क्या अब दिल टूटने वाले युवा दिलों का इलाज विज्ञान में संभव हैं?
बेंगलुरु। दिल टूटने का असर भयानक होता हैं। इनकी वजह से व्यक्ति को काफी शारीरिक और भावनात्मक पीड़ा होती है, व्यक्ति के जीवन का ये बहुत ही कठिन दौर होता हैं। शायद इसीलिए वैज्ञानिक इसे टूटे दिल की पीड़ा का दौर कहते हैं। दिल टूटने का प्रभाव कई बार बहुत ही गंभीर हो जाते है।
दिल टूटने का कारण केवल दो प्रेमियों के बीच ब्रेकअप हो जाना ही नहीं होता कई बार किसी ऐसे से जिसे आपके दिल के बहुत करीब होता है उससे रिलेशन टूट जाता हैं या कोई करीबी दुनिया छोड़कर चला जाता है ऐसे ही कई लम्हें इंसान को तोड़ देते हैं। इसके कारण व्यक्ति के ऊपर मनोवैज्ञानिक ही नहीं उसके शरीर पर भी असर पड़ता है। किसी चीज में मन न लगना, नींद न आना या इसके असर के कारण व्यक्ति डिप्रेशन मे तक चला जाता हैं। अब ऐसे में सवाल उठता हैं कि दिल टूटने वाले दिलों का इलाज क्या विज्ञान में संभव हैं? जानते हैं इस संबंध में हाल ही में हुए शोध का परिणाम..
दिल टूटने के बाद हो सकता है बचाव
दिल टूट जाने के बारे में सोचना कोई सुखद एहसास नहीं है लेकिन इस बात के लिए हमेशा तैयार रहना भी ज़रूरी है कि अगर आपका साथी आपको छोड़ देता है तब आप क्या करेंगे। यह दौर अधिकतर लोगों की ज़िन्दगी में आता है। यह दौर लम्बा हो सकता है, हफ्ता, महीना या शायद उससे भी ज़्यादा और आपके जीवन और दिनचर्या पर इसका काफ़ी दुष्प्रभाव भी पड़ सकता है।
दिल टूटने पर घबराने की जरुरत नही है
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की वजह से भावनात्मक सदमे के बाद व्यक्ति उचित ढंग से खून को पंप करना बंद कर देता है। इससे कई बार व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है। लेकिन अब घबराने की जरुरत नहीं हैं, हाल ही में हुए एक शोध में यह सिद्ध हो चुका है हम इसे रोकने में सक्षम हैं। विज्ञान में इससे बचने और ऐसे दौर से कैसे आप बाहर निकले इसके लिए रास्ता सुझा कर अपको नयी दिशा देता है।
स्पेन में हुए अध्ययन में हुआ ये खुलासा
स्पेन में हाल ही में हुए अध्यन में ये बात सामने आयी है कि दिल टूटने से पैदा होने वाली दर्द भरी यादों को रोकने में एनेस्थीसिया का प्रयोग कारगर है। ऐसी स्थिति में एनेस्थीसिया का प्रयोग पीड़ानाशक साबित होता है। इस शोध के दौरान दिल टूटने से बेहाल लोगों से उनकी दर्द भरी व्यथित कहानी सुनने के साथ उन्हें दवा इजेक्ट की गयी । इसके 24 घंटों बाद उन्हें फिर से वही सब याद करने के लिए कहा गया। तब उन लोगों को वह बातें अपनी स्मृति में कम स्पष्ठ थी। इसका मतलब वो काफी हद तक उसे भुला चुके थे।
परेशान करने वाली पुरानी यादों को दबाने में भी है कारगर
स्पेन
के
वैज्ञानिकों
के
इस
शोध
का
मुख्य
उद्देश्य
पोस्ट-ट्रॉमेटिक
स्ट्रेस
डिसऑर्डर
(पीटीएसडी)
के
लक्षणों
को
दूर
करना
था।
मैडिड
की
टेक्नीकल
यूनिवर्सिटी
के
डॉ.
ब्रेयन
स्टेंज
और
उनके
साथियों
द्वारा
ये
स्टडी
की
गयी
है।
हालांकि
शोध
में
ये
भी
पाया
गया
कि
हमें
और
परेशान
करने
वाली
यादों
को
दबाने
के
लिए
भी
इसका
इस्तेमाल
किया
जा
सकता
है।
अप्रत्याशित
नुकसान
जैसे
दिल
का
टूटना
दर्दनाक
हो
सकता
है,
लेकिन
कुछ
लोग
इसी
से
मिलते-जुलते
लक्षणों
को
बताते
हैं।
मस्तिष्क में हुई ये हलचल
गौरतलब है कि जैविक मानववादी हेलन फिशर ने चालीस सालों तक मनुष्य के दिमाम पर प्रेम का प्रभाव क्या पड़ता है इसका अध्ययन किया। एमआरआई स्कैन करके उन्होंने शोध में पाया कि किसी प्रियजन को खोने और एक याद को छुड़ाने के मध्य चौंकाने वाली समानताओं की पहचान की है। उन्होंने ऐसे लोगों के मस्तिष्क में तरस और जुनून जैसी गतिविधियां पाईं। साथ ही शारीरिक दर्द के साथ जुड़े क्षेत्र में और इसके साथ होने वाली चिंता के क्षेत्र में भी शक्तिशाली मस्तिष्क प्रतिक्रिया देखी।
फिशर की हैं ये सलाह
फिशर के अनुसार, आप कार्ड और पत्र बाहर फेंक दें। उसे न संदेश भेजें, न कॉल करें। व्यायाम करें, यह डोपामाइन और दर्द के प्रतिरोध को बढ़ाता है। साथ ही चीनी को कम कर दें। पूर्व साथी के साथ दोस्ती करने की कोशिश न करें, कम से कम तब तक नहीं जब तक आप संभल नहीं जाते। आपको नए लोगों के साथ बाहर जाना चाहिए।
टूटे दिल के संकेत
कटु अनुभव शायद पुरुषों के लिए कम पीड़ादायक हो सकते हैं लेकिन स्त्री-पुरुष दोनों के लिए ही यह दौर अप्रिय होता हैं। एक इस अध्ययन के अनुसार गुस्सा, डिप्रेशन, ध्यान बँटना और चिंता एक ब्रेकअप के बाद सबसे आम भावनात्मक प्रतिक्रियाएं थी। अगर शारीरिक प्रभावों की बात करें तो नींद ना आना और एक दम से वजन बढ़ना और कम होना आम थे।
किसे ज़्यादा दुःख होता है, लड़की को या लड़के को?
पहले हुए शोध में यह बात साबित हो चुकी है कि आदमियों की तुलना में एक ब्रेक अप के बाद औरतों को कहीं अधिक पीड़ा से गुज़रना पड़ता है। लेकिन इसमें भी कोई संदेह नहीं कि समय के साथ ना सिर्फ़ वो उससे पूरी तरह ऊबर जाती हैं बल्कि यह बात उन्हें और सुदृढ़ भी बनाती है। दूसरी तरफ, ऊपरी सतह पर ऐसा प्रतीत ज़रूर होता है कि आदमियों को पीड़ा कम होती है लेकिन वो कभी भी एक रिश्ते को पूरी तरह नहीं भुला पातेऔर समय के साथ उन्हें एहसास होता है कि दूसरे साथी की खोज कितनी मुश्किल है।
दिल को शांत करने वाले एप
बता दें विगत वर्ष दिल टूटने के दर्द को शांत करने के लिए मेंड, आरएक्स ब्रेकअप और ब्रेकअप बॉस एप्स की सीरीज जारी की गई थी। इनमें मार्गदर्शन, सलाह और ध्यान भटकाने वाली गतिविधियों को शामिल किया गया। 2017 में आए अध्ययन में इसी तरह की मस्तिष्क प्रशिक्षण शैली के अभ्यास से आत्म नियंत्रण को बढ़ाकर आवेग के पश्चात के व्यवहार को भी रोका गया।
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