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क्या पाकिस्तान के लिए सियाचिन छोड़ना चाहती थी UPA सरकार ? पूर्व आर्मी चीफ ने बताई सच्चाई

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नई दिल्ली- गलवान घाटी की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान बाद भी कांग्रेस उनकी बातों पर यकीन करने के लिए तैयार नहीं हुई। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपने सालभर पहले वाले तेवर में ही प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार पर हमले करने में लग गए। इसके जवाब में बुधवार को भाजपा ने राहुल गांधी ही नहीं, बल्कि पूरी यूपीए सरकार और नेहरू-गांधी परिवार पर जोरदार पलटवार कर दिया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि असल में यह परिवार अपने शासनकाल में खुद हिंदुस्तान की जमीन चीन और पाकिस्तान को देने के लिए एक प्रॉपर्टी डीलर के तौर पर काम करने में लगा हुआ थ। आरोप लगाकर सवाल किया गया कि इस तरह की डीलिंग में उन्होंने कितने माल कमाए ? उन्हें देश को बताना चाहिए। आरोप लगाए गए कि जब मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार थी तो वह पाकिस्तान के लिए सियाचिन छोड़ने के लिए भी तैयार हो गई थी। कहा गया कि अगर उस समय आर्मी नहीं होती और तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल जेजे सिंह ने मनमोहन सिंह को नहीं रोकते तो डील पक्की कर ली गई थी। अब खुद जनरल जेजे सिंह ने उस दौर की राज पर से पर्दा उठा दिया है।

'सियाचिन को शांति का पर्वत बनाकर सेना को लौटाने का था प्रस्ताव'

'सियाचिन को शांति का पर्वत बनाकर सेना को लौटाने का था प्रस्ताव'

असल में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल आर्मी चीफ ने सियाचिन ग्लेशियर के लिए यूपीए सरकार की जिस योजना का खुलासा किया है, उसपर सहसा यकीन करना मुश्किल हो रहा है। हम यहां उनकी बातों के कुछ अंश आपके सामने पेश कर रहे हैं, जो उन्होनें इंडिया टीवी को दिए इंटरव्यू में कही हैं। जनरल सिंह ने सियाचिन में पाकिस्तान की स्थिति के बारे में जो बातें कही हैं पहले वह जान लीजिए। उन्होंने कहा, "(भारत ने सियाचिन को)1984 में कंट्रोल किया। पाकिस्तान कभी भी वहां आया ही नहीं। वो जहां हैं, वहां से सियाचिन ग्लेशियर को देख भी नहीं सकते हैं। वे अपने देश को झूठ बोलते हैं। वो सियाचिन से कम से कम 10-15 किलोमीटर पश्चिम की तरफ हैं।' इसके बाद जनरल सिंह ने कहा कि दरअसल, सियाचिन से भारतीय सेना को हटाने का प्रस्ताव 1989 में ही तय कर लिया था और वह तब भी अहम पद पर थे और इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा, ''सियाचिन को शांति का पर्वत बनाने का जो प्लान था, उस प्लान में उस समय के डिसीजन मेकर शामिल थे; और उस समय से पहले 1989 में एक प्रपोजल बना कि हम इसको एक शांति का क्षेत्र बना देंगे। तब भी सेना ने पाकिस्तान के अपने पोजीशन से पीछे हटने तक इसे मानने से साफ इनकार कर दिया था।"

'आर्मी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को मना कर दिया था'

'आर्मी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को मना कर दिया था'

लेकिन, जेजे सिंह ने इसके बाद जो कुछ कहा है वह और भी ज्यादा गंभीर है। उनके शब्दों में "ये जो प्लान है 1989 में बनाया गया था एकबार..... और ये प्लान बाद में भी जब मैं आर्मी चीफ था उस समय भी 2006 में प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) खुद गए सियाचिन में ....मैंने उनको खुद बोला देखो यहां पर हमारा सब कब्जा महत्वपूर्ण पहाड़ियों पर है। सारे महत्वपूर्ण दर्रों पर है। तो अभी हमें यहां से कोई हिला नहीं सकता। लेकिन, इसको अगर आप बोलते हैं कि इसको एक जोन ऑफ पीस बनाना है तो पाकिस्तान को पहले कबूल करना पड़ेगा कि उनकी मौजूदा पोजीशन कहां है......................जब पाकिस्तान ने इनकार कर दिया कि हम नहीं बताएंगे कि हमारी पोजीशन कहा हैं, हम कहा हैं, तो इसका मतलब है कि उन्हें डर है अपने देशवासियों को मुंह दिखाने का इसलिए उन्होंने इनकार किया कि हम साइन नहीं करेंगे। फिर हमनें कहा कि हम इस प्रपोजल को रद्द कर देंगे।.......'असली बात ये है कि क्लियरली मैंने प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) को बताया कि आप ये कदम मत लीजिए, क्योंकि ये आप संभाल नहीं पाएंगे। और इसलिए आर्मी का रेकोमेंडेशन यही है।....... '"

सियाचिन देने से मां-बेटे को क्या फायदा होता- भाजपा

भाजपा का आरोप है कि अगर सेना नहीं रोकती तो मनमोहन सरकार पाकिस्तान को सियाचिन दे देती। इससे चीन और पाकिस्तान दोनों को फायदा होता, क्योंकि आज हम वहां लाभदायक स्थिति में हैं। भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने पूछा "चाइना को फायदा, पाकिस्तान को फायदा और मैं यहां पूछ रहा हूं कि ये मां-बेटे (सोनिया-राहुल) को क्या फायदा होता।.... इस रॉयल डायनास्टी को क्या फायदा होता? " बाद में अपने एक इंटव्यू के वीडियो को ट्वीट करके पात्रा ने लिखा, "नेहरू-वाड्रा" परिवार एक Property-dealer की तरह हिंदुस्तान की जमीन चीन और पाकिस्तान में बांट रहे थे...बदले में कितना लिया? मोटा माल ..बताए कांग्रेसी?"

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English summary
Did UPA government want to leave Siachen for Pakistan? Former Army Chief Gen JJ Singh told the truth
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