दादा के शव पर बिलखते मासूम की फोटो शेयर कर संबित पात्रा ने लिखा कुछ ऐसा, भड़कीं दिया मिर्जा ने पूछा- संवेदना बची है?
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के सोपोर में बुधवार को हुए मुठभेड की एक मार्मिक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल रही है। सीआरपीएफ के मुताबिक इस मुठभेड़ में आतंकियों ने क्रॉस फायरिंग में 60 साल के एक बुजुर्ग को मार गिराया। बताया जा रहा है कि वो शख्स अपने पोते घुमाने निकला था। पोता अपने दादा को रोड पर लेटा (मृत) पाकर उनकी छाती पर बैठकर बिलखने लगा। इस तस्वीर पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी विवादास्पद कमेंट किया है जिसके बाद एक्ट्रेस दीया मिर्जा और संबित पात्रा के बीच ट्विटर वॉर भी देखने को मिली।
क्या था संबित पात्रा का विवादास्पद कमेंट
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने उस मासूम की फोटो शेयर कर 'पुलित्जर लवर्स' पर तंज कसा है। उनका यह ट्वीट कई नामी हस्तियों को मानवीय मूल्यों से परे लगा। कई सेलिब्रिटीज ने बीजेपी नेता को इस ट्वीट के लिए लताड़ लगाई है।
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दिया मिर्जा ने दिया संबित से पूछा ये सवाल, पात्रा ने दिया जवाब
संबित के इस ट्वीट के बाद दिया मिर्जा ने नेगेटिव प्रतिक्रिया दी है। दीया मिर्जा ने लिखा, क्या आपके अंदर थोड़ी सी भी संवेदना बची हुई है? इसके बाद संबित ने भी दीया मिर्जा को जवाब देते हुए कहा, कि हां मैडम मुझमें संवेदनाएं हैं। अपनी सेना के लिए। हर भारतीय नागरिक के लिए चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों ना हो लेकिन आपकी तरह हमारी संवेदनाएं सेलेक्टिव नहीं है। याद रखिए मैं सेलेक्टिव प्लेकार्ड होल्डर नहीं हूं। मैं आपका फैन हूं और मैं देखना चाहूंगा कि आप हाथ में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की निंदा करते हुए एक प्लेकार्ड को अपने हाथ में थाम कर खड़ी हों।
दिया ने भी दिया संबित पात्रा को करारा जवाब
दीया ने भी संबित के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, संवेदनाएं कभी भी सेलेक्टिव नहीं होती हैं। या तो वे आपके पास होती हैं या फिर नहीं। किसी भी बच्चे को इस तरह के दर्द और भयावहता से नहीं गुजरना चाहिए जैसा इस बच्चे के साथ हुआ है। आप अपनी पॉलिटिक्स करनी बंद कीजिए और मैं आपको अपना सपोर्ट दूंगी। फिर चाहे मेरे हाथों में प्लेकार्ड हो या नहीं।
क्या है 'पुलित्जर लवर्स' का मतलब
दरअसल इस साल मई में जम्मू-कश्मीर के तीन फोटोजर्नलिस्ट्स को पुलित्जर पुरस्कार मिला था। यह सम्मान पत्रकारिता के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित माना जाता है। तीनों फोटो-पत्रकारों को यह अवार्ड घाटी की कवरेज के लिए मिला। एक तस्वीर थी जिसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस की गाड़ी पर एक नकाबपोश पत्थरबाज पत्थर चला रहा है। तब दक्षिणपंथी हलकों में इसकी खासी आलोचना हुई थी कि घाटी की गलत तस्वीर पेश करने वालों को सम्मान दिया गया है।
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