क्या MMR वैक्सीन वास्तव में कोरोना के खिलाफ सुरक्षा देता है? जानिए दावों पर सीरम संस्थान ने क्या कहा?
नई दिल्ली। पुणे स्थित वैक्सीन प्रमुख सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने जारी एक बयान में कहा है कि यह साबित करने के लिए अभी तक कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं उपलब्ध हो सका है कि खसरा-मम्प्स-रूबेला यानी MMR वैक्सीन कोरोनावायरस संक्रमित को सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि उन्होंने यह जरुर बताया कि एमआर यानी मीजेल्स और रुबेला वैक्सीन वयस्कों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
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एमएमआर वैक्सीन सामान्यता बच्चों 9-10 वर्ष को बच्चों को दिया जाता है
दरअसल, एमएमआर वैक्सीन सामान्यता बच्चों 9-10 वर्ष को बच्चों को दिया जाता है, लेकिन इस वैक्सीन को लेकर दावे किए गए जा रहे थे कि यह कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी प्रदान करता है और फिर अफवाहों का बाजार इतना गर्म हुआ कि लोगों में एमएमआर वैक्सीन का शॉट लेने की होड़ मच गई है, लेकिन सीरम इंस्टीट्यूड के खुलासे के बाद अब शायद इस पर विराम लगना तय हो गया है।
MMR वैक्सीन सिर्फ खसरा, मम्प्स-रूबेला के खिलाफ इम्यूनिटी देती है
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) देश में MMR वैक्सीन के प्रमुख निर्माताओं में से एक है। गत रविवार को कोरोनोवायरस के खिलाफ बचाव की उम्मीद में एमएमआर टीकाकरण के लिए कतारबद्ध खड़े लोगों की राष्ट्रव्यापी रिपोर्टों के बीच यह बयान जारी किया है। इंस्टीट्यूट के मुताबिक MMR वैक्सीन 9 महीने की उम्र में शिशुओं को दिया जाता है, जो उन्हें खसरा, मम्प्स-रूबेला के खिलाफ इम्यूनिटी देती है।
टीबी विरोधी बीसीजी वैक्सीन को एंटी कोरोना के रूप पेश किया गया
हालांकि एमएमआर वैक्सीन से पहले एक और थ्योरी सामने आई थी, जिसमें टीबी विरोधी वैक्सीन बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) को कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी की तरह पेश किया गया था। इसके अलावा दुनिया के कई क्लीनिकल परीक्षण बीसीजी-कोविद कनेक्शन भी देख रहे हैं, जिसमें महाराष्ट्र में किया जा रहा एक परीक्षण भी शामिल है, जहां बीसीजी का अध्ययन कोरोना के इलाज के रूप में किया जा रहा है।
किसी क्लीनिकल परीक्षणों से कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है MMR काम करता है
एसआईआई के मालिक और सीईओ अदार पूनावाला ने एक जिम्मेदार वैक्सीन निर्माता के रूप में कहा, हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि किसी क्लीनिकल परीक्षणों से कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है कि एमएमआर सहित खसरे वाले टीके कोविड-19 से रक्षा कर सकते हैं। दूसरी बात यह कि एमआरआर वैक्सीन में मम्प्स (कण्ठमाला) घटक को 10 वर्ष की आयु से बड़े बच्चों नहीं की जाती है, क्योंकि इससे नुकसान पहुंचने की संभावना है।
एमआर वैक्सीन कोरोना के खिलाफ वयस्कों के लिए एक बेहतर विकल्प है
क्लीनिकल परीक्षणों में प्रतिक्रियाजन्यता एक वैक्सीन की शारीरिक प्रतिक्रिया है, जिसमें इंजेक्शन वाली जगहों पर दर्द, जलन, सूजन और बुखार की संभावना हो सकती है। एमएमआर वैक्सीन 10 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में प्रतिकूल प्रतिक्रिया का कारण बन सकता है। एसआईआई ने बताया कि एमआर (खसरा और रूबेला) कोविद -19 के खिलाफ सुरक्षा की उम्मीद करने वाले वयस्कों के लिए एक बेहतर विकल्प है।