लॉकडाउन में खुद को फिट रखने के लिए डाइटिंग कर रहे चिड़ियाघर के शेर और तेंदुए, विशेषज्ञ हैरान
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन में दुनियाभर के करोड़ों लोग अपने घरों में कैद रहने को मजबूर हैं। इस महामारी का खतरा जानवरों में भी पाया गया है जिसके चलते सुरक्षा के मद्देनजर चिड़ियाघर में रखे गए जंगली जानवरों का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। किसी भी बीमारी से बचने के लिए उन्हें डाइटिंग कराई जा रही है, साथ ही उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए इम्यूनो मॉड्यूलर ट्रीटमेंट दिया जा रहा है।
डाइटिंग कर रहे चिड़ियाघर के जानवर
उत्तर प्रदेश के कानपुर में मौजूद चिड़ियाघर के शेर, बाघ और अन्य जंगली जानवर इन दिनों डाइटिंग में व्यस्त हैं। जानवरों को बीमारी से बचाने के लिए उनके खान-पान और स्वास्थ्य का ख्याल रखा जा रहा है। इतना ही नहीं प्रत्येक जानवर को पांच दिन का स्पेशल एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट अलग से दिया जा रहा है। कोरोना संकट में प्राणि उद्यान प्रशासन चिड़ियाघर में रह रहे जानवरों में नाक बहना, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षणों पर विशेष नजर बनाए हुए है।
बाघिन के कोरोना संक्रमित होने के बाद लिया गया फैसला
बता दें कि अमेरिका के न्यूयॉर्क के ब्रॉन्क्स चिड़ियाघर में एक बाघिन के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद और मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों के असामान्य व्यवहार को देखने के बाद प्राणि उद्यान प्रशासन ने यह कदम उठाया है। कानपुर प्राणि उद्यान के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ यूसी श्रीवास्तव बताते है कि बाघ और तेंदुए के लिए चिड़ियाघर का माहौल बहुत अच्छा है।
विटामिन ए, डी, ई और एच दिया जा रहा
यूसी श्रीवास्तव ने आगे कहा कि कानपुर चिड़ियाघर में करीब 25 तेंदुए और आठ बाघ हैं, यहां रह रही बाघिन त्रिशा ने अभी तक 17 बच्चों को जन्म दिया है। हम उन बच्चों के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए विटामिन ए, डी, ई और एच का ट्रीटमेंट दे रहे हैं। इसके अलावा पांच दिन का एंटीबायोटिक कोर्स अलग से चल रहा है। वहीं, भोजन में भी विटामिन और मिररल्स की मात्रा बढ़ाई गई है ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा पोषण मिल सके।
जानवरों की खुराक 2 किलो कम की गई
यूसी श्रीवास्तव ने बताया कि मांसाहार खाने वाले जानवरों की खुराक दो किलो कम कर दिया गया है, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो सके इसलिए डाइटिंग कराया जा रहा है। बड़े बाघ जो आमतौर पर 10 किलो भोजन करते हैं उनकी खुराक को दो किलो कम कर के 8 किलो कर दिया गया है। उसी प्रकार छोटे बाघ को नौ की जगह सात किलो और तेंदुए को चार की जगह तीन किलो मीट दिया जा रहा है।
चिड़ियाघर में गूंजी किलकारी
यूसी श्रीवास्तव के मुताबिक जानवरों की साफ सफाई और सेनेटाइजेशन का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने कहा, लॉकडाउन के चलते चिड़ियाघर में इंसानी दखल रुकने से जानवरों के स्वाभाव में बदलवा आया है। पक्षियों की देखभाल करने वाले साहब लाल ने कहा, ऐसा पहली बार हुआ है जब गर्मियों में स्पॉट बिल्ड डक ने 12 बच्चों को जन्म दिया है। जबकि बतख की खास प्रजाति ने 30 बच्चों को जन्म दिया है। इसके अलावा हिरणों और चीतल में भी ब्रीडिंग बढ़ गई है।
जानवरों के स्वाभाव में आश्चर्यजनक बदलाव
जानवरों के स्वाभाव का अध्ययन कर रही डॉक्टरों की टीम हैरान है, उन्होंने बताया कि 40 दिनों तक दर्शकों के प्रवेश न करने से एक भी हिरण का हार्ट फेल नहीं हुआ है, आम दिनों में डरे और सहमें रहने वाले हिरण वर्तमान समय में उनका स्वाभाव कोमल हुआ है। दूसरी ओर बाघों के स्वाभाव में भी बदलाव आया है, खूंखार बघीरा, बूढ़ा प्रशांत और बाघिन त्रिशा सभी इन दिनों अपने बाड़े में खेलते-कूदते नजर आते हैं। 25 तेंदुओं में से इस बीच कोई बीमार नहीं हुआ।
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