बुलेट ट्रेन: जापानी कंपनियों को लाभ, Make In India बैक फुट पर
नई दिल्ली। साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की आर्थिक स्थिति की नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए 'Make In India' की आवाज बुलंद कर रहे हैं। इनता ही नहीं बीते साल 2017 में जापान की सहायता से बुलेट ट्रेन की परियोजना में भी Make In India के नारे को महत्व दिया गया। हालांकि अब जो हकीकत बयान हो रही है उसमें यह सामने आ रहा है कि सरकार के वादे- दावे में जमीन आसमान का फर्क है। मिली जानकारी के अनुसार मुंबई से अहमदाबाद तक बुलेट ट्रेन की महत्वाकांक्षी परियोजना में 70 फीसदी काम का ठेका जापानी कंपनियों को दिया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कुछ भी कहने मना कर दिया
सूत्रों के अनुसार कुल काम का 17 अरब डॉलर यानी 1.1 लाख करोड़ रुपए का काम जापानी स्टील और इंजीनियरिंग कंपनियों को मिला। अंग्रेजी समाचार पत्र हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जापान इस प्रोजेक्ट में खूब पैसा लगा रहा है और बुलेट ट्रेन के लिए रेल लाइनों के निर्माण में 70 फीसदी माल की सप्लाई जापानी कंपनी की ओर से किया जाएगा। अखबार के अनुसार इस पूरे घटनाक्रम पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने कुछ भी कहने मना कर दिया है।
'मेक इन इंडिया' और 'ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी'
परियोजना में शामिल एक जापानी परिवहन मंत्रालय के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दोनों देश अभी भी महत्वपूर्ण घटकों की आपूर्ति के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं, और जुलाई के आसपास खरीद के लिए एक योजना का ऐलान करेंगे। बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जापान और भारत के बीच सितंबर 2017 के समझौते में दो खंड शामिल हैं - 'मेक इन इंडिया' और 'ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी' का प्रचार-जिसके माध्यम से सरकार को देश में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने की उम्मीद थी।
आलोचकों का कहना है कि बुलेट ट्रेन बेकार है
पीएम मोदी को साल 2019 में लोकसभा चुनाव का सामना करना है और सरकार भारत में लाखों बेरोजगारों को अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के दबाव में है। आलोचकों का कहना है कि बुलेट ट्रेन बेकार है और यह धन कहीं और इस्तेमाल किया जा सकता है। दो भारतीय रेलवे के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, उनके जापानी समकक्षों ने भारतीय कंपनियों में दक्षता और क्षमता के बारे में सवाल उठाए थे।