क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

LG का आदेश मानकर क्या केजरीवाल ने चला बड़ा राजनीतिक दांव

Google Oneindia News

नई दिल्ली- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हल्के बुखार की वजह से आइसोलेशन में चले गए थे। उनकी जगह उस वक्त उनके डिप्टी मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार के शासन की जिम्मेदारियां संभाल रहे थे। तभी दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सिर्फ कोरोना के लक्षणों वाले मरीजों का ही कोविड टेस्ट कराने और दिल्ली के अस्पतालों को दिल्ली वालों के लिए ही रिजर्व रखने के केजरीवाल सरकार के फैसले को पलट दिया। एकबार तो ऐसा ही लगा कि यह फिर से एक बड़े राजनीतिक विवाद की वजह बनेगा। केजरीवाल के लेफ्टिनेंट मंत्रियों ने मोर्चा खोल भी दिया था। लेकिन, कोरोना से निगेटिव होकर खुस सीएम केजरीवाल सामने आए और कह दिया कि एलजी साहब के फैसले को पूरी तरह पालन किया जाएगा। आइए समझने की कोशिश करते हैं क्या एलजी से इसबार पर न टकराकर केजरीवाल ने कोई बड़ा सियासी गेम खेलने की कोशिश की है।

LG के आदेश पर केजरीवाल का मास्टरस्ट्रोक!

LG के आदेश पर केजरीवाल का मास्टरस्ट्रोक!

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले दिल्ली में सिर्फ दिल्ली वालों का इलाज करने का आदेश जारी कर दिया और फिर बाद में उस आदेश को पलटने वाले उपराज्यपाल के आदेश को सर-माथे रखकर अपनी ओर से बहुत बड़ा राजनीतिक दांव चलने की कोशिश की है। शायद केजरीवाल दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों को जब सिर्फ दिल्ली वालों के इलाज के लिए रिजर्व करने का आदेश दे रहे थे, तब भी उन्हें पूरा इल्म होगा कि यह आदेश टिकने वाला नहीं है। उपराज्यपाल नहीं बदलते तो कानून के जानकारों के मुताबिक अदालत ही उसे असंवैधानिक घोषित कर सकती थी। कुछ लोग तो याचिकाएं लेकर अदालत पहुंच भी गए थे। लेकिन, लगता है कि एक ही दिन में अनिल बैजल ने फैसला पलटकर दिल्ली के मुख्यमंत्री की सियासत का रास्ता आसान कर दिया।

Recommended Video

Arvind Kejriwal बोले- Delhi के Hospital में सबका होगा इलाज, LG का आदेश मानेंगे | वनइंडिया हिंदी
हम लड़ते रहे तो कोरोना जीत जाएगा- केजरीवाल

हम लड़ते रहे तो कोरोना जीत जाएगा- केजरीवाल

खुद का कोविड-19 टेस्ट निगेटिव आने के बाद दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यपाल के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा ,'मैं सबको ये संदेश देना चाहता हूं कि यह दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच विवाद का वक्त नहीं है।' जबकि, अनिल बैजल की ओर से आदेश पलटे जाने के बाद उनके वरिष्ठ मंत्रियों ने सार्वजनिक रूप से उपराज्यपाल पर हमला बोलना शुरू कर दिया था। लेकिन, जब केजरीवाल आए तो उन्होंने कहा 'यह राजनीतिक मतभेदों का समय नहीं है। अगर हमलोग लड़ते रहेंगे तो कोरोना वायरस जीत जाएगा।' वाकई केजरीवाल ने बहुत ही अच्छी बात कही, लेकिन उन्हें अंदर ही अंदर जरूर महसूस हो रहा होगा कि एलजी ने उनका बहुत बड़ा बोझ हल्का कर दिया है।

उपराज्यपाल ने किया काम आसान

उपराज्यपाल ने किया काम आसान

दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल के निर्देशों से अरविंद केजरीवाल जैसे घोर राजनीतिज्ञ के नाराज नहीं होने की वजह ये है कि उन्हें दिल्ली के लोगों को जो संदेश देना था, वह तो पहले ही दे चुके थे। मतलब कि बेकाबू हो चुके कोराना वायरस को झेल रहे दिल्ली के लोगों से वो कम से कम अब यह तो छाती ठोक कर कह सकेंगे कि उन्होंने तो एक कोशिश की थी कि अस्पतालों के बेड दिल्ली वालों के लिए सुरक्षित रहें, लेकिन मोदी और शाह के इशारे पर उपराज्यपाल ने दिल्ली के लोगों के बारे में सोचा ही नहीं। इस दौरान वो ये थोड़े ही बताएंगे कि अस्पतालों में बेड खाली पड़े रह गए और फिर भी अस्पतालों के बाहर बेड के इंतजार में मरीज दम क्यों तोड़ते रहे? न ही वह ये कभी बताएंगे कि क्या देश का संविधान आर्टिकल-21 के तहत उन्हें किसी से 'जीने का अधिकार' छीनने का हक देता है? क्या वे किसी को 'स्वास्थ्य का अधिकार' से वंचित कर सकते हैं ? ऐसा तो किसी विदेशी नागरिक के साथ भी नहीं किया जा सकता तो अपने ही देश के नागरिक के साथ कोई सरकार कैसे कर सकती है? यही नहीं दिल्ली के बाहर केजरीवाल सरकार के फैसले की वजह से जो नाराजगी फैली थी, एलजी के ऐक्शन ने उससे भी केजरीवाल को बचा लिया है। क्योंकि, आम आदमी पार्टी का राजनीतिक मंसूबा तो सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है।

पड़ोसी राज्यों से दिल्ली सरकार का आह्वान

पड़ोसी राज्यों से दिल्ली सरकार का आह्वान

बहरहाल, इस विवाद ने अरविंद केजरीवाल को उस दिशा में सोचने का मौका जरूर दे दिया है, जो बीते तीन महीनों में नहीं सोच पाए। वे और उनकी सरकार तो हमेशा यह कहते रह गए कि कोरोना को मात देने के लिए उन्होंने पूरी तैयारी कर रखी है। लेकिन, अचानक बेड की ऐसी नौबत आ गई कि विवादास्पद आदेश जारी करना पड़ गया। ऊपर से 31 जुलाई तक के भयावह सरकारी अनुमानों को अचानक पब्लिक डोमेन में लाकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने लोगों में एक अलग ही दहशत पैदा कर दी है। अब केजरीवाल ने कहा है पड़ोसी राज्यों को अपनी सुविधाएं बढ़ानी चाहिए ताकि सारा बोझ दिल्ली पर न पड़े। उन्होंने काफी संभलकर कहा कि 'यह किसी पर दोषारोपण नहीं है और मुझे विश्वास है कि सभी राज्य अपनी ओर से बेहतर ही कोशिश कर रहे होंगे।' अच्छी बात है केजरीवाल ने इस तरह का आह्वान किया है। लेकिन, सच्चाई ये भी है कि मेदांता ग्रुप के डॉक्टर नरेश त्रेहन कब से इस बात की वकालत कर रहे हैं कि इस अभूतपूर्व संकट के वक्त में एनसीआर के सभी शहरों को एक यूनिट की तरह ऐक्टिवेट करना चाहिए, ताकि सबको सहायता मिले। तथ्य ये भी है कि दिल्ली के चारों एनसीआर शहर गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा और गाजियाबाद ने कोविड मैनेजमेंट में राजधानी दिल्ली के प्रशासन से अबतक काफी बेहतर करके दिखाया है।

केंद्र से भी मिला मदद का भरोसा

केंद्र से भी मिला मदद का भरोसा

इस बीच अरविंद केजरीवाल की ओर से एक और अच्छी पहल हुई है। उन्होंने नोवल कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद पहलीबार इस संकट को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद उन्होंने ट्वीट करके बताया कि, 'गृहमंत्री अमित शाह से मिला। दिल्ली में कोरोना वायरस के परिस्थितियों को लेकर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने हर तरह की सहयोग का भरोसा दिया है।' सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल ने शाह से दिल्ली के लिए वित्तीय मदद भी मांगी है, जो इस वक्त कोविड-19 से बुरी तरह जूझ रही है।

इसे भी पढ़ें- दिल्ली सरकार ने 22 अस्पतालों में बेड्स की संख्या की दोगुनी, देखें किस हॉस्पिटल में कितने बेड?इसे भी पढ़ें- दिल्ली सरकार ने 22 अस्पतालों में बेड्स की संख्या की दोगुनी, देखें किस हॉस्पिटल में कितने बेड?

Comments
English summary
Did Kejriwal took big political bet by accepting LG's order
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X