बिहार चुनाव: दिनारा के मुकाबले में फंसे JDU के मंत्री, LJP के टिकट पर BJP के बागी ने कठिन की राह
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) में दिनारा (Dinara) सीट पर मुकाबला बेहद ही रोमांचक हो गया है। जेडीयू ने राज्यमंत्री जय कुमार सिंह को एक बार फिर मैदान में उतारा है। वहीं आरजेडी ने यहां विजय मंडल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं एलजेपी ने इस सीट पर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे दिग्गज नेता को प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
2015 के चुनाव में जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा थी और उस समय इस सीट से जेडीयू ने जय कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया था। वहीं भाजपा ने राजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया था। राजेंद्र सिंह को भाजपा के बड़े नेताओं में गिना जात था। वे न सिर्फ बिहार बल्कि झारखंड में भी संगठन का काम कर चुके हैं। यही वजह है कि पिछले चुनाव में उनके नामांकन के दौरान झारखंड सरकार के कई मंत्री पहुंचे थे। वे मुख्मंत्री पद के दावेदारों में भी थे। वे चुनाव हार गए लेकिन हार का अंतर केवल 2691 वोटों का था।
भाजपा
के
दिग्गज
नेता
LJP
उम्मीदवार
इस
बार
जब
एनडीए
के
सीट
बंटवारे
में
ये
सीट
गई
तो
राजेंद्र
सिंह
ने
भाजपा
छोड़कर
लोजपा
में
शामिल
हो
गए
और
एलजेपी
के
टिकट
पर
मैदान
में
हैं।
बता
दें
कि
जब
राजेंद्र
सिंह
ने
पार्टी
छोड़ी
वे
पार्टी
के
प्रदेश
उपाध्यक्ष
थे।
हालांकि
राजेंद्र
सिंह
अब
भी
खुद
को
पार्टी
से
अलग
तो
मानते
हैं
लेकिन
विचारधारा
से
अलग
नहीं।
वहीं
एलजेपी
की
इस
चुनाव
में
नीति
भी
रही
है
कि
बीजेपी
से
बैर
नहीं
नीतीश
तेरी
खैर
नहीं।
राजेंद्र
सिंह
के
समर्थक
ये
दावा
कर
रहे
हैं
कि
वे
भले
ही
चुनाव
एलजेपी
के
टिकट
पर
लड़
रहे
हैं
लेकिन
भाजपा
और
संघ
के
लोग
राजेंद्र
सिंह
को
जिताने
के
लिए
तन-मन
से
लगे
हुए
हैं।
जय
कुमार
की
राह
होगी
मुश्किल
जेडीयू
के
जय
कुमार
सिंह
यहां
दो
बार
से
विधायक
हैं।
2010
में
जहां
उन्होंने
राजद
की
सुंदरी
देवी
को
16
हजार
से
अधिक
वोटों
से
हराया
था
वहीं
2015
में
बीजेपी
के
सामने
मुकाबले
में
उनकी
जीत
का
अंतर
3
हजार
से
भी
कम
रह
गया
था।
जय
कुमार
सिंह
के
सामने
सबसे
बड़ी
मुश्किल
है
कि
अगर
बीजेपी
का
कैडर
राजेंद्र
सिंह
के
साथ
जाता
है
तो
उनकी
जीत
की
राह
कठिन
होती
जाएगी।
बीजेपी
के
राजेंद्र
सिंह
पिछले
37
साल
से
राजनीति
में
हैं
और
उनके
न
सिर्फ
भाजपा
बल्कि
संघ
से
भी
अच्छे
रिश्ते
हैं।
ऐसे
में
अगर
अंदर
से
कोई
संदेश
उनके
समर्थन
में
चला
तो
मुश्किल
होगी।
फिलहाल जेडीयू और भाजपा दोनों एक साथ होने की बात कह रहे हैं लेकिन लोजपा की रणनीति जेडीयू की सीटों पर बीजेपी वोट अपने पाले लाने की है। रविवार को ही एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट करने की अपील की है। इसके पहले चिराग खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बता चुके हैं।
ये
रहे
थे
पिछले
5
चुनावों
के
नतीजे
दिनारा
सीट
पर
पिछले
चार
चुनावों
की
बात
करें
तो
जेडीयू
का
पलड़ा
भारी
दिखता
है।
चार
बार
जेडीयू
यहां
जीत
दर्ज
कर
चुकी
है।
2000
में
हुए
विधानसभा
चुनाव
में
जेडीयू
के
रामधनी
सिंह
ने
राजद
के
सरोज
कुमार
गुप्ता
को
11,078
वोट
से
हराया
था।
2005
के
फरवरी
में
जब
चुनाव
हुए
तो
रामधनी
सिंह
ने
बीएसपी
के
अरुण
कुमार
सिंह
को
2778
वोट
से
हराया।
इसी
साल
अक्टूबर
में
दोबारा
चुनाव
हुए
जिसमें
रामधनी
सिंह
बीएसपी
की
सुंदरी
देवी
से
महज
884
वोट
से
चुनाव
हार
गए।
2010
में
जेडीयू
ने
जय
कुमार
सिंह
को
प्रत्याशी
बनाया।
जय
कुमार
ने
राजद
के
टिकट
पर
लड़
रही
सुंदरी
देवी
को
16,610
वोटों
से
हरा
दिया।
2015
में
जय
कुमार
सिंह
ने
भाजपा
के
राजेंद्र
सिंह
को
2691
वोट
से
पराजित
किया।
अमित शाह भी बोले- नीतीश ही होंगे बिहार के सीएम, कहा- LJP को ऑफर की थीं उचित सीटें