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क्या आम आदमी पार्टी में कांग्रेस से गठबंधन पर दो-फाड़ है?: नज़रिया

इस पार्टी के उदय की पृष्ठभूमि ही कांग्रेस विरोध है. बुनियादी तौर पर संघ परिवार और दूसरी कांग्रेस विरोधी ताक़तों का उन्हें वरदहस्त शुरू से प्राप्त था. भाजपा से उनकी जो लड़ाई है वो दिल्ली की सत्ता को लेकर है. मुझे लगता है कि ये बात भी इस तरह के गठबंधन की प्रक्रिया में पर्दे के पीछे काम करती है. मेरा यह मानना है कि एक खेमा आम आदमी पार्टी का ज़रूर ऐसा होगा जो कांग्रेस के साथ किसी क़ीमत पर नहीं जाना चाहेगा.

By BBC News हिन्दी
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अरविंद केजरीवाल
Getty Images
अरविंद केजरीवाल

दिल्ली विधानसभा में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की मांग संबंधी प्रस्ताव पारित होने पर विवाद जारी है.

शुक्रवार शाम मीडिया में यह ख़बर आई कि दिल्ली विधानसभा में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की मांग संबंधी प्रस्ताव पास हुआ है.

लेकिन कुछ ही देर बाद प्रदेश में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने इससे इनकार कर दिया. पार्टी का कहना है कि सदन में जो प्रस्ताव पारित किया गया, उसमें राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का ज़िक्र नहीं था.

पार्टी प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पार्टी विधायक सोमनाथ भारती ने अपने भाषण में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की मांग उठाई थी. लेकिन सदन में जो प्रस्ताव रखा गया, जिसकी प्रतियां विधायकों को बांटी गईं और जिसे पारित किया गया, उसमें सिख दंगों को जनसंहार मानने और उससे जुड़े मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालतों में करने की ही मांग थी. राजीव गांधी का कोई ज़िक्र उस प्रस्ताव में नहीं था.

सोमनाथ भारती ने भी ट्वीट करके इस ग़फ़लत की ज़िम्मेदारी ली है. उन्होंने लिखा कि मूल प्रस्ताव में संशोधन करके राजीव गांधी वाली बात जोड़ने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उस पर मतदान ही नहीं हुआ इसलिए उसे पारित नहीं कहा जा सकता.

https://twitter.com/attorneybharti/status/1076163200989782016

https://twitter.com/attorneybharti/status/1076164051594563585

हालांकि आम आदमी पार्टी की विधायक अलका लांबा ने पार्टी लाइन से अलग दावा किया है. उनका कहना है कि राजीव गांधी से जुड़ा प्रस्ताव ही सदन में रखा गया और उन्होंने इसका समर्थन न करते हुए वॉक आउट कर दिया. मीडिया हलकों में यह दावा भी किया जा रहा है कि पार्टी ने अलका लांबा से इस्तीफ़ा मांग लिया है. हालांकि इसकी पुष्टि किसी ने नहीं की है.

https://twitter.com/LambaAlka/status/1076169781324251136

भाजपा और कांग्रेस भी वही कह रहे हैं जो अलका लांबा कह रही हैं. दिल्ली विधानसभा के नेता विपक्ष विजेंदर गुप्ता का कहना है कि राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने वाला प्रस्ताव ही पारित किया गया और अब कांग्रेस से भावी गठबंधन की बातचीत खटाई में न पड़े, इसलिए पार्टी इसका खंडन कर रही है.

https://twitter.com/Gupta_vijender/status/1076147908716703745

कांग्रेस नेता अजय माकन ने सदन की कार्यवाही का वीडियो ट्विटर पर पोस्ट करके दावा किया है कि सदन में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का प्रस्ताव ही लाया और पारित किया गया.

इस वीडियो में आप विधायक जरनैल सिंह को प्रस्ताव रखते वक़्त राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की मांग करते हुए देखा जा सकता है. वह कह रहे हैं, "सिख दंगों का औचित्य साबित करने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जिनको भारत रत्न का अवॉर्ड देकर नवाज़ा गया, केंद्र सरकार को वह अवॉर्ड वापस लेना चाहिए और इससे संबंधित कार्रवाई करते हुए कदम उठाने चाहिए."

वीडियो में दिख रहा है कि इसके बाद स्पीकर रामनिवास गोयल की अपील पर विधायक खड़े होकर इस 'संकल्प' का समर्थन करते हैं और फिर गोयल कहते हैं, "संकल्प पारित हुआ."

कांग्रेस नेता अजय माकन ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से माफ़ी की मांग की है.

https://twitter.com/ajaymaken/status/1076189842545946624

शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में जो कुछ हुआ और उसके बाद आम आदमी पार्टी ने जिस तरह इस पर सफ़ाई पेश की, उसके राजनीतिक मायने क्या हैं?

क्या इस आकलन में दम है कि आम आदमी पार्टी 2019 में कांग्रेस से गठबंधन की गुंजाइश को जीवित रखना चाहती है?

पढ़िए, वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का नज़रिया

नेताओं के कटआउट्स
Getty Images
नेताओं के कटआउट्स

ये मामला सिर्फ़ एक तकनीकी ग़फ़लत का नहीं है. यह सिर्फ़ इस बारे में भी नहीं है कि आम आदमी पार्टी राजीव गांधी, उन्हें दिए गए भारत रत्न, 1984 के सिख विरोधी दंगों और उसमें कांग्रेस की भूमिका के बारे में क्या सोचती है. इन विषयों पर कोई भी पार्टी अपने विचारों के लिए स्वतंत्र है.

लेकिन असल मसला ये है कि क्या इस राजनीतिक पार्टी के पास कोई वैचारिकी, कोई विचारधारा और काम करने की कोई सुसंगत शैली है?

आश्चर्यजनक है कि सत्ताधारी पार्टी के पटल पर एक प्रस्ताव पारित हो जाता है और बाद में कहा जाता है कि मूल प्रस्ताव में यह बात नहीं थी. लोग बता रहे हैं कि प्रस्ताव लाने वाले जरनैल सिंह ने जो बात कही थी, उसमें ये बात थी. मुझे लगता है कि आम आदमी पार्टी के पास विधानमंडल को चलाने की समझ और राजनीतिक रूप से परिपक्व लोगों की भारी कमी है.

पढ़ें:

'भारतीय राजनीति में चूं-चूं का मुरब्बा'

शुरू में इस पार्टी में कई ऐसे लोग जुड़े थे जो विधायी कामों के जानकार थे, कुछ कानूनी और दूसरे विषयों के जानकार थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. इतिहास, समाजशास्त्र और संवैधानिकता को लेकर जो मर्मज्ञता और विशेषज्ञता होनी चाहिए, उसकी कमी झलकती है. जो दिख रहा है, वह उसी का नतीजा है.

इस पार्टी में बहुत ही शानदार किस्म के ईमानदार लोग रहे, आदर्शवादी लोग भी रहे, अवसरवादी और धूर्त लोग भी रहे. इस पार्टी में ऐसे भी लोग रहे और आज भी हैं जिनकी राजनीतिक समझ कुछ भी नहीं है और जो आनन-फानन में विधायक बन गए. बहुत सारे वामपंथी और बहुत सारे दक्षिणपंथी हैं. बहुत सारे मनुवादी विचारों के हैं. कुल मिलाकर यह भारत की राजनीति में चूं-चूं का एक मुरब्बा है और यही कारण है कि यह पार्टी दिल्ली के मध्यनगरीय महालोक से आगे नहीं जा पाती.

पर इसका यह मतलब नहीं कि मैं इसके पतन या लुप्त होने की भविष्यवाणी कर रहा हूं. अपने तमाम अच्छे-बुरे काम और आचरण के साथ दिल्ली में यह पार्टी अभी बनी रहेगी. अपनी विचारहीनता और संकीर्णता के बावजूद इसने कुछ अच्छे काम किए हैं. पर राष्ट्रीय राजनीति में इसकी ख़ास प्रासंगिकता नहीं नजर आती. यह दिल्ली में ही कूदती-फांदती रहेगी!

अरविंद केजरीवाल
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अरविंद केजरीवाल

'कांग्रेस से गठबंधन के अंतर्विरोध'

इस तरह के काम-काज की शैली बताती है कि आप एक परिपक्व राजनीतिक दल नहीं हैं. अगर ग़फ़लत में यह प्रस्ताव पास हुआ है तो उसके संशोधन के लिए पार्टी को एक और प्रस्ताव सदन में रखना होगा.

जहां तक आम आदमी और कांग्रेस के गठबंधन की ख़बरों की बात है, इस घटना के बाद से लोग अंदाज़ा लगा रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी इस गठबंधन को लेकर ज़्यादा गंभीर है. शायद उन्हें लग रहा है कि कांग्रेस से गठबंधन के बिना उनके लिए सीटें निकालना मुश्किल हो जाएगा.

लेकिन गठबंधन हुआ तो उसके अंतर्विरोध भी हो सकते हैं. जैसा मैंने कहा कि पार्टी की कोई स्पष्ट वैचारिकी नहीं है और जो इसे विचारधारा से लैस करना चाहते थे, उन्हें पार्टी नेतृत्व ने पहले ही बाहर कर दिया. तो अब यह अलग-अलग विचार के लोगों का जमावड़ा बन गया है. पंजाब में यह मुख्य विपक्षी दल है और कांग्रेस से उसकी सीधी लड़ाई है. इस पार्टी में एचएस फुलका से लेकर पी चिदंबरम पर जूता फेंकने वाले जरनैल सिंह तक कई ऐसे लोग रहे हैं जो सिख विरोधी दंगों पर कांग्रेस के ख़िलाफ़ बहुत मुखर रहे.

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अरविंद केजरीवाल

इस पार्टी के उदय की पृष्ठभूमि ही कांग्रेस विरोध है. बुनियादी तौर पर संघ परिवार और दूसरी कांग्रेस विरोधी ताक़तों का उन्हें वरदहस्त शुरू से प्राप्त था. भाजपा से उनकी जो लड़ाई है वो दिल्ली की सत्ता को लेकर है. मुझे लगता है कि ये बात भी इस तरह के गठबंधन की प्रक्रिया में पर्दे के पीछे काम करती है. मेरा यह मानना है कि एक खेमा आम आदमी पार्टी का ज़रूर ऐसा होगा जो कांग्रेस के साथ किसी क़ीमत पर नहीं जाना चाहेगा.

हालांकि 2019 में मुख्य लड़ाई भाजपा बनाम अन्य पार्टियों की दिखाई दे रही है, इसलिए हो सकता है कि आम आदमी पार्टी का नेतृत्व कांग्रेस के साथ जाने को तैयार हो. हो सकता है इसीलिए पार्टी अपनी ओर से सफाई दे रही है कि राजीव गांधी से जुड़ा प्रस्ताव पारित नहीं किया गया, ताकि कांग्रेस से रिश्ते उतने ख़राब न हों. लेकिन यह बात भी अपनी जगह है कि भविष्य में दोनों पार्टियां साथ आईं तो दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी के समर्थकों का एक तबका इससे नाराज़ हो सकता है.

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English summary
Does the Aam Aadmi Party have a two-tear on the coalition with the Congress
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