दिल्ली हिंसा: पुलिस ने ताहिर हुसैन की लाइसेंसी बंदूक और कारतूसों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा
नई दिल्ली। दिल्ली हिंसा के दौरान आईबी अधिकारी अंकित शुक्ला की हत्या के आरोपी आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन की लाइसेंसी पिस्टल और कारतूसों को पुलिस ने जब्त कर लिया है। दिल्ली पुलिस की सुत्रों के मुताबिक पिस्टल को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया जिससे यह पता लगाया जा सके कि इस पिस्टल से फायर हुआ है या नहीं। पुलिस ने ताहिर हुसैन का मोबाइल भी बरामद कर लिया है।
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आपको बता दें कि ताहिर हुसैन पर एसआईटी का शिकंजा कसता जा रहा है। सात दिन की पुलिस रिमांड पर चल रहे ताहिर हुसैन की घटना वाले दिन की कुंडली खंगालने पर शुक्रवार को मामले की जांच कर रही एसआईटी को काफी कुछ जानकारियां हासिल हुई हैं। दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के एक सूत्र के अनुसार, 'घटना वाले दिन ताहिर हुसैन ने सबसे ज्यादा और लगातार जिन लोगों के साथ बात की थी, एसआईटी ने शुक्रवार को उन 15 लोगों की पहचान कर ली। यह बातचीत मोबाइल के जरिए हुई। ताहिर ने इन सबसे उसी दिन इतनी ज्यादा देर तक क्यों और क्या लंबी बातचीत की? इसका खुलासा नहीं हो सका है।'
वकील ने कोर्ट में कहा- ताहिर की जान को खतरा
ताहिर हुसैन की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता मुकेश कालिया ने कहा कि याची की जान को खतरा है, इसलिए कड़कड़डूमा कोर्ट में आत्मसमर्पण की अर्जी दायर नहीं की गई। वहां का माहौल ठीक नहीं है और याची को बहुत खतरा है। पुलिस ने ताहिर के खिलाफ जो भी केस दर्ज किए हैं, उनमें कोई भूमिका नहीं है। कालिया ने कहा कि सभी केस में ताहिर को गलत फंसाया गया है। इसलिए मौजूदा हालात को देखते हुए वह आत्मसमर्पण करना चाहता है।
इस पर अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहुजा ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी अदालतों का अधिकार क्षेत्र तय किया हुआ है। वैसे भी यह अदालत सिर्फ सांसदों और विधायकों से संबंधित केस सुनने के लिए है, जिसे हाई कोर्ट ने विशेष अदालत का दर्जा दिया हुआ है। ऐसे में यह अदालत इस अर्जी पर कोई राहत नहीं दे सकती। क्योंकि याची न तो सांसद है और न ही विधायक। इसलिए अर्जी को खारिज किया जाता है।