्दियों से पहले आतंकियों को घाटी से खदेड़ देन चाहती है।
दिसंबर में नहीं होंगे घाटी में आतंकी
सेना मानती है कि जब तक घाटी में मौजूद 200 आतंकियों का सफाया नहीं होगा तब तक शांति नहीं लौट सकती है। सेना को इस समय विरोधियों का सामना भी करना पड़ रहा है जो उसके काम में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं। सेना चाहती है कि दिंसबर से पहले आतंकियों का सफाया हो जाए। एक बार सर्दियां आ गईं तो फिर आतंकवादी पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ नहीं कर सकते हैं। पाकिस्तान से बात से बखूबी वाकिफ है और इसलिए ही घुसपैठ की कोशिशें काफी तेज हो गई हैं। वहीं सेना की उन पोस्ट्स को निशाना बना रही है जो आतंकियों को घाटी में घुसपैठ के लिए रणनीतिक तौर पर मददगार साबित हो रही हैं। कुछ ऑफिसर्स का मानना है कि सेना अगले दो माह के अंदर घाटी से आतंकियों का सफाया कर लेगी। कश्मीर घाटी से इंटेलीजेंस ब्यूरों की जो रिपोर्ट्स आ रही हैं उनके मुताबिक आतंकी या तो तड़के हमला करने की फिराक में हैं या फिर वह सेना के काफिलों को निशाना बना सकते हैं। सोमवार को बांदीपोर में सुमबल स्थित सीआरपीएफ कैंप पर फिदायीन हमले की कोशिश इसका साफ उदाहरण है। सेना को घाटी में स्थिति से निबटने के लिए खुली छूट दे दी गई है। सेना किसी भी तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप के आगे घुटने नहीं टेकेगी। सेना को सरकार की ओर से यह संदेश साफ कर दिया गया है। घाटी का माहौल इस समय काफी तनावपूर्ण है और सेना आतंकियों को मारकर ही दम लेगी।
पाकिस्तान को दिखाई जाए ताकत
सरकार से जुड़े एक सूत्र की ओर से दी गई जानकारी पर अगर यकीन करें तो घाटी में मौजूद आतंकियों से निबटने का कोई और विकल्प नहीं है। सेना को और आक्रामक होना पड़ेगा और आतंकियों का मुकाबला करते समय बातचीत की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती है। इस सूत्र की ओर से कहा गया है कि आतंकियों को खत्म किया जाएगा और इस बारे में किसी कोई शंका नहीं होनी चाहिए। सेना ने पिछले कुछ दिनों के अंदर पाकिस्तान से आए 20 आतंकियों का सफाया कर डाला है। एनएसए अजित डोवाल का मानना है कि वर्ष 1947 से हर किसी को खुश करने की नीति राज्य की बड़ी समस्या बन चुकी है। वर्ष 2010 में जब घाटी में पत्थरबाजी हुई तो उस समय भी डोवाल का मानना था कि इन तत्वों पर ज्यादा प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है क्योंकि से ज्यादा दिन क नहीं टिक पाएंगे। उनका मानना है कि फिलहाल इस समय पाकिस्तान से आए तत्वों को घाटी से बाहर निकालने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए न कि संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से हम देखें। डोवाल ने वर्ष 2010 और फिर 2016 में कहा था कि घाटी में विरोध प्रदर्शनों की वजह सिविल सोसायटी का आगे बढ़ना नहीं है। बल्कि यह पाकिस्तान का एक एजेंडा है ताकि कश्मीर में हिंसा भड़कती रहे। एनएसए डोवाल इस बात पर जोर देते रहे हैं कि पाकिस्तान यही मानता है कि वह भारत को हरा सकता है और उसकी इस सोच को बदलना है। इसके लिए भारत को कड़ी कार्रवाई करनी होगी ताकि पाकिस्तान को इस बात का अहसास हो कि असल में ताकतवर कौन है।