क्या लद्दाख की वजह से चीन ने पाकिस्तान के हाथों नगरोटा जैसी आतंकी साजिश रची
नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में गुरुवार को जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर जैश-ए-मोहम्मद के जो चार पूरी तरह से प्रशिक्षित आतंकवादी सुरक्षा बलों के हाथों मार गिराए गए, वह भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान की मिलीजुली साजिश का हिस्सा हो सकते हैं। गौरतलब है कि इन आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा पार करने के लिए एक लंबी सुरंग का इस्तेमाल किया और इससे यह भी जाहिर होता है कि इसमें पाकिस्तानी सेना की नियंत्रण वाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की पूरी मशीनरी लगी हुई थी। माना जा रहा है कि कश्मीर को दहलाने की साजिश के पीछे चीन की ये साजिश हो सकती है कि वह लद्दाख में एलएसी से सेना को कम करने और मई से पहले वाली यथास्थिति में लौटने को लेकर हो रही कमांडर स्तर की बातचीत के दौरान तोलमोल करने में खुद को ज्यादा व्यवस्थित स्थिति में लाने के लिए भारत पर दबाव बना सके।
Recommended Video
सुरक्षा एजेंसियों ने नगरोटा की वारदात के बाद जैश ए मोहम्मद के चार आतंकवादियों और उनके पाकिस्तानी हैंडलर्स के बीच के जो टेक्स्ट मैसेज पकड़े हैं, उससे इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि इस घटना में पाकिस्तान पूरी तरह से शामिल था और ईटी के मुताबिक बड़े सूत्रों का दावा है पूरे मामले के पीछे पाकिस्तान और चीन की साझा कोशिश हो सकती है। जम्मू-कश्मीर का विशेषाधिकार खत्म करने और उसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो संघ शासित क्षेत्रों में बांटने की दोनों ही देशों ने कड़ी आलोचना की थी। 5 अगस्त, 2019 के बाद से ही पाकिस्तानी सेना और इसकी खुफिया यूनिट आईएसआई भारत के खिलाफ कुछ बड़ा करने की साजिशें रचने में जुट गए थे।
सूत्रों की मानें तो चीन इस वजह से नगरोटा में बेनकाब हुई आतंकी साजिश में शामिल हो सकता है, क्योंकि अगर कश्मीर में आईएसआई बड़ी आतंकी हमले कराने में कामयाब हो जाता तो इससे चीन को पूर्वी लद्दाख में डिसएंगेजमेंट को लेकर भारत से अपनी शर्तें मानने के लिए दबाव बना सकता था। पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एसडी प्रधान ने कहा है, 'पाकिस्तान में विपक्षी दलों का ध्यान भटकाने के लिए और जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक दुनिया समेत बाकी दूसरे देशों का ध्यान खींचने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां हताशा में स्थानीय नेताओं और भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की कोशिशें कर रही हैं।'
उन्होंने कहा है, 'डीडीसी चुनावों की घोषणा ने उन्हें बुरी तरह से परेशान कर दिया है। उन्होंने शायद यह भी अनुमान लगाया होगा कि अमेरिका में बाइडेन और हैरिस के आने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ाने से भारत पर मानवाधिकार के उल्लंघन को लेकर बहुत ज्यादा दबाव बढ़ जाएगा। अमेरिका को खुश करने के लिए और एफएटीएफ की जरूरतों को पूरा करने के लिए उसने हाफिज सईद और उसके साथियों के खिलाफ कहने के लिए कुछ कदम भी उठाए हैं। इस घटना में पाकिस्तान के हाथ होने के ठोस सबूत से पाकिस्तान के लिए एफएटीएफ की अगली बैठक में गंभीर समस्या खड़ी हो सकती है।'
सूत्रों के मुताबिक अगस्त के आखिर में सीएमसी के वाइस चेयरमैन शु किलियांग की अगुवाई में पाकिस्तान गए चाइनीज प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर बात की थी। दोनों देश इस क्षेत्र में रणनीतिक सामंजस्य बनाने को लेकर राजी हुए थे। अब दोनों देशों को लगा होगा कि भारत पर दबाव बनाने के लिए आतंकवाद बढ़ाने का यही सबसे बेहतर समय है। भारत के विरोध के बावजूद गिलगित और बाल्टिस्तान में चुनाव कराने और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान पर वहां के विपक्षी दलों का बढ़ता दबाव भी नगरोटा जैसी साजिश की एक वजह हो सकती है। एक्सपर्ट की राय में ऐसे समय में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद में बढ़ने से इमरान सरकार को घरेलू फ्रंट पर ध्यान भटकाने में मदद मिल सकती थी। ऊपर से अमेरिका के चुनाव परिणाम ने भी इमरान सरकार को ऐसा करने के लिए उकसाया हो सकता है। इससे गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर उस पर पड़ रहे दबाव से भी ध्यान भटकाया जा सकता था।
गौरतलब है कि पिछले गुरुवार को जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे पर नगरोटा में चावल लदे ट्रक में छिपे जैश ए मोहम्मद के चार आतंकवादी सुरक्षा बलों के साथ तीन घंटे चले एनकाउंटर में मार गिराए गए थे। इस वारदात में दो पुलिस वाले भी जख्मी हो गए थे, लेकिन ट्रक ड्राइवर मौके से फरार होने में कामयाब गया था। सुरक्षा बलों ने पाकिस्तानी आतंकियों से एनकाउंटर के बाद 11 एके-47 राइफलें, 3 पिस्टल, 29 हैंडग्रेनेड, 6 यूबीजीएल और मोबाइल फोन बरामद किए थे। हाल के वर्षो में हथियारों की इतनी बड़ी खेप कभी नहीं पकड़ी गई थी।
इसे भी पढ़ें- लद्दाख में भारतीय सेना ने चीन की चतुराई की हवा निकाली, टनेल चक्रव्यूह में उलझाया