Delhi Violence: जब नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से पुलिस कंट्रोल रूम में हर मिनट आए 4 इमरजेंसी कॉल
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली ( नॉर्थ ईस्ट दिल्ली) में तीन दिन से जारी हिंसा अब काबू में है। हालांकि लोगों के अंदर डर का माहौल अभी भी है। हिंसा में मरने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इसी बीच धीरे-धीरे कुछ रिपोर्टस सामने आ रहे हैं जो ये बताने के लिए काफी हैं कि लोगों के बीच दहशत कैसी थी। सोमवार की शाम जब हिंसा भड़की तो दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में हर मिनट में लगभग 4 कॉल आए। ये सभी कॉल अपने-अपने इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा की रिर्पोट करने और मदद के लिए किए गए थे।
आपको बता दें कि सोमवार की रात से उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्सों में सीएए के पक्ष वाले समूह और इसके विरोध वाले समूह के बीच हिंसक झड़प शुरू हुई थी जिसमें अबतक कुल 34 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें अबतक 400 लोग घायल हो चुके हैं। पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को उत्तर-पूर्व जिले से 3,300 इमरजेंसी कॉल किए गए थे, और मंगलवार को कम से कम 7,520 कॉल किए गए थे। अधिकांश कॉलें हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, मारपीट और पथराव की घटनाएं की सूचना देने और मदद के लिए की गई थी।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि दो दिनों में कॉलों की संख्या - लगभग 10,820, या हर दिन औसतन 5,410, हर घंटे 225 और लगभग हर मिनट चार कॉल थी। आपको बता दें कि उत्तर-पूर्वी जिला, जो जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांद बाग, बृजपुरी और गोकलपुरी जैसे क्षेत्रों को कवर करता है, में सोमवार और मंगलवार को तीन दशकों में सबसे ज्यादा सांप्रदायिक दंगे हुए हैं। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि "हमारा नियंत्रण कक्ष युद्ध स्तर पर कार्यात्मक था। उत्तर-पूर्व जिले से हमें मंगलवार को जितने फोन आए, वे किसी भी दिन दिल्ली से हमें मिलने वाली कॉलों की संख्या से दोगुने थे। हमें याद है कि पिछली बार ऐसा नहीं हुआ था।
टकराव शनिवार को हुआ, रविवार को पहली बार हिंसा भड़की
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में टकराव की शुरुआत शनिवार शाम को हुई थी, जब जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे की सड़क पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जुटने लगे। इनमें ज्यादातर महिलाएं थीं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि शाहीन बाग की तरह हम यहां से भी नहीं हटने वाले। लेकिन पुलिस वहां से तिरपाल और तख्त उठाकर ले गई थी। पूर्वी दिल्ली के मौजपुर में भी प्रदर्शनकारियों ने एक सड़क बंद कर रखी थी। रविवार को यहां पहली बार हिंसा भड़की। विवाद तब शुरू हुआ, जब भाजपा नेता कपिल मिश्रा अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे और सड़क खुलवाने की मांग काे लेकर सड़क पर बैठकर हनुमान चालीसा पढ़ने लगे।