डॉक्टर डेथ: जहरीला इंजेक्शन देकर करता था हत्या, कब्र पर लगाता था नारियल का पेड़
नई दिल्ली। डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है। लेकिन महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक डॉक्टर ने जो करतूत की है उससे इंसान का डॉक्टर से भरोसा ही उठ जाए। फर्जी डिग्री के आधार पर खुद को डॉक्टर बताने वाले संतोष पॉल ने बीते 13 साल में 6 लोगों को जहरीला इंजेक्शन देकर मार डाला और उनकी लाशों को अपने ही घर में दफना दिया। पढ़िए, उसके अपराधों और हैवानियत की पूरी कुंडली...
कौन
है
डॉक्टर
डेथ?
इलेक्ट्रो
होम्योपैथी
की
प्रैक्टिस
करने
वाला
संतोष
पॉल
मानसिक
तौर
पर
परेशान
था।
दो
बच्चों
का
पिता
संतोष
कब
हत्यारा
बन
गया,
यह
उसके
घर
के
आसपास
रहने
वाले
लोगों
को
भी
नहीं
पता
चला।
कुछ
साल
पहले
वह
ग्राम
पंचायत
सदस्य
भी
रह
चुका
है
और
कुछ
स्थानीय
नेताओं
से
उसका
परिचय
भी
था।
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सरकारी
जमीन
को
बनाया
हत्या
का
अड्डा
सतारा
जिले
के
ढोम
इलाके
में
संतोष
पॉल
ने
करीब
2.5
एकड़
सरकारी
जमीन
पर
कब्जा
करके
मुर्गी
पालन
केंद्र
खोल
लिया।
वहीं
पर
उसने
अपने
लिए
भी
एक
कमरा
बनाया
हुआ
था,
जिसमें
वह
मरीज
देखता
था।
वह
मरीजों
में
से
ही
अपने
शिकार
चुनता
और
उनकी
हत्या
कर
देता।
हत्या
के
बाद
वह
उसी
मैदान
में
लाश
को
दफन
कर
देता।
ऐसे
करता
था
हत्या
आरोपी
संतोष
पॉल
ने
कबूल
किया
है
कि
उसने
बीते
13
सालों
में
6
लोगों
को
एक
ही
तरीके
से
मारा
है।
उसने
बताया
कि
वह
सक्सिनाइलकोलीन
(succinylcholine)
का
इंजेक्शन
देकर
अपने
शिकार
को
मार
डालता
था।
सिक्सिनाइलकोलीन,
एक
तरह
का
न्यूरो
मस्कुलर
पैरालिटिक
ड्रग
है
जो
तेजी
से
असर
करता
है
और
मशल्स
को
निष्क्रिय
कर
देता
है।
इंजेक्शन
का
असर
होते
ही
मशल्स
काम
करना
बंद
कर
देते
हैं
और
इससे
उस
शख्स
की
सांसें
थम
जाएंगी।
डॉक्टर
इस
ड्रग
का
इस्तेमाल
एनेस्थीसिया
की
जगह
करते
हैं,
लेकिन
इसे
देने
के
तुरंत
बाद
मरीज
को
वेंटिलेटर
पर
रखने
की
जरूरत
होती
है,
वरना
ऑक्सीजन
की
कमी
से
उसकी
मौत
हो
जाएगी।
संतोष
पॉल
यह
बेहतर
तरीके
से
जानता
था
और
उसने
इंजेक्शन
देकर
लोगों
को
मौत
के
घाट
उतारा।
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लाश
दफनाने
के
लिए
बुलाता
था
जेसीबी
हत्या
के
बाद
आरोपी
डॉक्टर
एक
जेसीबी
बुलाकर
मैदान
में
गड्ढा
खुदवाता
था।
किसी
के
पूछने
पर
वह
उन्हें
बताता
कि
नारियल
के
पेड़
लगाने
के
लिए
वह
गड्ढा
खुदवा
रहा
है।
जेसीबी
के
जाने
के
बाद
वह
लाश
को
लेकर
गड्ढ़े
में
दफना
देता
था।
पुलिस
को
उस
जगह
दो
और
गड्ढे
में
मिले
हैं
जो
हाल
ही
में
खोदे
गए
थे।
कब्र
पर
लगाता
था
नारियल
का
पेड़
पुलिस
के
मुताबिक,
जिन
जगहों
पर
आरोपी
ने
लाशों
को
दफनाया
था
वहां
नारियल
के
पेड़
लगे
हुए
थे
और
उनके
पास
कुछ
नाम
लिखे
हुए
थे।
आशंका
है
कि
आरोपी
ने
जिन
लोगों
को
वहां
दफनाया
उनकी
कब्र
के
पास
उनके
नाम
भी
लिख
दिए।
साथ
ही
कब्र
पर
पेड़
लगाया
दिया
ताकि
किसी
को
शक
न
हो।
संतोष
हाल
ही
में
अपने
एक
रिश्तेदार
से
गड्ढ़ा
खोदने
के
लिए
मशीन
लेकर
आया
था।
लोगों
ने
जब
पूछा
तो
उसका
जवाब
था
कि
नारियल
के
और
पेड़
लगाने
हैं।
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पहले
ब्लैकमेल
करता
फिर
मार
डालता
संतोष
पॉल
ने
जिन
लोगों
की
हत्या
की
पहले
वह
उन्हें
अपना
करीबी
बनाता
था।
धीरे-धीरे
उन्हें
भरोसे
में
लेने
के
बाद
वह
उन्हें
ब्लैकमेल
करना
शुरू
कर
देता
था।
बाद
में
उनका
पैसा
और
सोना
लूटकर
वह
उनकी
हत्या
कर
देता
था।
बिना
डिग्री
के
8
साल
तक
की
नौकरी
पुलिस
पूछताछ
के
दौरान
आरोपी
ने
बताया
कि
वह
घोटावदेकर
अस्पताल
में
काम
कर
चुका
है।
जब
अस्पताल
के
प्रमुख
विद्याधर
घोटावदेकर
से
संपर्क
किया
गया
तो
उन्होंने
बताया
कि
वह
इस
बात
से
अनजान
थे
कि
संतोष
पॉल
के
पास
मेडिकल
डिग्री
नहीं
है।
वह
8
साल
तक
उनके
सहयोगी
के
तौर
पर
अस्पताल
में
रहा
और
अक्सर
नाइट
शिफ्ट
में
काम
करता
था।
उन्होंने
बताया
कि
अस्पताल
में
संतोष
ने
किसी
के
साथ
भी
बुरा
व्यवहार
नहीं
किया
सिवाय
सलमा
शेख
नाम
की
नर्स
के।
सलमा
जनवरी
2016
में
अचानक
लापता
हो
गई
थी।
उन्होंने
बताया
कि
संतोष
लोगों
को
ACB
का
डर
दिखाकर
धमकाता
था,
जिसके
बाद
उसे
नौकरी
से
निकाल
दिया
गया।
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ये
6
लोग
बने
डॉक्टर
डेथ
का
शिकार
साल
2003
से
लेकर
2016
तक
संतोष
पांच
महिलाओं
समेत
कुल
6
लोगों
को
इंजेक्शन
देकर
मारा।
उसने
जिन
लोगों
को
शिकार
बनाया
वो
या
तो
उसी
इलाके
के
थे,
या
आसपास
के
रहने
वाले
थे।
पहली
हत्या:
20
मई
2003
उसका
पहला
शिकार
सुरेखा
किसन
चिकने
नाम
की
30
वर्षीय
महिला
थी।
वह
संतोष
के
पास
इलाज
कराने
आई
थी।
संतोष
ने
उसे
30
मई
2003
को
इंजेक्शन
देकर
मारा
था।
दूसरी
हत्या:
12
अगस्त
2006:
संतोष
को
डॉक्टर
मान
कर
इलाज
कराने
आई
40
वर्षीय
वनिता
नरहरि
गायकवाड़
भी
मौत
के
मुंह
में
पहुंच
गई।
संतोष
ने
उसे
भी
इंजेक्शन
देकर
मारा।
उसने
वनिता
की
लाश
दफनाने
के
बजाय
नदी
में
फेंक
दी
थी।
तीसरी
हत्या:
13
अगस्त
2010:
जगाबाई
लक्ष्मी
पाल
नाम
की
एक
महिला
संतोष
की
बातों
में
आकर
उलझ
गई।
आरोपी
ने
उसे
एक
जमीन
की
डील
का
लालच
देकर
फंसाया
और
काफी
करीबी
बन
गया।
उसने
उसे
ब्लैकमेल
करना
शुरू
किया
और
मौका
देखकर
एक
दिन
मार
डाला।
चौथी
हत्या:
7
दिसंबर
2012
काम
के
सिलसिले
में
संतोष
पॉल
से
मिले
एक
ज्वैलर
नथमल
धनाजी
भंडारी
की
जिंदगी
ही
भी
खतरे
में
पड़ी
और
आरोपी
ने
उसे
भी
इंजेक्शन
देकर
मौत
के
घाट
उतार
दिया।
पांचवीं
हत्या:
17
जनवरी
2016
महाराष्ट्र
के
वाई
की
रहने
वाली
सलमा
शेख
पेशे
से
नर्स
थी।
वह
संतोष
के
संपर्क
में
आई
और
कुछ
ही
दिन
बाद
आरोपी
ने
उसे
ब्लैकमेल
करना
शुरू
किया।
बाद
में
उसने
17
जनवरी
2016
को
उसे
मार
डाला।
छठवीं
हत्या:
15
जून
2016
आरोपी
संतोष
पॉल
का
आखिरी
शिकार
मंगल
जेढ़े
नाम
की
आंगनबाड़ी
कार्यकर्ता
थी।
संतोष
ने
उसके
बेटे
का
इलाज
किया
था
और
तभी
से
वह
उसे
मानने
लगी
थी।
संतोष
ने
पहले
टीचर
को
भरोसे
में
लिया
और
फिर
ब्लैकमेल
करने
की
कोशिश
की।
मंगल
ने
संतोष
को
उसके
काले-कारनामों
की
पोल
खोलने
की
धमकी
दी
तो
उसने
अपनी
एक
सहयोगी
ज्योति
मंधारे
(25)
की
सहायता
से
किडनैप
किया
और
इंजेक्शन
देकर
हत्या
कर
दी।
यही
हत्या
संतोष
के
काले
कारनामों
के
ताबूत
में
आखिरी
कील
साबित
हुई।
मंगल
की
हत्या
की
जांच
कर
रही
पुलिस
आखिरकार
संतोष
तक
पहुंच
ही
गई।
पड़ोसी
भी
हैरान,
रातों
की
नींद
हराम
संतोष
पॉल
के
मुर्गी
पालन
केंद्र
के
पास
रहने
वाले
लोगों
को
जब
उसकी
करतूतों
का
पता
चला
तो
वे
हैरान
रह
गए।
एक
शख्स
ने
बताया
कि
संतोष
ज्यादा
किसी
से
बात
नहीं
करता
था।
वह
बहुत
कम
लोगों
से
मिलता
था।
उसके
पड़ोस
में
रहने
वाले
एक
अन्य
शख्स
ने
कहा,
'हमे
पता
नहीं
था
कि
इतने
सालों
से
हम
एक
कब्रिस्तान
के
बगल
में
रह
रहे
हैं।'
क्या
कहते
हैं
एक्सपर्ट
एक्सपर्ट
की
राय
के
मुताबिक,
संतोष
पॉल
एक
मनोरोगी
है।
उसके
दिमाग
में
कहीं
न
कहीं
यह
बात
थी
कि
एक
डॉक्टर
से
ज्यादा
एक
कातिल
की
समाज
में
इमेज
होती
है।
ऐसे
लोग
जो
कुछ
भी
करते
हैं
उसके
लिए
उन्हें
कोई
खेद
नहीं
होता।
मनोवैज्ञानिकों
का
कहना
है
कि
संतोष
ने
जिन
लोगों
की
हत्या
की
है,
क्या
उनका
यौन
उत्पीड़न
भी
किया,
यह
जांच
का
विषय
है।
आशंका
है
कि
वह
ऐसा
करता
रहा
होगा।
क्या
कहती
है
पुलिस
पुलिस
के
मुताबिक,
अब
तक
सिर्फ
चार
लाशें
और
उनके
अवशेष
मिले
हैं।
बाकी
दो
शवों
को
कहां
दफनाया
गया
है,
इस
बारे
में
आरोपी
से
पूछताछ
की
जा
रही
है।
जांच
के
दौरान
उस
मैदान
में
दो
और
गड्ढे
खुले
मिले
हैं,
जिसका
मतलब
है
कि
वह
दो
और
लोगों
को
वहां
दफनाने
वाला
था।
इस
बारे
में
भी
उससे
पूछताछ
की
जा
रही
है।