पद्मभूषण जीत चुके डॉक्टर का दावा- कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं, हर हाल में जीतेगा भारत
हैदराबाद। दुनिया समेत भारत में भी कोरोना वायरस को लेकर एक अजीब सा डर और दहशत है। वायरस इतनी तेजी से फैला रहा है कि इसे रोकने के लिए देशभर में तीन हफ्तों का लॉकडाउन घोषित किया गया है। इस डर को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त मेडिकल एक्सपर्ट डॉक्टर डी नागेश्वर रेड्डी ने जो कहा है वह किसी गुड न्यूज से कम नहीं हैं। इंग्लिश डेली इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस पर आसानी से विजय हासिल की जा सकती है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई है कि वर्तमान में जो लॉकडाउन जारी है वह तीन से चार हफ्तों से ज्यादा नहीं होगा।
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साल 2016 में मिला था पद्मभूषण
डॉक्टर रेड्डी को साल 2016 में पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। वह इस समय एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के चेयरमैन हैं। उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर दो अहम बातें बताई, जो भारत के पक्ष में जाती हैं। इसमें उन्होंने भारत की गर्मी का जिक्र भी किया है। डॉक्टर रेड्डी ने कहा, 'तापमान को लेकर काफी विवाद जारी है मगर हाल ही में अमेरिका की मेसाच्चयूसेट्टस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) की तरफ से एक रिसर्च पब्लिश हुई है जिसमें वायरस की हीट-सेंसटिविटी के बारे में बताया गया है। 32 डिग्री से ज्यादा के तापमान में यह वायरस ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह सकता है।'
भारत में वायरस का जीनोम अलग
उन्होंने आगे कहा कि भारत के कई हिस्सों में अप्रैल माह में तापमान 32 डिग्री से ऊपर हो जाता है। लेकिन घर के अंदर जहां हम एयर कंडीशन में रहते हैं या फिर जहां तापमान ठंडा रहा है, समस्या बरकरार रहती है। डॉ. रेड्डी के मुताबिक, कोरोना वायरस दिसंबर में चीन के वुहान शहर से पैदा हुआ और यहीं से फैलना शुरू हुआ। चीन से होकर ये इटली, अमेरिका समेत यूरोप के बाकी देशों में फैला। करीब दो से तीन हफ्ते के अंदर ये वायरस भारत में आया। उन्होंने बताया कि कोरोना एक आरएनए वायरस है। डॉ. नागेश्वर रेड्डी के मुताबिक, कोरोना वायरस चमगादड़ों से इंसानों में फैल। लेकिन, निश्चित तौर पर जब ये वायरस इटली, अमेरिका या भारत में फैला होगा, तो इसके जीनोटाइप्स अलग हुए होंगे।
क्यों भारत के लिए है एक अच्छी खबर
पूरे वायरस की सीक्वेंसिंग चार देशों में की गई है। पहला अमेरिका, दूसरा इटली, तीसरा चीन और आखिरी देश भारत है। डॉ. रेड्डी आगे बताते हैं कि स्टडी में ये भी पता चला है कि इटली के मुकाबले भारत में इस वायरस के अलग जीनोम हैं। भारत के लिए ये अच्छी खबर इसलिए है, क्योंकि भारत में आए वायरस के जीनोम के स्पाइक एक सिंगल म्यूटेशन वाले हैं। स्पाइक प्रोटीन वह क्षेत्र है, जो मानव कोशिका से जुड़ा होता है।
एक हफ्ते में कमजोर वायरस
सिंगल म्यूटेशन होने पर ये वायरस एक हफ्ते में कमजोर पड़ जाता है। ऐसे में भारत के लिए कोरोना से जंग जीतना ज्यादा मुश्किल नहीं है। डॉ. रेड्डी ने इटली में मिले कोरोना वायरस पर भी बात की। उन्होंने बताया कि इटली के वायरस में थ्री म्यूटेशन मिले हैं, जो इसे घातक बनाते हैं। इटली में इस वायरस के तेजी से फैलने के और दूसरे कारण भी हैं। इटली एक वृद्ध देश हैं। यानी यहां की आबादी का ज्यादातर हिस्सा 70-80 साल या ऊपर का है।