हिंदी भाषा विवाद: अमित शाह के बयान के बाद स्टालिन ने खत्म किया आंदोलन
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से हिंदी भाषा को लेकर दी गई सफाई के बाद डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा है कि हमारा राज्यव्यापी विरोध स्थगित कर दिया गया है। हालांकि डीएमके ने यह साफ किया है कि हिंदी के प्रति उनका विरोध जारी रहेगा लेकिन विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया गया है। दरअसल गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि वो किसी भी भाषा को थोपे जाने के तरफदार नहीं है।
दरअसल हिन्दी दिवस (14 सितंबर) के मौके पर अमित शाह के भाषण और ट्वीट के बाद भाषा को लेकर ये विवाद शुरू हुआ था। हिंदी दिवस पर शाह ने कहा था कि आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वह सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है। हालाँकि शाह ने यह भी कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है। शाह के इस ट्वीट के बाद से ही दक्षिणी राज्यों, पश्चिम बंगाल और दूसरे गैर हिन्दीभाषी राज्यों में बहस छिड़ गई ।
शाह के ट्वीट के बाद दक्षिण भारत के इसका पुरजोर विरोध किया। इन नेताओं ने कहा कि शाह उनके राज्यों में हिंदी को थोपने की कोशिश न करें। डीएमके ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था, तो अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन ने कहा कि कोई शाह, सुलतान या सम्राट को विविधता में एकता के वादे को तोड़ना नहीं चाहिए, जिसे भारत को गणराज्य बनाने के समय किया गया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि हम अपनी मातृभाषा से कोई समझौता नहीं करेंगे।
DMK President MK Stalin: Our statewide protest against imposition of Hindi has been postponed after Union Minister Amit Shah has given his clarification on the matter. DMK we will continue to oppose Hindi imposition. pic.twitter.com/vDdJToQAqQ
— ANI (@ANI) September 18, 2019
क्या
कहा
गृहमंत्री
अमित
शाह
ने?
बुधवार
को
अमित
शाह
ने
कहा
कि
मैंने
कभी
भी
हिन्दी
को
दूसरी
क्षेत्रीय
भाषाओं
पर
थोपे
जाने
की
बात
नहीं
की।
मैंने
तो
अपनी
मातृभाषा
के
बाद
दूसरी
भाषा
के
तौर
पर
हिन्दी
को
सीखने
की
बात
कही
थी।
मैं
खुद
गुजरात
से
आता
हूं
जो
कि
एक
गैर
हिन्दीभाषी
सूबा
है।
शाह
ने
कहा
कि
ऐसा
लगता
है
कुछ
लोगों
को
इस
पर
राजनीति
करनी
है,
अगर
ऐसा
है
तो
जिसे
राजनीति
करनी
है
वो
करता
रहे।
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