डोनाल्ड ट्रंप के कोरोना से बीमार होने की खबर से टूटा तेलंगाना में उनके फैन का दिल, डिप्रेशन की वजह से निधन
तेलंगाना।
अमेरिका
के
राष्ट्रपति
डोनाल्ड
ट्रंप
अब
कोरोना
वायरस
से
उबरने
लगे
हैं
और
चुनावी
अभियान
में
सक्रिय
हो
गए
हैं।
लेकिन
वह
इस
बात
से
अनजान
हैं
कि
भारत
में
रहने
वाले
उनके
एक
फैन
ने
राष्ट्रपति
के
बीमार
होने
की
खबर
सुनने
के
बाद
रविवार
को
दम
तोड़
दिया।
हम
बात
कर
रहे
हैं
तेलंगाना
के
रहने
वाले
बुसा
कृष्णा
कि
जो
साल
2016
में
हुए
अमेरिकी
राष्ट्रपति
चुनावों
से
खबरों
में
आए
थे
और
उनका
निधन
हो
गया
है।
वह,
डोनाल्ड
ट्रंप
के
बहत
बड़े
फैन
थे
और
इस
बात
से
डिप्रेशन
में
थे
कि
अमेरिकी
राष्ट्रपति
और
फर्स्ट
लेडी
कोरोना
वायरस
से
संक्रमित
हैं।
बुसा
कृष्णा
की
मृत्यु
कार्डियक
अरेस्ट
से
हुई
है।
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साल 2016 से ट्रंप के फैन
बुसा कृष्णा के चचेरे भाई बी विवके ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि रविवार को कृष्णा सुबह आम दिनों की तरह उठे। उन्होंने नहाने के बाद चाय पी और जमीन पर गिर कर बेहोश हो गए। उन्होंने बताया, 'वहह राष्ट्रपति ट्रंप के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की खबर के बाद से ही डिप्रेशन में थे। ठीक से खाना भी नहीं खा रहे थे। जब हम उन्हें अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनकी मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताई गई।' कृष्णा ने हल ही में अपने फेसबुक पेज पर कई वीडियोज शेयर किए थे जिसमें वह ट्रंप फैमिली को जल्द स्वस्थ होने की शुभकामनाएं देते हुए नजर आ रहे थे। इन सभी वीडियोज में कृष्णा बहुत रोते हुए नजर आए। कृष्णा साल 2016 से ट्रंप के फैन थे। उस समय उन्होंने बताया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति एक बार उनके सपने में आए थे।
दो लाख रुपए खर्च कर बनवाई थी मूर्ति
वह तेलंगाना के जनगांव जिले के तहत आने वाले कोने गांव के रहने वाले थे। उनके घर में ट्रंप की एक फोटो थी जिसकी वह सुबह-शाम पूजा करते थे। उन्होंने ट्रंप की कई फोटोग्राफ्स को अपने घर की दिवारों पर लगाया हुआ था। पिछले चार सालों से वह अपने 'भगवान' की तस्वीर वाली टी-शर्ट्स को ही पहन रहे थे। कृष्णा जहां भी जाते ट्रंप की फ्रेम कराई हुई एक फोटो अपने साथ लेकर जाते थे। पिछले वर्ष 33 साल के कृष्णा ने दो लाख रुपए खर्च करके ट्रंप का 6 फीट लंबा स्टैच्यू अपने घर के बाहर लगाया था। उन्हें इसे 'ट्रंप मंदिर' नाम तक दे डाला था। इस वर्ष जब ट्रंप, भारत दौरे पर आए थे तो उनकी इच्छा थी कि वह राष्ट्रपति से मिले। लेकिन ऐसा नहीं हो सका था और इसके बाद भी उनकी दिवानगी कम नहीं हुई।
गांव में गम का माहौल
कुछ वर्ष पहले तक कृष्णा के माता-पिता मेडक जिले के तूपरन में शिफ्ट हो गए थे। लेकिन वह कोने गांव में ही रहने लगे थे। चचेरे भाई विवेक ने बताया कि कुछ दिनों पहले उनकी मां का घुटने का ऑपरेशन हुआ था और इस वजह से वह पिछले 10-15 दिनों से तूपरन में ही थे। वह ट्रंप पूजा करते और फिर इसके बाद खेतों में चले जाते थे। भाई की मानें तो कृष्णा पूरी तरह से स्वस्थ थे। तूपरन में रविवार शाम उनका अंतिम संस्कार किया गया। कृष्णा की पत्नी की मृत्यु बेटे को जन्म देने के बाद हो गई थी। बेटा अब अपने नाना-नानी के साथ हैदराबाद में रहता है। कोने गांव में कृष्णा की अचानक मृत्यु के बाद गम का माहौल है। कोने गांव के सरपंच वेंकट गौड़ कहते हैं कि इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि उन सभी का 'ट्रंप कृष्णा' अपने 'भगवान' से बिना एक बार मिले ही चला गया। वेंकट का कहना है कि कृष्णा की मौत गांव के लिए बड़ा नुकसान है।
किसी तरह से ट्रंप तक पहुंच जाए यह खबर
उनका कहना है कि कृष्णा ने उनके गांव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई थी। छोटे से गांव के रहने वाले कृष्णा ने जब ट्रंप की पूजा करनी शुरू की तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान उनकी गांव की तरफ गया। सरपंच वेंकट की मानें तो अक्सर गांववाले क्षेत्रीय फिर राष्ट्रीय स्तर के राजनेताओं को फॉलो करते हैं। यह पहली बार था जब किसी अंतरराष्ट्रीय स्तर के नेता का मंदिर बना था। कृष्णा ने गांववालों को एक गौरवशाली पल दिया था और गांववाले इस बात की उम्मीद कर रहे थे कि कृष्णा का ट्रंप से मिलने का सपना एक दिन जरूर पूरा होगा। वेंकट चाहते हैं कि अब किसी तरह से उनके निधन की खबर ट्रंप तक पहुंच जाए।