कैलाश मानसरोवर यात्रा: राहुल गांधी के नॉनवेज खाने वाली वायरल खबर का सच
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर यात्रा के बीच विवाद खड़ा हो गया है। नेपाली मीडिया में छपी खबर के मुताबिक, राहुल गांधी ने नेपाल में नॉनवेज खाना खाया। इस खबर के जंगल में आग की तरह फैलने के बाद नेपाल के वूटू रेस्टोरेंट ने फेसबुक पर सफाई जारी कर दी। रेस्त्रां ने दावा किया कि राहुल गांधी ने वेज खाना खाया था और उनके मेन्यू के बारे में रेस्टोरेंट की ओर से मीडिया में कोई बयान नहीं दिया गया। रेस्टोरेंट की सफाई के बाद मामला थमता दिख रहा था, लेकिन भारतीय चैनल ने रेस्टोरेंट के वेटर से बात कर ली। वेटर कह रहा है कि राहुल गांधी ने चिकन कुरकुरे और नेपाली नॉनवेज डिश नेवारी खाई। कहानी एकदम उलझ गई है। आखिर किसे सच माना जाए, वेटर को या रेस्टोरेंट के स्टेटमेंट को? वेज और नॉनवेज से अलग इस खबर के कई और पहलू भी हैं।ं
31 अगस्त को नेपाल पहंचे थे राहुल गांधी, तब मोदी भी वहीं थे
राहुल गांधी के नॉनवेज खाने को लेकर पूरा विवाद इस तर्क के आधार पर खड़ा हुआ है कि उन्होंने हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। राहुल गांधी 31 अगस्त को नेपाल पहुंचे थे। पीएम नरेंद्र मोदी बिम्सटेक समिट में हिस्सा लेने के लिए 31 अगस्त को ही नेपाल पहुंचे थे। राहुल गांधी 31 को नेपाल में रुकने के बाद अगले दिन ल्हासा के लिए निकल गए, क्योंकि कैलाश मानसरोवर के लिए वहीं से रास्ता जाता है। एक सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर यात्रा कहां से शुरू मानी जाए? तर्क दिया जा रहा है कि नेपाल तो स्टॉपेज मात्र है। असल यात्रा तो तिब्बत पहुंचने पर ही शुरू होगी, क्योंकि कैलाश मानसरोवर तिब्बत में है, नेपाल में नहीं।
कब से शुरू मानी जाए राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर यात्रा
वैसे, हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अपने घर से किसी धार्मिक स्थान के लिए निकलते ही तीर्थ यात्रा शुरू मानी जाती है। ऐसे में यह तर्क तो सही नहीं है कि नेपाल स्टॉपेज मात्र है, क्योंकि राहुल गांधी की यात्रा उसी वक्त शुरू हो गई जब वह अपने घर से कैलाश मानसरोवर के लिए निकले। अब बचे दो सवाल- पहला क्या कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान नॉनवेज खाना सही है? दूसरा- क्या राहुल गांधी ने नॉनवेज खाया या नहीं? दोनों सवालों के जवाब तलाशते हैं।
हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली बात जरा राजनीतिक लगती है
वैष्णव और शिव मार्ग भक्ति की दो धाराएं एक ही सागर में जाकर मिलती हैं। स्वयं विष्णु भगवान शिव की उपासना करते हैं और शिवजी अपना आराध्य विष्णु को मानते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, विष्णु ने जब राम और कृष्ण के रूप में धरती पर अवतार लिया तब शिव उनके दर्शनों के लिए उसी कैलाश से नंगे पांव भागे चले आए थे, जिसकी यात्रा पर आज राहुल गांधी हैं। इसके बाद शिव और विष्णु के मार्ग में अंतर है। वैष्णव मार्ग को मानने वाले मांसाहार से परहेज करते हैं। वे कड़े नियमों का पालन करते हैं, लेकिन शिव किसी को बाध्य नहीं करते। शिव की बारात में भूत-प्रेत सभी नाचते-गाते दिखाई देते हैं। मतलब उन्हें नॉनवेज या वेज से कोई परहेज नहीं है। ऐसे में कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान नॉनवेज खाने से हिंदुओं की भावनाएं आहत होने वाली बात जरा राजनीतिक लगती है।
अब बचा अंतिम सवाल, राहुल गांधी ने नॉनवेज खाया या नहीं?
राहुल गांधी कुछ महीने पहले कर्नाटक गए थे। तब खबर उड़ी कि वह मांसाहार करने के बाद मंदिर गए। इस खबर की पड़ताल एक पत्रकार ने की तो पाया एक लोकल रिपोर्टर ने राहुल गांधी के स्टाफ को मछली ले जाते देखा था। उससे जब पूछा गया कि उसे कैसे पता कि यह मछली राहुल गांधी के लिए ही ले जाई गई थी। इस पर उसने जवाब दिया कि मैंने मछली ले जाते देखा, मुझे खबर मिल गई, अब राहुल गांधी ने मांसाहार नहीं किया तो वह खुद आकर बता देंगे। कई बार खबरें इस प्रकार से भी बवाल मचा देती हैं। मौजूदा विवाद की बात करें तो नेपाल का रेस्टोरेंट कह रहा है, वेज खाया। वेटर कह रहा है नॉनवेज खाया। किस पर यकीन करें, मामला 50-50 है। कुछ भी कहना मुश्किल।