जहां अमित शाह-नीतीश ने की थी साझा रैली, वहां दोनों ने मिलकर जुटाए सबसे कम वोट
नई दिल्ली- दो फरवरी को नीतीश कुमार और अमित शाह ने पहली बार साझा चुनावी रैली की थी। ये रैली दिल्ली की बुराड़ी विधानसभा सीट पर दो फरवरी को हुई थी। इस बार के चुनाव में हर हाल में जीत के लिए भाजपा ने बिहार में अपने सहयोगियों जेडीयू और एलजेपी के लिए भी तीन सीटें छोड़ी थीं। बुराड़ी सीट, जेडीयू को तालमेल के तहत दी गई दो में से एक महत्वपूर्ण सीट थी। लेकिन, यहां जेडीयू के उम्मीदवार को कुल डाले गए वोट का एक-चौथाई वोट भी नहीं मिल पाया। इसका नताजी ये हुआ कि 2015 के चुनाव की जीत से भी बड़े अंतर से आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार जीत गया। इस सीट पर आम आदमी पार्टी की जीत दिल्ली की सबसे बड़ी जीत साबित हुई है।
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बुराड़ी सीट पर 'आप' की रिकॉर्ड जीत
वैसे दो दिल्ली की 90 फीसदी सीटों पर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भाजपा और उसकी सहयोगियों को बुरी तरह धो डाला है। लेकिन, बुराड़ी विधानसभा सीट पर उसकी जीत बहुत ही बड़ी है। यहां कुल 2,22,256 वोट पड़े हैं, जिनमें से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव झा को ही अकेले 1,39,368 वोट मिले हैं। इस सीट पर झा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी जदयू के उम्मीदवार को रिकॉर्ड 88,427 वोटों से हराया है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की जीत का अंतर दिल्ली की सभी 70 सीटों में सबसे ज्यादा है। बुराड़ी में आप के उम्मीदवार को कुल 62.81 फीसदी वोट हासिल हुए हैं।
नीतीश-शाह ने बुराड़ी में ही की थी साझा रैली
भाजपा और उसकी सहयोगी जदयू के लिए यह हार सबसे बड़ी हार साबित हो रही है, क्योंकि यहां जनता दल यूनाइटेड के प्रत्याशी शैलेंद्र को कुमार को 2,22,256 वोटों में से सिर्फ 50,941 वोट ही मिले हैं। दोनों दलों के लिए इससे ज्यादा फजीहत की बात और क्या हो सकती है कि इसी सीट पर पहली बार पिछले 2 फरवरी को बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह और बिहार के सीएम और जेडीयू अध्यक्ष ने चुनावी मंच साझा किया था। दोनों दिग्गजों की साझा रैली के बावजूद एनडीए उम्मीदवार कुल पड़े वोट का एक-चौथाई वोट भी नहीं जुटा सका। इस सीट पर जेडीयू प्रत्याशी को सिर्फ 23.14 फीसदी वोट मिले हैं।
बीजेपी कार्यकर्ताओं में थी मायूसी
दरअसल, जनवरी महीने तक बुराड़ी सीट पर बीजेपी के गोपाल झा की दावेदारी मानी जा रही थी। लेकिन, जेडीयू को अपने पाले में करने के लिए बीजेपी ने ये सीट उसे दे दी थी। माना जा रहा है कि इसकी वजह से भाजपा के कार्यकर्ता उस उत्साह के साथ जदयू प्रत्याशी के लिए काम नहीं कर सके। जबकि, यहां जदयू के मुकाबले भाजपा का संगठन कहीं ज्यादा मजबूत है। गोपाल झा, 2015 के चुनाव में भी बीजेपी के उम्मीदवार थे, हालांकि तब भी यह सीट आम आदमी पार्टी ही जीती थी। लेकिन, इस बार गोपाल झा कुछ कोशिश करते इससे पहले पार्टी ने ही उनका पत्ता काट दिया था। 2015 में इस सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की जीत का अंतर 67,950 वोट था, लेकिन इस बार वह 88,427 वोटों से जीते हैं।
बुराड़ी सीट पर शिवसेना ने भी ठोकी ताल
बीजेपी-जेडीयू के लिए बुराड़ी सीट एक और मायने में भी किसी बड़े झटके से कम नहीं है, क्योंकि यहां शिवसेना के उम्मीदवार ने भी 8.12 फीसदी वोट हासिल करके तीसरे स्थान पर जगह बनाई है। महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार धरम वीर को इस सीट पर उम्मीद से कहीं ज्यादा 18,022 वोट हासिल हुए हैं। उम्मीद से ज्यादा इसलिए, क्योंकि दिल्ली की राजनीति में शिवसेना का कोई सियासी वजूद कभी नजर नहीं आया।
राजद की जमानत भी नहीं बची
वैसे नीतीश और शाह यह सोचकर दिल को तसल्ली दे सकते हैं कि बुराड़ी विधानसभा सीट पर बीजेपी-जेडीयू की सियासी विरोधी आरजेडी के उम्मीदवार की जमानत भी नहीं बच पाई है। इस सीट पर आरजेडी, कांग्रेस के साथ गठबंधन के तहत मैदान में थी, लेकिन उसके प्रत्याशी प्रमोद त्यागी बहुत मुश्किल से 2262 वोट ही जुटा सके। त्यागी को महज 1.02 फीसदी ही वोट मिल पाए।