'चांदनी' रात की तरह रोशन होगा हुमायूं के मकबरे का गुम्बद, लगाई गई हैं खास LED लाइट्स
नई दिल्ली। मुगल वंश के दूसरे शासक हुमायूं के मकबरे का गुंबद अब रात में भी 'चांदनी' रात जैसा रौशन नजर आएगा। दरअसल इस मकबरे का गुंबद सफेद संगमरमर का बना हुआ है, ऐसे में ये रात में और चमकता नजर आए इसके लिए खास एलईडी लाइट्स लगाई गई हैं। इन एलईडी लाइट्स से जहां बिजली की बचत होगी, वहीं हुमायूं के मकबरे का गुंबद हर रोज उसी तरह उजला अनुभव देगा, जैसा चांदनी रात में चमकदार नजर आता है।
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रोज रात में चमकता नजर आएगा हुमायूं के मकबरे का गुंबद
हुमायूं के मकबरे की खूबसूरती को उभारने के लिए एलईडी लाइट्स को इस अंदाज में लगाया गया है जिससे उसकी रोशनी नीचे से ऊपर की ओर ऊपर की ओर हो। इसे लगाने के दौरान इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि जैसे चांद की रोशनी ये स्मारक नजर आता है, कुछ वैसा ही अनुभव नई लाइट्स लगने के बाद भी लोगों को होगा। नई लाइट्स की वजह से करीब 90 फीसदी एनर्जी की बचत होगी।
लाइट्स लगाने में लगा 3 महीने से ज्यादा का वक्त
आगा खां ट्रस्ट फॉर कल्चर के रतीश नंदा ने बताया कि हुमायूं के मकबरे की लाइटिंग में 3 महीने से ज्यादा वक्त लगा है। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि लाइट्स को इस तरह से लगाया जाए जिससे इसकी चमक साफ तौर से नजर आए। उन्होंने बताया कि हुमायूं के मकबरे का गुंबद आसपास के कई इलाकों से नजर आता है। पूर्व की ओर निजामुद्दीन ब्रिज से, बारापुला एलिवेटेड रोड से, उत्तर में जाकिर हुसैन मार्ग फ्लाईओवर से और दक्षिण में लोधी रोड फ्लाइओवर से ये गुंबद पहले से ज्यादा चमकदार और उजला नजर आएगा।
यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में है ये स्मारक
हुमायूं का मकबरा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से संरक्षित इमारत है। साथ ही यह यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में भी शामिल है। इसकी मरम्मत का काम 2013 में पूरा हुआ था। हुमायूं के मकबरे का निर्माण उनकी पहली पत्नी हाजी बेगम ने करवाया था। यह सन् 1572 में बनकर तैयार हुआ था।
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