दिल्ली हिंसा का खौफनाक मंजर: आईडी कार्ड देखकर लोगों को मार रहे थे उपद्रवी, खड़ी देख रही थी पुलिस
नई दिल्ली। देश की राजधानी में पिछले दो दशक में शायद ही कभी इस तरह की घटना सामने आई हो जब एक साथ इतने बड़े इलाके में हिंसा फैली हो और 17 लोगों की मौत हो गई हो। पिछले तीन दिनों से उत्तर पूर्व दिल्ली में हिंसा भड़की हुई है, जिसमे अभी तक 17 लोगों की जान जा चुकी है और 100 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। मंगलवार को उपद्रवी हाथ में डंडे, रॉड लेकर लोगों को पीटते नजर आए। ये लोग मुस्लिम लोगों की दुकान और घर में आग लगा रहे थे। जब दिल्ली की सड़कों पर यह सब हो रहा था पुलिस महज मूक दर्शक बनी हुई थी। दिल्ली के लोगों को दिल्ली पुलिस की जब सबसे ज्यादा जरूरत थी, उस वक्त दिल्ली पुलिस उनकी रक्षा के लिए सामने नहीं आई।
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पुलिस बनी रही मूकदर्शक
मंगलवार को कई युवक खून से लथपथ होकर अस्पताल पहुंचे, इसमे से कई लोगों को बुरी तरह से पीटा गया था। हिंसा प्रभावित इलाको मे रैपिड एक्शन फोर्स, सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स की टीम दोपहर 3 बजे पहुंची। लेकिन सुरक्षाबलों को उपद्रवियों ने लाठी-डंडों और पत्थर से पीछे ढकेल दिया। देर रात तक हालात काफी तनावपूर्ण थे। हिंसा प्रभावित इलाकों से आपात सेवा के लिए कई मैसेज भेजे गए। उपद्रवी लोगों के घर में जबरन घुसकर उनके साथ मारपीट कर रहे थे। अहम बात यह है कि पुलिस के सामने उपद्रवी उत्पात मचाते रहे और पुलिस लाचार होकर मूक दर्शक बनी रही।
हम तैयार होकर आए हैं
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार मंगलवार सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक मौजपुर, बाबरपुर, कबीरनगर, वेस्ट ज्योति नगर, गोकुलपुरी में उपद्रवी कानून हाथ में लेकर सड़क पर उत्पात मचाते रहे। ये लोग हाथ में लोहे की रॉड और पत्थर लेकर सड़क पर घूम रहे थे। वृंदावन के एक 21 वर्षीय पुजारी ने बताया कि हम बीती रात की गलती को दोहरा नहीं सकते हैं। हम रात में सो नहीं सके। ये लोग हमारे घरों में पत्थर फेंकते रहे इसलिए हम अब तैयार होकर आए हैं ताकि खुद की सुरक्षा कर सके। अहम बात ये है कि ये लोग पुलिस की नजरों के सामने हाथ में पत्थर और लाठी लेकर सड़क पर घूम रहे थे।
हमारे घरों में करते रहे पत्थरबाजी
सुबह 11.45 बजे छज्जूपुर-कबीर नगर रोड पर 6 पुलिसकर्मी खड़े होकर इन सैकड़ों उपद्रवी जिनके हाथ में पत्थर, लाठी आदि थे और उन्होंने अपने मुंह बांध रखे थे ये लोग नारेबाजी करते हुए मोटरसाइकिल से जा रहे थे। जब ये लोग सनातन धर्म मंदिर के पास इकट्ठा हुए तो उसमे से एक व्यक्ति ने कहा कि तीन दिनों तक ये लोग हमारे घरों में पत्थर फेंकते रहे, हमपर हमले किए, हमारी गाड़ियां फूंक दीं। आखिर हम कबतक शांत रहेंगे। इसलिए अब हम बाहर आए हैं, हम रात को सो नहीं सके।
हाथ में लाठी-डंडे
मौजपुर चौक से जीटीबी अस्पताल के बीच छोटे-छोटे गुट में युवक गुट बनाकर खड़े थे, इन लोगों के हाथ में लाठी-डंडे, पत्थर थे, इसमे से एक युवक ने बताया हमे तैयार रहने की जरूरत है। हममे से हर कोई घर से ये सब लेकर नहीं आया है, जिसे जो मिला वो लेकर आ गया है। यहां हाल ही में एक दुकान का दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने उद्घाटन किया था। यहां उद्घाटन के बोर्ड को लड़कों ने तोड़ा और उसमे लगे रॉड को ले लिया और सीसीटीवी कैमरे को तोड़ दिया। जिसके बाद एक युवक ने हंसते हुए कहा मिल गया।
खुलेआम मारपीट
दोपहर 1.30 बजे मौजपुर चौक से दुर्गापुरी चौक जाने वाले रास्ते पर लोगों ने बाइक सवार दो मुस्लिम युवकों को रोक लिया और उनके साथ मारपीट करने लगे। लेकिन वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़कर इन लोगों को तितर बितर किया। लेकिन कुछ ही देर बात ये लोग फिर से इकट्ठा हो गए। बता दें कि दंगा प्रभावित इलाकों में धारा 144 को लागू कर दिया गया है, लेकिन छज्जूपुर में सिर्फ 20 पुलिसकर्मी तैनात थे और ये लोग इन उपद्रवियों को सड़क पर घूमते देख रहे थे। ये लोग पुलिस के सामने से लाठी-डंडे लहराते हुए निकल रहे थे, लेकिन पुलिस सिर्फ दर्शक बनी रही।
पहचान पत्र की जांच कर रहे थे उपद्रवी
दिल्ली की सड़कों पर घूम रहे ये नकाबपोश उपद्रवी लोगों के पहचान पत्र चेक कर रहे थे। दोपहर तकरीबन 2 बजे मौजपुर चौक के पास जहां पर दिल्ली पुलिसकर्मियों की संख्या अधिक थी वहां पर तेज आवाज आने लगी, उपद्रवियों ने युवकों के साथ मारपीट शुरू कर दी। हालांकि पुलिस बचाव के लिए आगे आई, लेकिन तबतक उपद्रवियों ने युवकों की बुरी तरह से पिटाई कर दी थी। इसमे से एक युवक ने कहा कि ये तो बच गया होगा, दो और को तो बहुत बुरा मारा है। ये लोग हमपर हमले कर रहे थे। अगर ये हमारे लोगों को मारेंगे तो हम इन्हें मारेंगे।