जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर बोलीं DCW चीफ, सिस्टम में ईमानदारी की कोई जगह नहीं
नई दिल्ली। दिल्ली हिंसा की सुनवाई करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर का बीती रात तबादला कर दिया गया है। उनके तबादले के बाद दिल्ली महिला आयोग की मुखिया स्वाति मालीवाल ने सिस्टम पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि सिस्टम में ईमानदारी की कोई जगह ही नहीं बची है। बता दें कि दिल्ली हिंसा में अभी तक 28 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि तकरीबन 200 लोग इस हिंसा में घायल हो चुके हैं। दिल्ली के बिगड़ते हालात को देखते हुए एनएसए अजित डोवाल ने हालात का जायजा लिया।
ईमानदारी की जगह नहीं
जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला किए जाने पर स्वाति मालीवाल ने ट्वीट करके लिखा, आज केंद्र के मंत्री नेताओं के दिल्ली दंगो को भड़काने के चलते उनपे FIR का ऑर्डर करनेवाले जज मुरलीधरन जी को रातों रात पंजाब तबादला कर दिया गया। अभी तक भड़काऊ भाषण देने वाले नेता को तो सज़ा न मिली, वो चैन की नींद सो रहे हैं। पर जज ही हटा दिए गए। सिस्टम में ईमानदारी की कोई जगह है? इस ट्वीट में उन्होंने जस्टिस मुरलीधर का तबादला पत्र को भी साझा किया है।
पंजाब और हरियाणा कोर्ट में हुआ तबादला
गौरतलब है कि जस्टिस एस मुरलीधर का केंद्र सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में तबादला कर दिया। इस बाबत सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की गई। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने 12 फरवरी को उनके तबादले की सिफारिश की थी। जिसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सीजीआई बोबडे की सलाह पर जस्टिस एस मुरलीधर को हस्तांतरित कर दिया। बता दें कि जस्टिस मुरलीधर दिल्ली हाई कोर्ट के तीसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं। अहम बात है कि जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपने अंतिम कार्यदिवस में दिल्ली के दंगों पर अहम निर्देश पारित किया था।
आधी रात को की थी सुनवाई
दिल्ली में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान घायलों की सुरक्षा और उनके बेहतर इलाज के लिए जस्टिस मुरलीधर ने आधी रात को कोर्ट में सुनवाई की थी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वह मुस्तफाबाद के एक अस्पताल से एंबुलेंस जाने के लिए सुरक्षित रास्ता दे और मरीजों को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराएं। गौरतलब है कि जस्टिस मुरलीधर ने सितंबर 1984 में चेन्नई में अपनी प्रैक्टिस शुरू की थी, जिसके बाद वह 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में उनका स्थानांतरण कर दिया गया। वर्ष 2006 में दिल्ली हाई कोर्ट का उन्हें जज नियुक्त किया गया था।