RBI के संदेह के बावजूद क्रिप्टोकरेंसी भारत में तेज़ी से फैल रही
आरबीआई ने धोखे के डर से ये फ़ैसला लिया था और वो इंतज़ार कर रहे थे कि सरकार इसे लेकर कोई गाइडलाइन जारी करे.
बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी ने निवेश के बाज़ार में फिर से एंट्री कर ली है. इस बार ये एंट्री शानदार है, ये कहना भी ग़लत नहीं होगा. एक पीस बिटकॉइन का रेट 16 लाख रुपए (क़रीब 22000 डॉलर) हो गया.
ये तीन साल का सबसे अधिक रेट है. पिछले साल मार्च में ये रेट 5900 डॉलर था, ऐसे अनुमान भी लगाए जा रहे हैं कि ये क़ीमत 100,000 डॉलर तक पहुँच सकती है.
क्रिप्टोकरेंसी एक डिज़िटल मनी है जिसे कोई केंद्रीय संस्था रेग्युलेट नहीं करती है. ये रुपए या डॉलर की तरह नहीं हैं लेकिन सामान ख़रीदने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है.
दिल्ली में रहने वालीं 34 साल की रितिका कर एक पब्लिक रिलेशन ऑफ़िसर हैं, जो कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रही हैं.
चार महीने पहले उन्होंने 1000 रुपए का निवेश किया था और बिटकॉइन ख़रीदे थे. वो बताती हैं, "मैंने क्रिप्टोकरेंसी पर एक लेख पढ़ा था, मुझे वो बहुत दिलचस्प लगा. मुझे वो आइडिया अच्छा लगा और मैंने सोचा कि क्यों ना मैं कुछ नया करूं. चार महीने में मेरा निवेश एक लाख तक पहुंच गया है."
रितिका एक नई निवेशक हैं और वो पैसों को पाँच साल से ज़्यादा समय तक के लिए रखना चाहती हैं.
"मैं जल्दी कमाई के लिए ये नहीं कर रही हूं. ये निवेश मेरे भविष्य के लिए है. मैं एक सिंगल महिला हूं और अलग-अलग पोर्टफोलियो में निवेश करना चाहती हूं."
क्रिप्टोकरेंसी पर आर्टिकल पढ़ने के बाद रितिका ने कुछ रिसर्च किए और फिर निवेश का फ़ैसला किया.
"ट्विटर, फ़ेसबुक और ब्लॉग पर आपनी तरह ही सोच रखने वाले कई लोग मिल जाएंगे, आप उनसे बात कर सकते हैं, उनके साथ और उनकी ग़लतियों से सीख सकते हैं. "
अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन के लिए कई बिज़नेस कंपनियां भी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रही हैं. मुंबई की रहने वालीं रुचि पाल का कंस्ट्रक्शन का बिज़नेस है और वो क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल 2015 से कर रही हैं.
उन्होंने इसका इस्तेमाल शुरू किया क्योंकि उनके अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक क्रिप्टोकरेंसी में पेमेंट करना चाहते थे.
वो कहती हैं, "बिटकॉइन दुनिया भर में चलता है. सिंगापुर और मलेशिया के मेरे क्लाइंट मुझे क्रिप्टोकरेंसी में पेमेंट देना देना चाहते थे क्योंकि वेस्टर्न यूनियन जैसे दूसरे माध्यम महंगे हैं और परेशानी भरे हैं. मैंने अंतर्राष्ट्रीय पेमेंट गेटवे जैसे कि पे पाल और पर्फेक्ट मनी का भी इस्तेमाल किया, लेकिन फिर मैंने बिटकॉइन का इस्तेमाल शुरू कर दिया."
वो बताती हैं कि क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल के लिए किसी तीसरे पक्ष की मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं होती, ये आसान और किफ़ायती हैं.
क्या क्रिप्टोकरेंसी लंबे समय तक चलेंगे?
वज़ीर एक्स भारत का मुख्य क्रिप्टोकरेंसी प्लैटफ़ॉर्म है. पिछले 6 महीने में 300 प्रतिशत अधिक यूज़र्स ने इस प्लेटफॉर्म पर साइनअप किया है.
कंपनी के सीईओ निश्चल शेट्टी के मुताबिक,"मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के उस आदेश को ख़ारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि वर्चुअल या क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल वित्तीय सेवा देने वाली फर्म नहीं कर सकतीं.''
''इसके बाद लॉकडाउन हो गया और लोगों ने घर से काम करना शुरू किया. इससे लोगों को क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पढ़ने और रिसर्च करने का बहुत समय मिला. लोगों की नौकरियां चली गईं, और वो पैसे कमाने के नए तरीक़े खोजने लगे."
"इस महामारी ने लाखों लोगों को क्रिप्टो की तरफ़ आकर्षित किया. अंतरराष्ट्रीय इन्वेस्टर जैसे कि माइक्रोस्ट्रैटिजी, पे स्केल और पे पाल ने क्रिप्टोकरेंसी में काफ़ी पैसा लगाया है. इससे इस इंडसट्री को काफ़ी कैपिटल मिला."
लेकिन 2017 से अभी तक क्या बदला है? इसके जवाब में शेट्टी कहते हैं, "निवेशक पहले से अधिक परिपक्व हो गए हैं. उन्होंने साल 2017 से अभी तक का साइकिल देखा है. उन्हें पता है कि पहले चढ़ाव आएगा, फिर उतार. उन्हें पता है कि क्या हो सकता है."
वज़ीर एक्स के अलावा मार्केट में जेब पे, कॉइन डीसीएस और कॉइन स्विच जैसी कंपनियां भी हैं. वज़ीर एक्स के मुताबिक़ उनके यूज़र्स की औसत उम्र 24 से 40 साल के बीच है, वो लोग जो इंजीनियरिंग और तकनीक के बैकग्राउंड से हैं.
क्रिप्टोकरेंसी की मार्केट वॉचडॉग के मुताबिक़ 16 दिसंबर, 2020 में भारत की चार प्रमुख क्रिप्टो करेंसी के बीच 22.4 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ. एक मार्च तक ये आँकड़ा 4.5 मिलियन डॉलर था.
इसके अलावा मार्च से अब तक मुख्य एक्सचेंज में 500 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है. ग्लोबल क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के पैक्सफुल की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत बिटकॉइन का चीन के बाद एशिया में सबसे बड़ा मार्केट बन गया है. इसके अलावा दुनिया का छठा सबसे बड़ा मार्केट भी भारत है. अमेरिका, नाइजीरिया, चीन कनाडा और ब्रिटेन भारत से आगे हैं.
कॉइन डीसीएक्स के सीइओ सुमित गुप्ता के मुताबिक़, "जिन लोगों को क्रिप्टोकरेंसी के पीछे की तकनीक पता है, वो इसमें निवेश करते हैं."
क्या भारत में क्रिप्टोकरेंसी क़ानूनन वैध है?
सनी बिटकॉइन के संस्थापक संदीप गोयनका के मुताबिक़, "बिटकॉइन भविष्य में पैसे का इंटरनेट बनेगा."
"भारत की सरकार के पास ये मौक़ा है कि इस अवसर को पहचाने और बाहर आकर कहें कि ये ग़ैर-क़ानूनी नहीं हैं और इससे जुड़ी टैक्स पॉलिसी को सामने लाएं."
"दूसरे देशों में भी नए रेग्युलेशन धीरे-धीरे बन रहे हैं और भारत उनसे सीख कर अपने मुताबिक़ बदलाव कर सकता है. वो इंडस्ट्री के लोगों से बात भी कर सकते हैं और एक फ्रेमवर्क तैयार कर सकते हैं. हम फिनटेक और टेक्नॉलजी के लीडर हैं और इसका इस्तेमाल कर हम इस नई क्रांति का नेतृत्व तक सकते हैं."
पूरी तरह से ऑनलाइन होने के कारण इसके ग़लत इस्तेमाल और फ्रॉड की भी आशंका बनी रहती है. यही सबसे बड़ा कारण है कि भारत के केंद्रीय बैंक ने इसका विरोध किया और 2018 में इसे बैन किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इसके इस्तेमाल की इजाज़त दे दी."
गोयनका मानते हैं कि इसका मतलब ये नहीं है कि इसने समाज में कोई योगदान नहीं किया है. वो कहते हैं, "किसी भी दूसरी इंडस्ट्री की तरह क्रिप्टोकरेंसी में अच्छे और बुरे लोग है. लेकिन इसके कारण इसे बढ़ने से नहीं रोकना चाहिए."
जानकार मानते हैं कि निवेश करते समय भावनाओं में नहीं बहना चाहिए. एक व्यक्ति 10 रुपये से भी शुरू कर सकता है और धीरे धीरे सीख सकता है.
6 अप्रैल 2018 को आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी कर क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल ट्रेड के लिए करने पर रोक लगा दी और आदेश दिया था कि बैंक और दूसरी वित्तीय संस्थाएं किसी तरह की वर्चुअल करेंसी में लेनदेन न करें.
सस्थाओं को इससे बाहर आने के लिए तीन महीनों का समय दिया गया था. आरबीआई ने इससे पहले इसके यूज़र्स और व्यापारियों को इसके ख़तरे से भी आगाह किया था.
इस फ़ैसले को इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने चुनौती दी थी, जो कि अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी को सुप्रीम कोर्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसले को ख़ारिज कर दिया था.
आरबीआई ने फ्रॉड के डर से ये फ़ैसला लिया था और वो इंतज़ार कर रहे थे कि सरकार इसे लेकर कोई गाइडलाइन जारी करे.
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया का मानना है कि आरबीआई का ये फ़ैसला ग़ैर संवैधानिक था और किसी भी बिज़नेस को देश के बैंकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने का अधिकार है.
लेकिन इस पर टैक्स क्या लगेगा?
अभी इस बात को लेकर बहुत दुविधा है कि क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई को किस तरीक़े से देखा जाएगा. सरकार ने इससे जुड़ी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है.
मनीएडूस्कूल के फ़ाउंडर अर्नव पांड्या ने बीबीसी को बताया, "इसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्स की तरह दिखाना होगा. ये इस बात पर निर्भर करेगा कि आप इसे कम समय के लिए रख रहे हैं या लंबे समय के लिए. इसी के मुताबिक़ आपको कैपिटल गेन टैक्स देना होगा."
"ये चार्टेड अकाउंटेंट पर निर्भर करेगा कि वो इस आमदनी को कैसे दिखाता है. आप ये मानकर नहीं चल सकते कि आयकर विभाग को आपकी इस आमदनी के बारे में पता नहीं चलेगा. उनके पास सभी प्लैटफॉर्म के रिकॉर्ड हैं, और सभी को केवाईसी (नो युअर कस्टमर) का पालन करना पड़ता है."