बिहार: कोरोना के बावजूद समय पर चुनाव के संकेत, पोलिंग ऑफिसर्स की बढ़ सकती है टेंशन
नई दिल्ली- बिहार विधानसभा चुनाव इसी साल के आखिरी में होने हैं। लेकिन, जिस तरह से कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, ये सवाल उठ रहे हैं कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो चुनाव चुनाव कराना आसान नहीं होगा। क्योंकि, देश की दूसरी आबादी वाले राज्य में कोरोना संक्रमण से बचते हुए स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव संपन्न करवाना चुनाव आयोग के लिए बहुत ही बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। सवाल उठ रहे हैं कि 243 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में करीब सवा सात करोड़ मतदाताओं की सोशल डिस्टेंसिंग कितनी बड़ी चुनौती होगी और कोरोना पॉजिटिवों या संदिग्ध मरीजों के मतदान के लिए चुनाव आयोग क्या व्यवस्था करेगा। लेकिन, चुनाव आयोग के विश्वास को देखकर लगता है कि वह हर चुनौतियों के लिए कमर कस चुका है और वह हर परेशानियों का हल निकालने की कोशिशों में जुटा हुआ है।
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बिहार: कोरोना के बावजूद समय पर चुनाव के संकेत
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग के रुख से लगता है कि वह इसे बेहतर ढंग से करवाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने इंडियन एक्सप्रेस से जो कुछ भी कहा है उसके यही मायने निकलते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि चुनाव आयोग ने कोरोना पॉजिटिव लोगों या वायरस से इंफेक्शन के संदिग्धों की वोटिंग का हल ढूंढ़ लिया है। चुनाव आयुक्त के मुताबिक बिहार चुनाव में ऐसे वोटरों को पोस्टल बैलेट से भी मतदान की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने तय समय पर ही चुनाव कराने के ठोस संकेत देने के साथ ही यह भी कहा है कि 'कोविड-19 के संदिग्धों या संक्रमितों' के लिए 1961 के निर्वाचन नियम के नियम 27ए के तहत कानून मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। बता दें कि बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है। यानि चुनाव उस आखिरी तारीख से पहले ही पूरा हो जाने की उम्मीद है।
पोस्टल बैलेट के जरिए भी वोटिंग की सुविधा
जो पॉजिटिव मरीज पोलिंग बूथ पर जाने की स्थिति में होंगे उनके लिए भी चुनाव आयोग ने तैयारी कर ली है। चंद्रा के मुताबिक, 'रिटर्निंग ऑफिसर को सूचित करने के लिए कोविड-पॉजिटिवों को एक स्पेशल ऑपरेटिंग प्रोसेड्योर का पालन करना होगा, एक बार आवेदन मंजूर हो जाने पर मतदाताओं को पोलिंग बूथ पर वोटिंग की इजाजत मिल जाएगी। यह सुविधा उप चुनावों के साथ ही भविष्य के सभी चुनावों के लिए बढ़ाई जाएगी।' जो वोटर कोरोना की वजह से पोस्टल बैलेट से वोटिंग करना चाहेंगे उनके लिए आवश्यक है कि उनकी कोरोना रिपोर्ट सरकारी या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोविड अस्पताल से पॉजिटिव आई हो। जो वोटर घर में या सरकारी फैसिलिटी में क्वारंटीन होंगे, वह भी पोस्टल बैलेट के जरिए भी वोट डाल सकेंगे। उन्होंने यहां तक कहा है कि 'हम चुनाव का प्रतिशत गिरने देना नहीं चाहते, हम हर तरह की कोशिश करेंगे और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि अगर जरूरत पड़ी तो पोलिंग ऑफिसरों को कोविड-पॉजिटिव वोटरों के पास पोस्टल बैलेट लेकर भेजेंगे और यहां तक कि वो उसे वापस लेकर भी आएंगे।' जाहिर है कि यह व्यवस्था पोलिंग ऑफिसरों की चिंता बढ़ा सकती है।
29 नवंबर को खत्म हो रहा है विधानसभा का कार्यकाल
जबकि कंटेंमेंट जोन के उन वोटरों के बारे में जो कोरोना से संक्रमित नहीं होंगे, उनके लिए चुनाव आयोग का कहना है कि इसके लिए आयोग ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से जानकारी मांगी है और कई तरह के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिनमें से भी एडवांस वोटिंग भी शामिल है। कोरोना वायरस के दौरान पोलिंग बूथ पर सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए चुनाव आयोग एक और बड़ा बदलाव कर रहा है। आमतौर पर हर 1600 वोटरों पर एक पोलिंग बूथ बनाया जाता है। लेकिन, चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि बिहार में इसबार 1,000 वोटरों पर ही पोलिंग बूथ बनेगा, जिसकी वजह से राज्य में अतिरिक्त 30,000 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। जहां तक राजनीतिक दलों के प्रचार का सवाल है, उसके बारे में चुनाव आयोग का कहना है कि उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एजेंसी की गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए। सियादी दल वर्चुअल रैली और सोशल मीडिया के जरिए प्रचार का सहारा ले सकती है। हालांकि, चुनाव करीब आने पर यह स्थिति बदल भी सकती है। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है।