क्या ट्रैक्टर रैली के लिए CJI को धमकाने वाले खालिस्तानी संगठन SFJ ने करवाई हिंसा ?
Tractor Rally: जब किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हो रही थी, तभी मुख्य न्यायधीश जस्टिस एसए बोबडे(Chief Justice of India S A Bobde) ने भी आशंका जताई थी कि अगर गणतंत्र दिवस के दिन प्रदर्शनकारियों को ट्रैक्टर मार्च की इजाजत दी जाती है तो हिंसा भड़क सकती है। देश के चीफ जस्टिस की यह आशंका सच साबित हो गई। प्रदर्शन के अधिकार के नाम पर चाहे जिन भी परिस्थितियों में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने मंगलवार को किसानों को ट्रैक्टर परेड करने की अनुमति दी हो, लेकिन इतना तो तय है कि हिंसा होगी, इसकी बात देश की सबसे बड़ी अदालत में भी बार-बार उठी थी और किसानों की पैरवी करने आए वकीलों ने इसे नकारने की हर मुमकिन कोशिश की थी। लेकिन, आज जब देश ने 72वें गणतंत्र दिवस पर लालकिले का वह 'काला दिन' देखा है तो वो इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है। लेकिन, बात सिर्फ हिंसा की नहीं है। सवाल इससे भी ज्यादा गंभीर है। वह इसलिए कि ट्रैक्टर रैली को इजाजत देने के लिए देश के मुख्य न्यायधीश को भी धमकी मिली थी और वह धमकी एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (Sikhs for Justice)ने दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने भी जताई थी ट्रैक्टर रैली में हिंसा की आशंका
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब मुख्य न्यायधीश जस्टिस एसए बोबडे (Chief Justice of India S A Bobde)की अगुवाई वाला बेंच 20 जनवरी को किसान यूनियनों की ओर से दलीलें सुन रहा था, तभी इसमें हिंसा होने की आशंका जताई गई थी। लेकिन,किसान संघों के वकील ने इन आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया था। सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों में से 8 की ओर से पेश होते हुए वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan)ने कहा था, 'ट्रैक्टर रैली आउटर रिंग रोड पर होगी। हम सिर्फ गणतंत्र दिवस मना रहे हैं और शांति भंग नहीं करेंगे।' इस दौरान सीजेआई (CJI) ने मार्च की अनुमति देते हुए कहा था, 'हम एक ही राइडर जोड़ेंगे कि उन्हें दिल्ली के नागरिकों के लिए पूर्ण शांति सुनिश्चित करनी होगी।' इसपर प्रशांत भूषण ने भरोसा दिया था कि यूनियनों ने पहले ही शांति बनाए रखने की बात कही है। लेकिन, लगता है कि भूषण के वादे पर यकीन करना देश को ऐतिहासिक तौर पर भारी पड़ गया।
सरकार ने भी अदालत में जाहिर की थी हिंसा की आशंका
अदालत में सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी हिंसा की आशंका जताई थी और मंगलवार की घटना ने उनके भय को सच साबित कर दिया। अटॉर्नी जनरल ने कहा था, 'अगर दिल्ली की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर 5,000 ट्रैक्टर आ जाएंगे तो शांति बनाए रखने में मुश्किल होगी।' उन्होंने अदालत से बार-बार गुहार लगाई थी कि किसान संगठनों को निर्देश दें कि ट्रैक्टर रैली ना निकालें। उन्होंने अदालत से यहां तक कहा था कि 'अवांछित और बाहरी तत्वों एवं विचारधाराओं ने आंदोलन पर कब्जा कर लिया है। ' लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की चिंताओं को नकारते हुए 'प्रदर्शन के अधिकार' को तबज्जो देना तय किया था।
'वी डू नॉट वांट ब्लड ऑन आवर हैंड्स'
यहां तक कि 11 जनवरी की सुनवाई के दौरान भी चीफ जस्टिस ने किसान यूनियनों के वकील दुष्यंत दवे(Dushyant Dave) से सवाल पूछा था कि अगर हिंसा की कोई छोटी घटना भी होती है तो क्या किसान नेता उसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं? जस्टिस बोबडे ने दुष्यंत दवे से पूछा था, 'सबसे गंभीर सवाल जान और संपत्ति को होने वाली संभावित नुकसान को लेकर है। हमें प्रदर्शन से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जिम्मेदारी कौन लेगा? यदि किसान नेता जिम्मेदारी ले सकते हैं तो प्रदर्शन होने दीजिए।' इसपर दवे ने जवाब दिया कि 'कोई (जिम्मेदारी )नहीं लेगा।' हालात की गंभीरता को समझते हुए चीफ जस्टिस ने इसपर कहा था, 'भगवान ना करे कि कुछ भी गलत हो।....वी डू नॉट वांट ब्लड ऑन आवर हैंड्स...... '
चीफ जस्टिस को मिली थी रैली ना रोकने की धमकी
सारी आशंकाओं के होते हुए भी गणतंत्र दिवस पर भारतीय लोकतंत्र पर लगने वाले कलंक को कोई रोक नहीं पाया। यह मामला और भी गंभीर इसलिए हो जाता है, क्योंकि इस सबसे पहले एक प्रतिबंधित आतंकी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' (Sikhs for Justice)ने देश के चीफ जस्टिस बोबडे (Chief Justice of India S A Bobde)तक को धमकी दी थी कि वह 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को ना रोकें। रविवार को भी इस संगठन ने सीआईएसएफ (CISF) कंट्रोल रूम में धमकी भरे कॉल किए थे।
हिंसा में 'सिख फॉर जस्टिस' का हाथ ?
सबसे बड़ा सवाल है कि क्या यही खालिस्तानी आतंकी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' (Sikhs for Justice) ही ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा और लालकिले की घटना के लिए जिम्मेदार है? क्योंकि टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के पास ऐसी सूचना है कि जब गणतंत्र दिवस के दिन सिख प्रदर्शनकारियों का जत्था 'निशान साहिब' फहराने के लिए लालकिले के खंभे पर चढ़ा हुआ था, नीचे वहीं पर खालिस्तानी झंडा भी लहराया जा रहा था। अब खुफिया एजेंसियां और स्पेशल सेल इन सूचनाओं की पड़ताल में जुटी हुई हैं। क्योंकि, घटनास्थल का एक वीडियो भी खूब वायरल है, जिसमें खंभे पर चढ़ा शख्स तिरंगे को जमीन पर फेंक रहा है।
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