फेस्टिवल सीजन में ज्यादा किराया नहीं वसूल पाएंगी एयरलाइंस, सख्त हुई सरकार
नई दिल्ली। संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने निजी विमानन कंपनियों द्वारा त्यौहार के समय यात्रियों से ज्यादा किराया वसूलने और यात्रियों के साथ बुरा रवैया अपनाये जाने पर चिंता व्यक्त करते हुये सरकार से विमानन कंपनियों को सख्त कदम उठाने की सिफारिश की है। परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी संसदीय स्टैंडिंग कमेटी की हाल ही में संसद में रिपोर्ट पेश कर गंभीर चिंता व्यक्त की है। सरकार के इस कदम के बाद जल्द ही एयर टिकट के कैंसिलेशन पर 50 फीसदी से ज्यादा की फीस नहीं लगेगी।
कुछ एयरलाइन कंपनियां 8-10 गुणा ज़्यादा वसूल करती हैं
संसद की परिवहन, पर्यटन तथा संस्कृति स्थायी समिति के अध्यक्ष डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा है, त्योहारों के दौरान कुछ एयरलाइन कंपनियां 8-10 गुणा ज़्यादा वसूल करती हैं। हमारा मंत्रालय के जरिये एयरलाइन कंपनियों को कड़ा संदेश है कि इस तरह के किरायों को अनुमति नहीं दी जाएगी। डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा, समिति ने सिफारिश की है कि कैसिलेशन चार्ज मूल किराये के 50 फीसदी से ज़्यादा नहीं हो सकता। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एयरलाइन्स कंपनियों से कहा गया है कि यात्रियों से लिया गया टैक्स और फ्यूल सरचार्ज भी उन्हें वापस किया जाए। उन्होंने कहा कि एयरलाइन्स की ओर से यात्रियों पर अधिक बोझ डाला जा रहा है। यह बहुत अधिक है।
एयर इंडिया का रिपोर्ट कार्ड सबसे बेहतर
डेरेक ओ ब्रायन की अध्यक्षता वाली समिति ने इस मामले में निजी विमानन कंपनी इंडिगो की सर्वाधिक शिकायतों का हवाला देते हुये कहा कि समिति ने सभी कंपनियों से टिकिट प्रणाली और यात्री सुविधा से जुड़ा ब्योरा पेश करने को भी कहा है। इंडिगो का रवैया यात्री हितैषी नहीं है। उन्होंने कई शिकायतों के बावजूद प्रतिक्रिया नहीं दी है। इंडिगो ने 1-2 किलो अधिक वजन के लिए भी शुल्क वसूल किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया का रिपोर्ट कार्ड सबसे बेहतर पाया गया।
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पर्यटन के मामले में लद्दाख क्षेत्र की अनदेखी
डेरेक ओ ब्रायन ने बताया कि समिति ने पर्यटन के मामले में जम्मू कश्मीर में भी हवाई यात्रियों की इसी तरह की शिकायतें सामने आयीं। समिति ने पर्यटन के मामले में लद्दाख क्षेत्र की अनदेखी किये जाने पर चिंता व्यक्त की है। समिति ने पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर देते हुये कहा कि सरकार अगर पर्यटन योजनाओं में सिर्फ विज्ञापन पर ही खर्च करेगी तो वांछित परिणाम हासिल नहीं होंगे। विज्ञापन जरूरी है लेकिन सिर्फ विज्ञापन पर ही खर्च करना अनुचित है।
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