घबराएं नहीं, समझिए आखिर देश में क्यों तेजी से रोजाना बढ़ रहे हैं कोरोना के नए मामले?
बेंगलुरू। 24 मार्च, 2020 की आधी रात में भारत सरकार ने देश में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की और उसके अगले दिन से पूरे भारत में उद्योग-धंधों ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय और अन्तर्राज्जीय परिवहन के साधनों पर भी पूरी पाबंदी लगा दी गई। लोगों को उनके घरों में कैद कर दिया गया। यह एक लंबी छुट्टी की तरह था।
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तेजी से पूरी दुनिया में पैर पसारते जानलेवा नोवल कोरोनावायरस के प्रसार को हिंदुस्तान में फैलने से रोकने के लिए यह शुरूआती और प्रभावी कदम था, लेकिन लॉकडाउन की अवस्था में हिंदुस्तान को नहीं जकड़ा जा सकता हैं, जहां 30 से अधिक आबादी आधिकारिक रूप से गरीबी रेखा के नीचे हो, जिनकी स्थिति हैंड टू माउथ वाली है।
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1 मई, 2020 की सुबह से हिंदुस्तान में विभिन्न शहरों में अटके प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों की सिफारिश पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं, क्योंकि नौकरी गंवाने के बाद शहरों में फंसा मजदूर वर्ग आसन्न भुखमरी की शिकार हो सकता था।
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मजदूरों के सब्र के बांध टूटने का नजारा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी दिल्ली में तब दिखा जब हजारों में मजूदर महामारी की परवाह किए बिना सड़कों पर खड़े गए। इससे देश में कोरोना संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ गया। हजारों लोगों की भीड़ सड़कों पर जमा होने से सरकार और प्रशासन दोनों के हाथ फूल गए।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 1 करोड़ से अधिक लोगों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए विभिन्न शहरों से उनके घरों तक पहुंचाया जा चुका है और इसी तरह विदेशों में फंसे अब तक 65,000 से अधिक भारतीय नागरिकों को वंदे भारत मिशन के तहत भारत लाया जा चुका है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि लोगों की आवाजाही से कोरोना संक्रमण के नए मामलों में कितनी वृद्धि हुई।
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5 जून तक रेस्क्यू किए गए 58, 867 में से 227 भारतीय पॉजिटिव मिले
यह वंदेभारत मिशन से भारत लाए गए 5 जून, 2020 तक के आंकड़ों से आसानी से समझा जा सकता है। 5 जून तक भारत में वंदेभारत में मिशन के तहत कुल 58,867 भारतीय विदेशों से रेस्क्यू कर लिए गए थे और तब की सरकार की आधिकारिक रिपोर्ट कहती है कि विदेशों से रेस्क्यू किए गए कुल 58, 867 लोगों में से 227 भारतीय नागरिकों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जो करीब 0.38 फीसदी बैठती है। सभी 227 पॉजिटिव केस क्वॉरेंटीन में मिले।
लॉकडाउन 4 तक गांवों में संक्रमित मामलों की संख्या लगभग नगण्य थी
अब अंदाजा लगा सकते हैं कि सड़कों, रेलमार्ग के जरिए घरों तक पहुंचे लोगों के जरिए भारत के रिमोट इलाके में लोगों से कितना संचरण हुआ होगा। अकेले बिहार के आंकड़े डरावने हैं, जहां लॉकडाउन 4 तक कोरोनावायरस संक्रमित मामलों की संख्या लगभग नगण्य थी और 1 मई के बाद श्रमिक ट्रेनों के आवागमन शुरू होने के बाद तेजी से नए मामलों का अंबार लग गया, जहां वर्तमान में कोरोना के 11,876 कंफर्म केस हैं।
उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में क्वॉरेंटीन का अनुपालन नहीं हुआ
राज्यों में यह स्थिति तब है स्पेशल ट्रेनों और हवाई जहाजों के जरिेए घर पहुंचे लोगों को अनिवार्य 14 दिनों के क्वॉरेटीन में रखा गया। यह अलग बात है कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में क्वॉरेंटीन अधिसूचना और उसके अनुपालन में घोर असमानता देखने को मिली है, जिसके लिए सरकार के साथ-साथ आमजन भी उतने ही अधिक जिम्मेदार है, जिन्हें एहसास तक नहीं हो पाया कि वो ऐसा करके अपने ही परिवार और समाज को संक्रमित कर सकते हैं।
शहर से गांवों तक पहुंच चुके संक्रमण को भी दर्शाता है बढ़ा हुआ आंकड़ा
बहरहाल, वर्तमान में लगातार भारी मात्रा में सामने आ रहे नए मामले भारत में हो रही रैपिड टेस्टिंग का नतीजा हो सकता है, लेकिन यह देश के शहर से निकलकर गांवों तक पहुंच चुके संक्रमण को भी दर्शाता है। नोवल कोरोनावायरस की प्रकृति में बदलाव की कहेंगें कि लोगों को खुद के संक्रमित होने का एहसास तक नहीं रहा होगा। यही कारण है कि वर्तमान में भारत में बढ़ी टेस्टिंग की क्षमता से तेजी से नए-नए मामले सामने आ रहे हैं।
पिछले तीन दिनों के प्रति दिन आने वाले नए मामले बेहद डरावने हैं
पिछले तीन दिनों के प्रति दिन आने वाले नए मामले बेहद डरावने हैं, जब लगातार तीन दिन 20,000 से अधिक नए मामलों की पुष्टि हुई, लेकिन रविवार, 5 जुलाई को भारत में 24 घंटे में नए मामलों ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। रविवार को कुल 28,850 नए मामलों की पुष्टि की गई है। हालांकि संक्रमित मरीजों की रिकवरी औसत में हुई वृद्धि ने देश के लिए राहत जरूर पहुंचाई है, जो अब 58 फीसदी से बढ़कर 61 फीसदी है।
वर्तमान में भारत में रोजाना हो रही ढाई लाख से अधिक की टेस्टिंग
भारत में नए मामलों में वृद्दि की वजह एकतरफ जहां रोजाना हो रही ढाई लाख से अधिक की टेस्टिंग को दी जा सकती है, तो दूसरी तरफ लोगों ने संक्रमण प्रति लापरवाही को भी क्रेडिट दिया जाना चाहिए। नए मामलों में वृद्धि के लिए लापरवाही को क्रेडिट अधिक दिया जाना चाहिए, क्योंकि दो महीने के लॉकडाउन के बाद भी लोगों को महामारी की भय़ावता का एहसास होते भी संक्रमण के प्रति घोर लापरवाही बरती गई, जिसके लिए सरकार, प्रशासन के साथ आम जन भी उतने ही जिम्मेदार है।
टेस्टिंग से लेकर कांटैक्ट ट्रेसिंग में तेजी से सतर्कता बरतने लगी है सरकारें
अच्छी बात यह है कि भारत और राज्य सरकारें अब कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ पूरी तरह से सज्ज हैं और टेस्टिंग से लेकर कांटैक्ट ट्रेसिंग में तेजी से सतर्कता बरतने लगी है। यही वह प्रमुख कारण है कि देश में नए मामलों की बहुतायत रोजाना बढ़ रही है, क्योंकि खांसी, जुकाम और खराश जैसे लक्षणों के बावजूद घरों में छुपे लोगों की पहचान टेस्टिंग और कांटैक्ट ट्रेसिंग से बढ़ी है।
प्रतिदिन नए मामलों का आंकड़ा 25,000 से 45,000 भी पहुंच सकता है
रविवार, 5 जुलाई के आंकड़ों को ही पकड़कर चलें तो आने वाले समय में प्रतिदिन के लिहाज से 24 घंटे में नए मामलों की संख्या में और इजाफा हो सकता है और यह आंकड़ा 25,000 से 45,000 प्रतिदिन भी पहुंच सकता है, लेकिन इसका पॉजिटिव पहलू यह है कि छिपे सारे मरीजों की पहचान हो जाएगी और उनका यथोचित इलाज हो सकेगा, जिससे देश में रिकवरी दर में और सुधार हो सकता है।
भारत में कोरोना टेस्टिंग के मामले में 1 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है
आईसीएमआर के मुताबिक फिलहाल भारत में कोरोना टेस्टिंग के मामले में 1 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। यानी देश में अब तक 1 करोड़ से अधिक का टेस्ट किया जा चुका है, जिससे सर्वाधिक कोरोना टेस्टिंग के मामले में भारत अब दुनिया में पांचवां देश बन गया है, लेकिन तेजी से आ रहे नए मामलों से भारत के स्वास्थ्य केंद्रों पर बोझ बढ़ाते भी जा रहे हैं, जो चिंता का कारण बने हुए हैं।
अधिकाधिक टेस्टिंग से कोरोनावायरस की रफ्तार को थामा जा सकता है
कई देशों के विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकाधिक टेस्टिंग से कोरोनावायरस की रफ्तार को थामा जा सकता है और महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत सरकार लगातार अपनी टेस्टिंग स्पीड बढ़ा रहा है, जिसके लिए भारत में वर्तमान में कुल 1100 से अधिक लैब संचालित हो रहें हैं, जिनमें 300 लैब प्राइवेट हैं, जबकि बाकी सरकारी लैब हैं। ICMR का अगला लक्ष्य हर दिन तीन लाख कोरोना वायरस का टेस्ट है, जिससे नए मामलों में वृद्धि होगी, लेकिन उसमें धीरे-धीरे विराम लगना तय माना जा रहा है।
टेस्टिंग में वृद्धि के जरिए कई देशों ने कोरोना निंयत्रण पाने में सफलता पाई
टेस्टिंग में वृद्धि के जरिए कई देशों ने वर्तमान में कोरोनावायरस पर निंयत्रण पाने में सफलता पाई है। इनमें एशियाई देश चीन, जापान और दक्षिण कोरिया और दक्षिण एशियाई देश सिंगापुर शामिल हैं, जहां टेस्टिंग ही वह प्रमुख टूल था, जिसके जरिए कोरोना के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कमोबेश यही फार्मूला यूरोपीय देशों और अमेरिका में भी अमल में लाकर काफी हद तक कोरोना को कंट्रोल किया हुआ है।
फिलहाल कोरोनावायरस के खिलाफ एंटी डोज तैयार होने की संभावना नहीं है
फिलहाल, कम से कम दो और महीने कोरोनावायरस के खिलाफ एंटी डोज तैयार होने की संभावना नहीं है। यह इसलिए कहा जा सकता है कि भारतीय बॉयोटेक कंपनी और आईसीएमआर ने आगामी 15 अगस्त तक एंटी कोरोना वैक्सीन की घोषणा करते हैं। अगर प्रयोग सफल होता है तब भी वैक्सीन को बाजार में उपलब्ध होने में कुछ और समय लगना स्वाभाविक है।
पूरी दुनिया में एंटी कोरोना वैक्सीन निर्माण की कवायद युद्धस्तर पर जारी है
हालांकि पूरी दुनिया में एंटी कोरोना वैक्सीन विकसित करने की कवायद युद्धस्तर पर जारी है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि उसे भी बाजार में उपलब्ध होने में तकरीबन 6-7 महीने लग जाएंगे। यानी दिसबंर, 2020 या जनवरी 2021 में शेष राष्ट्रों में अनुसंधानरत वैज्ञानिक और शोधकर्ता वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि लोगों को कोरोना के साथ जीने की कला सीखनी होगी।
जब तक वैक्सीन तैयार नहीं होती है तब तक धैर्यपूर्वक इंतजार करना होगा
कहने का अर्थ है जब तक कोई माकूल वैक्सीन तैयार नहीं हो जाती है, तब तक हम और आप को इंतजार करना होगा, लेकिन महामारी हवा में तैर रही है और उससे बचने के लिए सरकार द्वारा सुझाए गए सुरक्षा उपायों का अनुपालन बेहद जरूरी है। ऐसा करके न केवल अपनी जिंदगी, बल्कि दूसरों की जिंदगी बचाई जा सकेगी, फिर चाहे वह आपका परिवार हो अथवा समाज। क्योंकि सुरक्षा चक्र में छूटा अथवा चूंका एक भी शख्स 6 और लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है।
इटली, स्पेन और ब्रिटेन में इसी लापरवाही की वजह से बड़ा आघात
इटली, स्पेन और ब्रिटेन में इसी लापरवाही की वजह से बड़ा आघात झेलना पड़ा। इनमें यूरोपीय देश इटली, स्पेन और ब्रिटेन के लोगों द्वारा कोरोनावायरस के संक्रमण के प्रति बरती गई लापरवाही काफी नुकसान पहुंचाया है। फिलहाल गलतियों को सुधार कर अब पश्चिमी देशों में सभी ऐहतियाती क़दम उठाए हैं और वहां जोखिम का दर कम हो गया है, लेकिन हम अभी हरकत में नहीं आए तो हमारी भी दुर्गति होने तय है, क्योंकि हिंदुस्तान की मौजूदा स्वास्थ्य सेवाएं एक बड़ी आबादी का बोझ नहीं संभाल पाएंगी।
कोरोनावायरस के जोखिम को लेकर लगातार गंभीरता बरतना जरूरी
स्वास्थ्य विशेषज्ञ संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए सबसे ज़रूरी क़दमों में से एक गंभीरता को मानते हैं। आप और आपके आसपास लोग तभी संक्रमण से दूर रहेंगे, जो आप महामारी के जोखिम को लेकर गंभीरता दिखाएंगे। सरकार कोरोना संक्रमण में वृद्धि के साथ बड़े पैमाने पर टेस्टिंग शुरू कर दी है और कम्युनिटी ट्रांसमिशन से बचने के लिए संक्रमित लोगो को अलग कर रही है, लेकिन आपकी जिम्मेवारी है कि सोशल डिस्टेंसिंग यानी भीड़-भाड़ में जाने से बचें और मास्क जैसे सुरक्षा उपायों को ईमानदारी से पालन करें।
सस्ती और सुलभ हुईं टेस्टिंग, संदिग्धता की स्थिति में तुरंत जांच कराएं
मौजूदा समय में भारत में कोरोनावायरस की टेस्टिंग ही तेज नहीं हुई है, बल्कि टेस्टिंग भी सस्ती हुई है। प्रति दिन ढाई लाख की टेस्टिंग की जा रही है। वर्तमान में 1100 लैब भारत में टेस्टिंग हो रही हैं। दक्षिण कोरिया का उदाहरण हमारे सामने हैं, जहां सरकार ने टेस्टिंग सुविधा बढ़ाई और वहां के लोगों ने उसमें बढ़-चढ़कर उसमें हिस्सा लिया और वर्तमान में दक्षिण कोरिया कोरोनावायरस के खतरे से लगभग बाहर है।
भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की संभावना बढ़ सकती है अगर..
संपर्क में आया कोई व्यक्ति अगर कोरोना संक्रमति अथवा संदिग्ध लगता है, तो उसके बारें स्थानीय प्रशासन को जरूर सूचित करना अनिवार्य है। इससे न केवल अमुक व्यक्ति बल्कि उसका परिवार और आस-पड़ोस में संक्रमण को फैलने से बचाया जा सकता है। प्रशासन और सरकारें उसकी पहचान आसानी से कर सकेंगे और कांटैक्ट ट्रैंसिंग के जरिए उसके संपर्क में आए लोगों का भी नमूना लेकर कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने में कामयाब हो सकते हैं।
वर्तमान में लक्षणविहीन हो चुका है जानलेवा नोवल कोरोनावायरस
मौजूदा समय में यह जरूरी नहीं कि जो आपसे मिल रहा है, उसमें कोरोनावायरस के लक्षण दिखे, इसलिए पूरी सतर्कता जरूरी है। चेहरे पर मास्क, उचित दूरी और भीड़-भाड़ वाले जगहों से दूरी खुद को आगे भी सुरक्षित रखने का माकूल तरीका हैं। समय के साथ बरती गई लापरवाही का ही नतीजा है कि कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार बढ़ रही है। सिंगापुर में संक्रमितों को पकड़ने के लिए जासूसों तक को लगा दिया और 6000 सीसीटीवी के माध्यम से संक्रमितों और कांटैक्ट को ट्रेस किया गया।