रमा देवी : अब कामयाबी की मिसाल है यह दिव्यांग महिला, कभी मांगा करती थीं भीख, सुसाइड की कोशिश भी की
नई दिल्ली। हैदराबाद की रहने वाली रमा देवी इन दिनों अपने संघर्ष की कहानी को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। शारीरिक रूप से विकलांग रमा देवी ने जीवनयापन के लिए जिन कठिनाइयों का सामना किया उसके आगे कोई भी अपने घुटने टेक देगा। लेकिन रमा देवी ने मुश्किलों से हार मानने की बजाए उसका सामना किया और आज सम्मान का जीवन जी रही है। इस बीच रमा देवी ने दो साल भीख भी मांगा और दो बार खुदकुशी करने का भी प्रयास किया लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था।
महिलाओं के लिए प्ररणा बनीं रमा देवी
दिव्यांग महिला रमा देवी के जीवन की कहानी किसी को भी प्रेरित कर सकती है। दो साल तक भीख मांगने के बाद रमा ने अपनी खुद की फ्रूट ट्रॉली स्थापित की है। इसके लिए उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। रमा देवी ने बताया कि बहुत कम उम्र में ही उन्होंने पोलियो से अपने पैर खो दिए। रमा ने कहा, मेरे पैरों ने पोलियो के कारण कम उम्र में काम करना बंद कर दिया था। विकलांगता के बावजूद, राम देवी ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।
इंटरमीडिएट तक पढ़ी हैं रमा देवी
रमा देवी बताती हैं, 'मैंने अपना दसवीं कक्षा जिला परिषद हाई स्कूल और इंटरमीडिएट तेलंगाना राज्य के नलगोंडा में गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज से किया है।' रमा देवी ने कभी अपने माता-पिता को नहीं देखा, उन्हें बहुत छोटी उम्र में एक परिवार द्वारा गोद ले लिया गया था। हाई स्कूल पूरा करने के बाद उन्होंने शादी की और हैदराबाद चली गईं। सात साल तक अपने वैवाहिक जीवन में रहने के बाद दो साल पहले ही उनके पति का निधन हो गया।
पति की मौत के बाद हो गई थीं बेसहारा
रमा देवी ने कहा, 'मैंने दो साल पहले अपने पति को खो दिया था। उनके साथ मैं बहुत खुश थी लेकिन पति के जाने के बाद वह बेसहारा हो गईं। मैंने अपने और अपने तीन बच्चों को पालने के लिए भीख मांगकर पैसे जुटाना शुरू किया। दो साल तक मैं हैदराबाद की सड़कों पर भीख मांगती रही।' बता दें कि रमा देवी के तीन बच्चे हैं, दो बेटों को जन्म देने के बाद उन्होंने अपने पति के साथ एक बेटी को गोद लिया था। उन्होंने दो साल तक भीख मांगने के बावजूद अपने बच्चों को स्कूल भेजा।
भीख मांगकर बच्चों को पढ़ाया
रमा देवी ने आगे बताया, 'मैंने अपने बच्चों को दो साल के लिए स्कूल भेजा, हालाँकि मैं भीख माँग रही थी और अब भी, मेरे बच्चे पढ़ रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'जब मैं सड़क पर भीख मांगती थी तो सड़कों पर खुद को खींचने के दौरान पैरों और हाथों से खून बहने लगता था, ये देख एक अनजान व्यक्ति द्वारा व्हीलचेयर की पेशकश की गई।' रमा देवी बताती हैं कि अपने जीवन से दुखी होकर उन्होंने आत्महत्या करने की भी कोशिश की। हालांकि उन्हें बाद में अपनी जिंदगी जीने का एक रास्ता मिल गया।
मरने की कोशिशों के बाद भी भगवान ने बचाया
रमा ने कहा कि शायद यही वजह है कि मरने की कोशिशों के बाद भी भगवान मुझे हर समय बचा रहा था। शेख अफसार नामक एक स्थानीय विक्रेता ने बताया कि पिछले दो सालों से रमा देवी भीख मांग रही थी और हम उसकी हालत देखकर दंग रह जाते थे। अब हम खुश हैं कि वह अपने व्यवसाय में लगी हुई है'। बता दें कि हैदराबाद की रमा देवी अब दूसरों के लिए प्ररणा बन गई हैं, सोशल मीडिया पर लोग उनकी हिम्मत की सराहना कर रहे हैं।
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