क्या बिहार का केजरीवाल बनना चाहते हैं प्रशांत किशोर उर्फ (PK)?
पटना। क्या प्रशांत किशोर (पीके) बिहार का अरविंद केजरीवाल बनना चाहते हैं ? क्या वे अरविंद केजरीवाल की तरह बिहार में कर्मठ और ईमानदार लीडरशिप तैयार कर नया इतिहास लिखना चाहते हैं ? प्रशांत किशोर ने मंगलवार को पटना में जो कहा उससे बिहार की राजनीति में खलबली मच गयी है। प्रशांत किशोर ने अपने लॉन्गटर्म राजनीति का खाका पेश किया और कहा कि वे गांव -गांव से लड़कों को जोड़कर एक नया नेतृत्व खड़ा करेंगे जो बिहार के आर्थिक बदलाव के लिए समर्पित होगा। नीतीश कुमार कुछ भी कहें लेकिन बिहार विकास के कई मानकों पर आज भी पिछड़ा ही है। प्रशांत किशोर ने कहा कि वे बिहार की राजनीति को बदलने के लिए यहां आये हैं। किसी को चुनाव जिताने या हराने के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि डेढ़ साल पहले बिहार में ही नेता (पॉलिटिकल वर्कर) बना था। अब मैं पूरी तरह से बिहार के लिए समर्पित हूं। मुझे अपने काम में पांच साल लगे, दस साल लगे, चाहे जितना भी भी दिन लगे, अब आखिरी सांस तक बिहार में ही रहूंगा। कहीं और जाने वाला नहीं। यानी प्रशांत ने नीतीश कुमार के खिलाफ बिहार में खूंटा गाड़ दिया है।
आम आदमी से जुड़ने को पीके चले गांव
प्रशांत किशोर के निशाने पर नीतीश कुमार थे। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार में 15 साल शासन किया। काम भी किया लेकिन ये काम ऐसे नहीं जो बिहार की तस्वीर और तकदीर को बदलने में मददगार हों। प्रतिव्यक्ति आय के मामले में बिहार 2004 में भी 22 वें स्थान पर था और आज भी वहीं है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में अगर बिहार को दसवें स्थान पर लाना है तो इसमें आठ गुणा बढ़ोतरी करनी पड़ेगी। नीतीश कुमार के तथाकथित विकास के बाद भी ऐसा संभव नहीं हुआ। बिहार को वहीं चलाएगा जिसके पास राज्य को टॉप टेन में ले जाने का ब्लूप्रिट होगा। हम ऐसी समझ वाले युवा लोगों की टीम तैयार करेंगे। इसके लिए 20 अगस्त से एक विशेष कार्यक्रम की शुरुआत होगी जिसका नाम होगा बात बिहार की। इस कार्यक्रम के जरिये बिहार के 8800 पंचायतों में से 1000 हजार युवकों की पहचान की जाएगी। इनसे जुड़कर प्रशांत किशोर उनकी क्षमता को विकसित करेंगे। उनकी सोच और विचार को ऐसा बनाएंगे कि वे बिहार को टॉप टेन राज्य बनाने में अपना योगदान दे सकें। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे बिहार के नौजवानों को तभी से गोलबंद कर रहे हैं जब वे जदयू में थे। उनके अभियान से दो लाख 93 हजार युवा आज भी जुड़े हुए हैं। 20 मार्च तक इसमें 10 लाख युवा और जुड़ जाएंगे। यानी पीके भी केजरीवाल की तरह आम आदमी से जुड़ कर बदलाव करेंगे।
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केजरीवाल की तरह बदलेंगे शिक्षा
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए खूब मेहनत की थी। दिल्ली के सरकारी स्कूलों की पढ़ाई निजी स्कूलों से भी बेहतर मानी जाने लगी। इसका उन्हें इनाम भी मिला। प्रशांत किशोर ने भी अपनी प्रेस वार्ता में बिहार में क्वालिटी एजुकेशन देने का भरोसा दिलाया। उन्होंने ने कहा नीतीश कुमार ने साइकिल बांटी, पोशाक बांटे। स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी भी। लेकिन इसका फायदा क्या हुआ। एजुकेशन आउटकम इंडेक्स में बिहार झारखंड के बाद देश का सबसे फिसड्डी राज्य है। प्रशांत किशोर ने कहा कि ये उनका नहीं बल्कि नीति आयोग का आंकड़ा है। बिहार में स्कूल जाने वालों की संख्या बढ़ाने पर जितना जोर दिया गया उतनी शिक्षा की गुणवत्ता पर नहीं। प्रथम की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में कक्षा आठ के 43 फीसदी बच्चे भाग वाला गणित नहीं बना पाते। अगर पढ़ाई में बच्चों का प्रदर्शन ऐसा होगा तो आगे चल कर कर वे क्या करेंगे ? नीतीश कुमार का विकास केवल दिखावा है। बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत है जिसके लिए दिल से मेहनत करनी होगी।
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पीके जिताएंगे 10 हजार अच्छे मुखिया
प्रशांत किशोर के मुताबिक, नीतीश कुमार ने 15 साल शासन जरूर किया लेकिन 200 अच्छे विधायक भी नहीं बना पाए। राजनाति में किसी एक आदमी की सोच से बदलाव नहीं होता। उसके लिए अच्छे लोगों का एक समूह होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे गांव-गांव से जुड़ कर ऐसे नौजवान लड़कों की टीम बनाएंगे जो बिहार के सपनों के साथ जी सकें। ऐसा कर के वे चाहते हैं कि राज्य में दस हजार अच्छे मुखिया जीत कर सामने आएं। ऐसे लोग ही बिहार को बदलने के लिए मेहनत करेंगे। प्रशांत किशोर के कहने का मतलब यह कि राजनीति की वर्तमान व्यवस्था बिहार को विकास के शिखर पर ले जाने में सक्षम नहीं है। उसके लिए नयी सोच और नयी ऊर्जा की जरूरत है। प्रशांत किशोर ने अरविंद केजरीवाल की तरह बिहार में नये राजनीति प्रयोग के लिए मुनादी कर दी है।