शिवसेना-बीजेपी गठबंधन सरकार में कहीं देवेंद्र फडणवीस तो नहीं हैं रोड़ा?
बेंगलुरू। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजों का आए हुए कुल 14 दिन बीत चुके हैं, लेकिन महाराष्ट्र की जनता से मिले जनादेश के बावजूद अभी तक एनडीए गठबंधन सरकार बनाने में नाकाम रही है। एनडीए सहयोगी शिवसेना महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के लिए 50-50 फार्मूले पर अड़ी हुई है जबकि बीजेपी शिवसेना को 16-17 मंत्री पद देने को तैयार है और डिप्टी सीएम भी शिवसेना का बनाने को तैयार है, लेकिन शिवसेना टस से मस नहीं हुई है। हालांकि बीते मंगलवार को दोनों दलों के बीच सुलह की कोशिशें तेज हुईं थी जब महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणनीस दिल्ली से वापस लौटे थे।
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी ने शिवसेना को 16 मंत्री पद ऑफर किया था, जिसमें वित्त और राजस्व मंत्रालय शामिल हैं। हालांकि शिवसेना 17 मंत्री पद मांग रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री पद के दावेदारी को लेकर पिछले एक पखवाड़े से पकड़ी जिद को किनारे रख दिया था। हालांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन शिवसेना के तेवर कमजोर जरूर पड़े हैं, लेकिन अब शिवसेना ने नया बखेड़ा शुरू किया है और वह है सीएम देवेंद्र फड़णवीस!
शिवसेना ने मुखपत्र सामना के संपादकीय पेज पर बुधवार को छपे एक लेख में बाकायदा सीएम देवेंद्र फडणवीस को टारगेट किया गया है। लेख में देवेंद्र फडणवीस को आउटगोइंग सीएम करार दिया गया है। संपादकीय में कहा गया कि फडणवीस सोमवार को जब दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद मीडिया के सामने अपनी बातें रख रहे थे, तो उनके पास बोलने को ज्यादा कुछ नहीं था। माना जाता है कि शिवसेना देवेंद्र फडणवीस से नाराज चल रही है और उन्हें एनडीए गठबंधन के अगले सीएम के रूप में नहीं देखना चाहती है।
गौरतलब है शिवसेना ने गठबंधन सरकार पर बातचीत के लिए देवेंद्र फडणवीस के बजाय केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को आगे करने की बात कही थी। यही नहीं, शिवसेना कही न कहीं चाहती है कि महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन का अगले मुख्यमंत्री नितिन गडकरी बने अथवा बीजेपी के किसी और नेता को मुख्यमंत्री पद दिया जाए, क्योंकि शिवसेना नहीं चाहती है कि देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में मुख्यमंत्री बनाए जाए।
देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ खड़ी होने के पीछे शिवसेना का अपना तर्क हो सकता है, लेकिन शिवसेना के 50-50 फार्मूले पर देवेंद्र फडणवीस का उक्त बयान शिवसेना का बिल्कुल नागवार गुजरा है, जिसमें उन्होंने शिवसेना के 50-50 फार्मूले को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि एनडीए गठबंधन सरकार में 5 वर्ष के लिए बीजेपी का ही मुख्यमंत्री रहेगा। शिवसेना का कहना है कि बीजेपी के साथ ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री के पद पर समझौता हुआ था, लेकिन अब बीजेपी इससे इनकार कर रही है। सीएम फडणवीस ने साफ तौर कह दिया है कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है।
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दरअसल, महाराष्ट्र में सरकार गठन पर जारी गतिरोध के खात्मे के लिए शिवसेना चाहती है कि इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) दखल दे और शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने बाकायदा संघ प्रमुख मोहन भागवत को इसके लिए पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष को सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपने की गुजारिश की गई थी। भागवत को लिखे पत्र में शिवसेना ने RSS प्रमुख से मामले पर संज्ञान लेने और महाराष्ट्र में सरकार गठन में गतिरोध दूर करने के लिए हस्तक्षेप करने की गुजारिश की है।
उधर, फडणवीस की आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मंगलवार को मुलाकात की है और महाराष्ट्र में जारी गतिरोध के लिए उनसे लंबी चर्चा की है। हालांकि बैठक को लेकर संघ और भाजपा में अलग-अलग दावे कर रहे हैं। संघ से जुड़े लोगों का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र सरकार के गठन में जारी गतिरोध के खात्मे के लिए संघ प्रमुख से मुलाकात की है, क्योंकि शिवसेना भी चाहती थी कि संघ की मध्यस्थता से ही दोनों दलों के बीच गतिरोध दूर हो सकते हैं।
वहीं, सूत्रों की मानें तो मंगलवार को हुई बीजेपी कोर कमेटी की मीटिंग में सरकार बनाने का पूरा फार्मूला तैयार हो चुका और देवेंद्र फडणवीस उक्त फार्मूले को संघ प्रमुख से साझा करने और सरकार गठन के लिए आशीर्वाद लेने नागुपर गए हुए थे। हालांकि शिवसेना के लिए देवेंद्र फडणवीस को रास्ते से हटा पाना मुश्किल लगता है, यह इसलिए क्योंकि देवेंद्र को पीएम नरेंद्र मोदी का आशीर्वाद हासिल है।
उल्लेखनीय है 21 अक्टूबर को हुए मतदान के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के घोषित नतीजों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट जनादेश मिला था। 162 सीटों पर मैदान में उतरी बीजेपी ने 105 सीटों पर विजयी रही थी और शिवसेना 124 सीटों पर लड़कर 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दोनों दलों को मिलाकर महाराष्ट्र में आराम से सरकार बन सकती थी, लेकिन दोनों दलों के बीच आपसी रस्साकसी से अभी तक महाराष्ट्र में सरकार गठन का रास्ता साफ नहीं हुआ है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में कुल 23 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा, जिसके चलते शिवसेना बीजेपी पर 50-50 फार्मूल के लिए दवाब बनाने में सफल रही है। बीजेपी और शिवसेना से छिटककर गई सीटें कांग्रेस और एनसीपी के खाते में गई है, जिससे एनसीपी और कांग्रेस के सहयोग से शिवसेना बीजेपी के बिना महाराष्ट्र में सरकार बनाने का विकल्प तलाश रही है। हालांकि शिवसेना के अरमानों पर पानी तब फिर गया जब कांग्रेस ने शिवसेना के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया।
शिवसेना जानती है कि उसका स्वाभाविक पार्टनर बीजेपी ही है और उससे अलग होकर अगर वह एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर साझा सरकार में शामिल होती है, तो उक्त सरकार का आगे कोई भविष्य नहीं होगा, क्योंकि एनसीपी और कांग्रेस परस्पर विरोधी दल हैं। दोनों दलों के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत भी साथ चलना मुश्किल हो जाएगा। यही कारण है कि शिवसेना ने संघ को महाराष्ट्र सरकार के गठन में जारी गतिरोध को दूर करने के लिए पत्र लिखा है।
शिवसेना के तेवर और टिप्पड़ी को देखते हुए लगता है कि शिवसेना को सीएम पद के लिए देवेंद्र फडणवीस फूटे आंख नहीं सुहा रहे हैं और वह नहीं चाहती है कि बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन की सरकार में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने। हालांकि संघ प्रमुख से मुलाकात के बाद अभी तक देवेंद्र फड़णवीस अथवा महाराष्ट्र बीजेपी के बड़े नेता का कोई बयान नहीं आया है। इसलिए माना जा रहा है कि बुधवार शाम तक महाराष्ट्र में क्या कुछ होने वाला है इसकी सुगबुगाहट मिलने लग जाएगी।
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