क्या PM-KISAN स्कीम का पैसा 20.48 लाख गलत लोगों के हाथों में गया- RTI के हवाले से दावा
नई दिल्ली- सूचना के अधिकार (RTI) के तहत हासिल आंकड़ों के आधार पर एक बहुत बड़ा दावा किया गया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के हवाले से कहा गया है आरटीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पीएम-किसान (PM-KISAN)के तहत 20.48 लाख ऐसे लोगों ने 1,364 करोड़ रुपये उठा लिए हैं, जो इसके हकदार नहीं थे। जानकारी के मुताबिक ऐसे गैर-वाजिब लाभार्थियों में सबसे ज्यादा तादाद पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में है। उनमें भी पंजाब, असम और महाराष्ट्र में ही ज्यादातर ऐसे लोग मिले हैं, जिन्होंने अयोग्यता होते हुए भी इस स्कीम का लाभ उठाया है। यह बात सूचना के अधिकार (RTI) के तहत सरकार से मांगी गई जानकारी में सामने आई है।
जो हकदार नहीं थे, उन्हें भी मिले पैसे- RTI डाटा
जानकारी के मुताबिक वेंकटेश नायक नाम के एक आरटीआई आवेदनकर्ता को यह आंकड़े केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिले हैं, जो कॉमनवेल्थ हुमैन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) से जुड़े हैं। इस दावे के मुताबिक पीएम-किसान योजना का लाभ उठाने वाले ऐसे दो तरह के अयोग्य लोग पाए गए हैं, जिनमें से एक तो ' अयोग्य किसानहैं'(ineligible farmers) और दूसरे वो 'किसान जो आयकर दाता'(income tax payee farmers) हैं। नायक ने कहा है, 'सरकार के अपने आंकड़े बताते हैं कि पैसे गलत हाथों में गए हैं।........आधा से ज्यादा (55.58%) गैर-वाजिब व्यक्ति आयकर दाता की श्रेणी में आते हैं।......बाकी 44.41% लोग अयोग्य किसान की श्रेणी में आते हैं।'
ऐसे गलत लोगों से वसूली की प्रक्रिया शुरू-आरटीआई कार्यकर्ता
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना केंद्र सरकार ने 2019 में शुरू की थी। इसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को साल में 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता तीन बराबर किश्तों में दी जाती है। इसके लिए जरूरी है कि उस किसान परिवार के पास कुल 2 एकड़ या उससे कम कृषि योग्य जमीन है। नायक ने मीडिया के हवाले से यह भी कहा है कि जिन अयोग्य लोगों ने इसका लाभ उठाया है, उनसे इस रकम की वसूली की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। उनके मुताबिक 1,364.13 करोड़ रुपये की रकम जो गलत हाथों में जाने की बात कही गई है, वह आंकड़े योजना की शुरुआत से लेकर 31 जुलाई, 2020 तक के हैं।
अयोग्य लाभार्थियों में पंजाब सबसे आगे-RTI डाटा
सबसे बड़ी बात ये है कि जिन लोगों ने इस योजना का नाजायज लाभ उठाया है, उनमें से अधिकतर सिर्फ 5 राज्यों यानि पंजाब (Punjab),असम (Assam),महाराष्ट्र (Maharashtra),गुजरात (Gujarat)और उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के हैं। इनमें भी पंजाब सबसे टॉप पर है, जहां कृषि से कमाई करने वाले किसानों की औसतन तादाद देश में सबसे अधिक मानी जाती है। नायक के मुताबिक, 'पंजाब में 23.16 फीसदी (4.74 लाख) अयोग्य लोगों ने इस स्कीम का गलत फायदा उठाया, उसके बाद असम के 16.87% (3.45 लाख लाभार्थी) और महाराष्ट्र के 13.99% (2.86 लाख लाभार्थी) गलत लोग शामिल हैं। सिर्फ इन तीनों राज्यों के अयोग्य लोगों ने स्कीम का आधे से ज्यादा यानि 54.3% गलत फायदा उठाया।' इनके बाद गुजरात के 8.05% (1.65 लाख लाभार्थी) और उत्तर प्रदेश के 8.01% (1.64 लाख लाभार्थी) लोग शामिल हैं। सिक्किम इस मामले में सबसे पीछे है, जहां सिर्फ एक लाभार्थी ऐसा मिला है, जो इसके योग्य नहीं था।
कई लोगों को रखा गया है इस स्कीम से वंचित
उनके मुताबिक आरटीआई से मिले आंकड़ों के मुताबिक 49.25 इंस्टॉलमेंट 'आयकर दाता किसानों' को दिया गया और 18.95 इंस्टॉल्मेंट देशभर के अयोग्य किसानों को मिला। इस स्कीम के तहत कई तरह के किसानों को इसके लाभ से वंचित किया गया है, जिनमें इंस्टीट्यूशनल लैंडहोल्डर्स, एक से ज्यादा लाभार्थी वाले किसान परिवार, पूर्व या मौजूदा संवैधानिक पद पर बैठे लोग, पूर्व और मौजूदा मंत्री, सांसद, विधायक, विधान पार्षद, मेयर और जिला पंचायत के अध्यक्ष, मौजूदा और रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी, 10,000 से ज्यादा मासिक पेंशनधारी, आयकर दाता और डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड एकाउंटेंट और आर्किटेक्ट जैसे प्रोफेशनल। यह स्कीम 24, फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर से लॉन्च की थी।
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