सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ कोर्ट पहुंची DMK
Recommended Video
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से महज कुछ महीने पहले जिस तरह से मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को आरक्षण का दांव खेला उसके बाद लगातार तमाम राजीनीतिक अपने-अपने तरीके से इसका विरोध कर रहे हैं। इस बीच द्रविड मुन्नेत्र कजगम ने शुक्रवार को सरकार के फैसले को मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी है। डीएमके ने गरीब सवर्णों के आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन को चुनौती दी है। पार्टी ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन को चुनौती दी है।
मद्रास कोर्ट पहुंची पार्टी
मद्रास हाई कोर्ट में इस याचिका को डीएमके के संयोजक सचिव आरएस भारती ने दायर किया है। आपको बता दें कि इससे पहले डीएमके ने संसद में गरीब सवर्ण आरक्षण बिल का विरोध किया था और बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की थी। लेकिन संसद में बिल के पास होने के बाद पार्टी ने इसे कोर्ट में चुनौती दी है। डीएमके चीफ एमके स्टालिन ने भी इस बिल का विरोध किया और उनका कहना है कि आरक्षण आर्थिक आधार पर नहीं बल्कि सामाजाजिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया जाना चाहिए।
124वां संशोधन
आर्थिक रूप से गरीब सवर्णों को आरक्षण के बिल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह बिल सामाजिक समरसता लाएगा। इस बिल को संसद के दोनों सदनों में पास किया गया था, जिसके बाद यह कानून बन गया। 10 फीसदी आरक्षण के लिए किया गया यह 124 वां संविधान संशोधन। इस बिल को अधिकतर दलों ने अपना समर्थन दिया था। हालांकि कुछ दलों ने इस बिल का विरोध किया था और इसे संविधान के खिलाफ बताया था।
एआईएडीएमके ने भी खड़ा किया सवाल
तमिलनाडु की एआईएडीएमके ने भाजपा द्वारा लाए गए इस बिल का समर्थन किया था, लेकिन 10 फीसदी आरक्षण के कोटा को लेकर सवाल खड़ा किया था। पार्टी के नेता थंबीदुरई ने कहा था कि गरीबों के आर्थिक विकास के लिए आपके पास कई सारे कार्यक्रम हैं, योजनाएं हैं, जिसमे मुद्रा योजना, कौशल भारत योजना आदि शामिल हैं। लेकिन यह सरकार अब गरीब सवर्णों को आरक्षण भी देने की बात कह रही है, ऐसे में साफ है कि सरकार की योजनाओं का सही से क्रियान्वयन नहीं किया गया।
मायावती ने बताया चुनावी जुमला
इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस बिल की आलोचना करते हुए कहा था कि यह बिल लोगों को गुमराह करने के लिए लाया गया है, हालांकि उनकी पार्टी ने संसद में इसका समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि यह बिल चुनावी समय पर लाया गया, अगर सरकार गरीब सवर्णों का भला चाहती थी तो पहले ही इस बिल को लाना चाहिए था।
इसे भी पढ़ें- भाजपा छोड़ने वाली सांसद सावित्री बाई फुले ने की अखिलेश से मुलाकात, इस सीट से लड़ सकती हैं चुनाव