देवयानी पर शोर, पर चुप था भारत जब उतरवाये गये थे जॉर्ज फर्नांडिस के कपड़े
देश और सभी राजनीतिक दलों को एक जूट देखकर काफी खुशी हो रही है। मगर एक सवाल जो बार-बार सामने आ रहा है वो ये है कि देश की ये एकजूटता उस वक्त कहां थी जब पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस, सुपर स्टार शाहरुख खान, मंत्री आजम खान, योग गुरु बाबा रामदेव और भारतीय गोल्फर जीव मिल्खा सिंह के कोच कोट अमरितिंदर सिंह के साथ अमेरिका में बदसलूकी की गई थी। बात जार्ज फर्नांडिस की करें तो अमेरिका के एक एयरपोर्ट पर तलाशी के दौरान उनके भी कपड़े उतरवाए गये थे। आप जानकर हैरान रह जायेंगे कि उस वक्त जार्ज फर्नांडिस भारत के रक्षा मंत्री थे।
सवाल गंभीर है और इसपर चर्चा जायज है मगर इससे पहले इस पूरे मामले के बारे में जानना जरुरी है। ऐसा इसलिये भी जरुरी है क्योंकि इसमें कहीं ना कहीं देश की विदेश नीति बनाने वालें आईएफएस (IFS) अधिकारियों की संलिप्तता नजर आ रही है। दरअसल एक भारतीय नौकरानी ने अमेरिका पुलिस से कहा कि उसकी भारतीय मालकिन उसे नियमानुसार बेहद कम वेतन दे रही है जो मानवाधिकारों का हनन और कानूनी तोर पर एक जुर्म है। पुलिस ने मामले को संज्ञान में लिये तो आईएफएस अफसर देवयानी ने पुलिस को बताया कि वो अमेरिकी नियमानुसार अपनी नौकरानी को 9.75 डॉलर प्रति घंटे की दर से वेतन दे रही हैं।
इसपर नौकरानी ने पुलिस को सबूत दिखाए और साबित कर दिया कि उसकी मालकिन गलत बोल रही हैं और उसे सिर्फ 3 डॉलर प्रतिघंटे के हिसाब से वेतन दिया जा रहा है। जांच हुई और साफ हो गया कि देवयानी अपनी नौकरानी को 9.75 (536 रुपये) की जगह सिर्फ 3 डॉलर (165 रुपये) दे रही हैं। अदालत ने देवयानी को अपनी नौकरानी को भारी जुर्माना भरने के आदेश दिए। देवयानी चूँकि भारतीय दूतावास में तैनात नही थी इसलिए अमेरिकी कानून के मुताबिक नौकरानी को जुर्माना न भरने पर उनकी गिरफ्तारी ही एक मात्र उपाय था।
बस क्या था देश के आईएफएस अधिकारी इस मामले से सबसे पहले आहम हुए और उन्हें लगने लगा कि अब अमेरिका में कौड़ियों के भाव सस्ते भारतीय नौकर रखने में कानूनी दिक्कत आयेंगी। उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और अपने फायदे के लिये नौकरानी और अफसर की लड़ाई को बराक ओबामा के दफ्तर तक पहुंचा दिया। हालांकि इसमें देवयानी ने कोई गलत नहीं किया बल्कि वो तो नौकरानी को पारंपारिक रूप से 3 डॉलर देने की पुराने चलन को निभा रही थीं। जी हां सालों से अमेरिका में तैनात आईएफएस अधिकारी फर्जी कागजों पर बढ़ा हुआ वेतन दिखा रहे थे और विवाद से बचते आ रहे थे। मगर एक भारतीय नौकरानी ने पैसे की लालच में इस फर्जीवाड़े की कलई खोल दी।
विदेश नीति बनाने वाले आईएफएस अधिकारियों ने जब हंगामा शुरु किया तो देश को इस मामले में स्टैंड लेना पड़ा और मुद्दा नौकरानी को गैर कानूनी कम वेतन की जगह देवयानी से बदसलूकी बना दिया गया। इस पूरे मामले की निश्चित तौर पर निंदा की जानी चाहिए। ऐसा इसलिये क्योंकि हमारे ये IFS तब एक जुट क्यूं नही हुए जब हमारे सुपरस्टार शाहरुख खान से एक आतंकवादी की तरह अमेरिकी पुलिस ने बर्ताव किया और उनको हिरासत में रखा। ये उस वक्त एकजूट क्यों नहीं हुए जब हमारे तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस के अमेरिका में कपडे उतार लिए गये थे। या फिर ये आईएफएस अधिकारी उस वक्त कौन सी कूटनीति कर रहे थे जब इस देश के तीन बार निर्वाचित मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अमेरिका ने वीजा की राजनीति की।
विदेशी मामलों को नजदीक से समझने और परखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि बिना किसी अदालत के आरोप के अगर एक बड़ी पार्टी के प्रधानमंत्री उमीदवार और निर्वाचित मुख्यमंत्री पर कोई बाहरी देश जानबूझकर कोई प्रतिबन्ध लगाए तो ये जग हंसाई का विषय है। ये हमारी सार्वभोमिकता और निष्पक्ष न्याय व्यवस्था का खुला उलंघन है। क्या इस तथ्य को IFS अफसर बिना सत्ता परिवर्तन के नही स्वीकारेंगे। उन्होंने लिखा है कि ''मित्रों भले ही वेतन मामले में देवयानी की गलती हो पर उनके साथ की गयी बदसलूकी पर अमेरिका माफी मांगे लेकिन विदेश नीति के मुद्दे सिर्फ IFS अफसर अपने हित के अनुसार घटा बदाकर न तय करें। IFS अफसरों के हाथों बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है और उन्हें हर मुद्दे को जनता के हित को सर्वोपरि रख कर देखना चाहिए।