आरएसएस से अलग क्यों हैं मोदी के बोल!
बेंगलूरू। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ लव जिहाद के मुद्दे को उछाल मुस्लिम समुदाय को टारगेट किए हुए है तो वहीं नरेंद्र मोदी मुस्लिम समुदाय के प्रति अपनी टिप्पणियों में सहानुभूति जताते नजर आते हैं। इसकी वजह जानने के लिए जहां बुद्धिजीवियों में बहस हो रही है तो वहीं आम जन औऱ विशेष तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय आशंका में है। यह आशंका नरेंद्र मोदी की छवि के लिए झटका लेकर आ सकता है। इसका असर देखने चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों में देखने को मिल सकता है।
हाल ही प्रधानमंत्री ने टीवी चैनल को दिए अपने एक साक्षात्कार में कहा कि देश का मुस्लिम युवक देश के लिए मर मिटेगा लेकिन देश के खिलाफ नहीं जाएगा। दूसरी ओर अगर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ औऱ भाजपा की विचारधारा से जुड़े हिंदूवादी संगठनों के तमाम नेताओं की ओऱ से लगातार आ रहे बयानों में काफी आंतर है।
सहयोगी संगठन बात तो दूर है भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने ही कहा था कि जहां भी 10 फीसदी से ज्यादा अल्पसंख्यक होते हैं वहीं दंगे होते हैं। जहां भी वे 35 फीसदी से अधिक होते हैं वहां गैर मुस्लिम रह भी नहीं सकते। भाजपा का 'वैचारिक' संगठन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गत दिनों बयान दिया था कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है। इसी के बाद आरएसएस समर्थक राकेश सिन्हा ने भागवत के बयान का समर्थन करते हुए कहा था कि भारत एक हिंदू संस्कृति है। इसके अलावा भी कई उदाहरण हैं।