महाराष्ट्र: देवेंद्र फडणवीस ने 3 हफ्ते में दो-दो बार दिया मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा
नई दिल्ली- महाराष्ट्र की राजनीति में देवेंद्र फडणवीस का नाम महज 18 दिनों के भीतर दो-दो बार इस्तीफा देने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर दर्ज हो गया है। पहली बार उन्होंने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद इस्तीफा दिया था। लेकिन, दूसरी बार उन्हें शपथ लेने के महज कुछ घंटों में ही पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। आइए समझते हैं कि सिर्फ 18 दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति का चक्र कैसे घूमा है कि देवेंद्र फडणवीस के सामने दो-दो बार ऐसी नौबत आई है। हालांकि, इस बीच उनका नाम 50 साल बाद दोबारा चुनाव जीतकर सत्ता में वापसी करने के लिए रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है।
दूसरी बार सिर्फ 4 दिन में दिया इस्तीफा
मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस का दूसरा कार्यकाल ठीक से चार दिन भी नहीं चल पाया। उन्हें शनिवार यानि 23 नवंबर को सुबह करीब 8 बजे राजभवन में जल्दबाजी में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी। जब से उन्होंने मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब से उनके पास सरकार चलाने लायक बहुमत होने को लेकर आशंका जताई जा रही थी। लेकिन, चौथे दिन जब सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सदन में बहुमत परीक्षण का आदेश दे दिया तो पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने निजी कारणों से सीएम को अपना इस्तीफा सौंप दिया। फिर पर्याप्त विधायकों के आंकड़े नहीं जुटा पाने की वजह से खुद देवेंद्र फडणवीस को भी त्यागपत्र देने की घोषणा करनी पड़ गई। उन्होंने ये घोषण अपने डिप्टी अजित पवार के इस्तीफे के करीब एक घंटे बाद की है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर
दरअसल, मंगलवार को महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले ने ही देवेंद्र फडणवीस की सीएम पद से विदाई का रास्ता साफ कर दिया था। अजित पवार ने एनसीपी के 54 विधायकों के समर्थन का भरोसा देकर उनकी सरकार बनवाई थी। लेकिन, जब सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार यानि 27 नवंबर को विधानसभा में ओपन बैलेट से बहुमत के परीक्षण के लिए मतदान कराने का आदेश दे दिया तो अजित पवार को पता चल गया कि बदली हुई परिस्थितियों में उनके लिए फडणवीस के पक्ष में आवश्यक विधायकों का समर्थन जुटाना मुश्किल होगा। हालांकि, इस्तीफे का ऐलान करने के लिए बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में फडणवीस ने कहा कि चुनाव में महायुति को स्पष्ट बहुमत मिला था, लेकिन शिवसेना ने मोलभाव शुरू कर दी थी, इसलिए मैनडेट के बावजूद उनकी सरकार नहीं बन सकी। क्योंकि, अगर ऐसा हो गया होता तो शायद अक्टूबर के आखिर हफ्ते में ही उनकी दोबारा से पूर्ण बहुमत वाली सरकार बन गई होती।
पहली बार कार्यकाल खत्म होने पर दिया था इस्तीफा
करीब 18 दिन पहले 8 नवंबर को देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपना पहला कार्यकाल पूरा होने पर राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था। क्योंकि, वह शिवसेना की मनाही की वजह से बहुमत लायक समर्थन राज्यपाल को नहीं दिखा पाए थे। तब गवर्नर ने उनसे अगली व्यवस्था होने तक मुख्यमंत्री पद की जिम्मादारी संभालने को कहा था। उस बार भी उन्होंने चार दिनों तक कामचलाऊ मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला और फिर 12 नवंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा कर दी गई। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद फडणवीस ने अपने ट्विटर हैंडल के बायो में महाराष्ट्र के केयरटेकर सीएम से महाराष्ट्र का सेवक जोड़ लिया था।
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