दिलसुख नगर ब्लास्ट: आईएम के यासीन भटकल को मिली मौत की सजा
21 फरवरी 2013 को हैदराबाद के दिलसुख नगर में हुए ब्लास्ट में 18 लोगों की मौत हो गई थी। इस ब्लास्ट की साजिश इंडियन मुजाहिदीन ने की थी।
हैदराबाद। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की स्पेशल कोर्ट ने सोमवार को इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के सरगना यासिन भटकल और चार और लोगों को मौत की सजा सुनाई है। भटकल और चार अन्य लोगों को हैदराबाद के दिलसुख नगर में हुए ब्लास्ट मे दोषी पाए जाने की वजह से सजा सुनाई गई है।
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रेयरेस्ट ऑफ रेयर
कोर्ट ने इस ब्लास्ट को रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में रखा है। एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने 13 दिसंबर को यासीन भटकल और चार लोगों को ब्लास्ट का दोषी पाया था।
हैरानी की बात है कि यह पहला मौका है जब यासीन भटकल को किसी ब्लास्ट में सजा सुनाई गई है।
एनआईए ने भटकल और उसके साथियों के लिए मौत की सजा की मांग की थी। एनआईए ने अपील की थी कि यह केस रेयरेस्ट ऑफ रेयर की कैटेगरी में आता है।
इसलिए इन्हें मौत की सजा दी जानी चाहिए। 13 दिसंबर को भटकल को आईपीएसी के अनलॉफल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट ऑफ 1967 के तहत सजा सुनाई गई थी।
18 की मौत और 131 घायल
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा की प्रॉसिक्यूशन ने उन सभी सुबूतों को पेश किया जिनसे साबित हुआ कि साजिश में भटकल और बाकी लोग दोषी थे।
कोर्ट ने आईएम के को-फाउंडर यासीन भटकल के अलावा पाक नागरिक जिया-उर रहमान उर्फ वकास, असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी, तहसीन अख्तर उर्फ मोनू और एजाज शेख के खिलाफ भी चार्जेस लगाए थे।
हालांकि कोर्ट ने रियाज भटकल के केस को अलग कर दिया जो कि फिलहाल फरार है और आईएम का एक और फाउंडर है।
21 फरवरी 2013 को हैदराबाद के दिलसुख नगर में हुए ब्लास्ट में 18 लोगों की मौत हो गई थी। यह ब्लास्ट दिलखुश नगर स्थित कोणार्क और वेंकटादिरी थियेटर्स में हुए थे। 18 लोगों की मौत के अलावा इसमें 131 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
कौन-कौन से ब्लास्ट में शामिल आईएम
बहस के दौरान एनआईए ने कहा कि आईएम को वर्ष 2009 में बैन कर दिया गया था। वाराणसी, फैजाबाद और लखनऊ के कोर्ट्स में नवंबर 2007 में हुए ब्लास्ट के अलावा यह संगठन सात मार्च 2006 को वाराणसी, 11 जुलाई 2006 को मुंबई सीरियल ब्लास्ट्स और 25 अगस्त 2007 को हैदराबार में हुए ट्विन ब्लास्ट में इसी संगठन का हाथ था।
इसके अलावा जयपुर में 13 मई 2008 को हुए ब्लास्ट, 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट, 13 सिंतबर 2008 को दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट्स के अलावा फरवरी 2010 में पुणे की जर्मन बेकरी में हुए ब्लास्ट की साजिश भी इसी संगठन ने की थी।
इन ब्लास्ट्स के अलावा 17 अप्रैल 2010 को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम और 13 जुलाई 2011 को मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट्स में भी आईएम का ही हाथ था।