क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

नताशा, देवांगना, आसिफ़ जेल से रिहा: अब तक क्या-क्या हुआ?

बीते साल दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में जेल में बंद तीनों कार्यकर्ता ज़मानत मिलने के बाद तिहाड़ जेल से रिहा. जानिए पूरा मामला विस्तार से.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
नताशा नरवाल
Getty Images
नताशा नरवाल

दिल्ली हाई कोर्ट से 15 जून को ज़मानत मिलने और फिर दो दिन खींचतान चलने के बाद आख़िरकार स्टूडेंट ऐक्टिविस्ट नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ़ इक़बाल तन्हा को जेल से रिहा कर दिया गया है.

दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी रिहाई में आ रही अड़चनों की वजह से मामला कड़कड़डूमा की अदालत में पहुंचा था, जहां 17 जून को इन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया गया था.

हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद रिहा नहीं किए जाने के पीछे पुलिस ने अभियुक्तों के घरों का वेरिफ़िकेशन न होने की बात कही थी.

दिल्ली पुलिस ने इन स्टूडेंट ऐक्टिविस्ट की ज़मानत के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है.

दिल्ली जेल के डायरेक्टर जनरल संदीप गोयल ने तीनों की रिहाई की पुष्टि की है. जेल के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, "नताशा और देवांगना को शाम सात बजे रिहा किया गया जबकि तन्हा की रिहाई शाम साढ़े सात बजे के क़रीब हुई."

दिल्ली के एक विरोध प्रदर्शन की तस्वीर
MONEY SHARMA/AFP VIA GETTY IMAGES
दिल्ली के एक विरोध प्रदर्शन की तस्वीर

कौन हैं ये तीनों स्टूडेंट ऐक्टिविस्ट्स?

नताशा नरवाल और देवांगना कलिता दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्राएं हैं और 'पिंजरा तोड़' संगठन की संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं.

'पिंजरा तोड़' दिल्ली के कॉलेजों की छात्राओं का एक समूह है, जो लड़कियों के प्रति सामाजिक ग़ैर-बराबरी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाता रहा है. इसकी शुरुआत 2015 में कैंपस में लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव का विरोध करने से हुई थी.

आसिफ़ इक़बाल तन्हा फ़ारसी भाषा के छात्र हैं.

ये तीनों ही साल 2020 में दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए विरोध-प्रदर्शनों में मुखर रहे थे. इन्हीं प्रदर्शनों के बाद हुए दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में इन तीनों को अभियुक्त बनाया गया है.

छात्रों का विरोध प्रदर्शन
Reuters
छात्रों का विरोध प्रदर्शन

कब और क्यों हुई थी गिरफ़्तारी?

इस पड़ताल के मुताबिक़ नताशा और देवांगना को 23 मई 2020 को एफ़आईआर-48 के तहत गिरफ़्तार किया गया था. उन पर जाफ़राबाद मेट्रो स्टेशन पर हिंसा से एक दिन पहले सीएए विरोधी प्रदर्शन का आयोजन करने का इल्ज़ाम लगा.

हालांकि, अगले ही दिन 24 मई को मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट अजीत नारायण ने इस केस में दोनों को ये कहते हुए ज़मानत दी कि "अभियुक्त सिर्फ़ एनआरसी और सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही थीं और ऐसा करना इस आरोप को साबित नहीं करता कि वो किसी हिंसा में शामिल थीं."

लेकिन, नताशा और देवांगना को ज़मानत मिलने के कुछ ही देर बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें दंगे से जुड़े कत्ल के एक अन्य मामले में, एफ़आईआर-50 में गिरफ़्तार कर लिया.

पुलिस ने अपनी चार्ज़शीट में कहा है कि दोनों ही लड़कियां दिल्ली दंगों की साज़िश रचने में शामिल हैं. इस मामले में एक व्हाट्सएप मैसेज को आधार बनाया गया है, जिसका शीर्षक है, 'दंगे के हालात में घर की औरतें क्या करें.'

पुलिस ने कहा कि मामला कत्ल का है और पूछताछ ज़रूरी है. फिर कोर्ट ने दोनों लड़कियों को दो दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया.

आसिफ़ को 17 मई, 2020 को जामिया नगर थाने में 16 दिसंबर, 2019 को दर्ज कराई गई एफ़आईआर-298 में गिरफ़्तार किया गया. ये मामला 15 दिसंबर 2019 को जामिया विश्वविद्यालय इलाक़े में पुलिस और सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच हुई झड़प से जुड़ा था.

20 मई को उनका नाम एफ़आईआर-59 में जोड़ा गया यानी तीन दिन पहले किसी अन्य मामले में गिरफ़्तारी और तीन दिन बाद यूएपीए वाले केस में नाम शामिल हो गया.

28 मई 2020 को FIR-298 में आसिफ़ को सेशन जज गौरव राव ने ज़मानत दे दी, लेकिन उनकी रिहाई नहीं हो सकी, क्योंकि तब तक उनका नाम FIR-59 में भी शामिल हो चुका था.

एफ़आईआर-59 मामले में जब सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने आसिफ़ इक़बाल तन्हा की न्यायिक हिरासत 25 जून 2020 तक बढ़ाई थी, तो उन्होंने कोर्ट में कहा था, "ऐसा लगता है कि जांच एक ही दिशा में की जा रही है. जांच अधिकारी ये ठीक-ठीक नहीं बता पाए हैं कि आखिर क्या जांच की गई है जिससे इनकी संलिप्तता को साबित किया जा सके".

29 मई, 2020 को नताशा नरवाल को एफ़आईआर-59 में गिरफ़्तार कर लिया गया, यानी उन पर यूएपीए की धाराएं लग गईं. 5 जून को स्पेशल सेल ने देवांगना का नाम भी एफ़आईआर-59 में दर्ज करके उन्हें इसके तहत गिरफ़्तार कर लिया.

इस तरह इन सभी अभियुक्तों की शुरुआती गिरफ़्तारी अलग-अलग मामलों में की गई लेकिन अब ये सभी एफ़आईआर-59 का हिस्सा हैं और महीनों जेल में रहे हैं.

यूएपीए ऐक्ट
FAISAL KHAN/NURPHOTO VIA GETTY IMAGES
यूएपीए ऐक्ट

यूएपीए की इतनी चर्चा क्यों हो रही है?

यूएपीए यानी अनलॉफ़ुल एक्टिविटी प्रिवेंशन ऐक्ट. इसका इस्तेमाल आमतौर पर आतंकवाद के संदिग्ध लोगों को लंबे समय तक बिना ज़मानत के जेल में रखने के लिए किया जाता है.

आमतौर पर 90 दिनों तक अगर जांच अधिकारी चार्जशीट दायर न कर सके, तो मामले में अभियुक्त को ख़ुद-ब-ख़ुद ज़मानत मिल जाती है. चूंकि यूएपीए जांच एजेंसी को अतिरिक्त शक्तियां देता है. ऐसे में जांच अधिकारी 180 दिनों तक का वक़्त कोर्ट से मांग सकता है.

सुप्रीम कोर्ट के वकील उर्वी मोहन बीबीसी से बातचीत में कहते हैं, "एक फ़ेसबुक पोस्ट लिखने से लेकर पर्यावरण या कृषि से जुड़े प्रस्तावित क़ानूनों का विरोध करने तक की वजह से लोगों पर यूएपीए के तहत केस दर्ज किए गए हैं. ऐसी स्थिति में यूएपीए जैसे गंभीर क़ानून के तहत केस दर्ज होते ही पूरा मामला सरकार बनाम एक अकेले शख़्स का हो जाता है. यूएपीए के प्रावधान ऐसे हैं कि ये सरकार और सरकारी एजेंसियों को तो बहुत ताक़त देते हैं लेकिन अभियुक्त को बेहद कमज़ोर और बेबस बना देते हैं."

फ़रवरी, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यूएपीए के मामलों में भी अगर मूल अधिकारों का हनन हो रहा है तो अभियुक्त को ज़मानत मिलनी चाहिए.

यह भी पढ़ें: एक MEME पर लोगों को जेल क्यों हो जाती है?

संसद
RAJ K RAJ/HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGES
संसद

ऐक्टिविस्ट्स की ज़मानत का प्रकरण

15 जून, 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने तीनों ऐक्टिविस्ट्स को ज़मानत देते हुए यूएपीए के दुरुपयोग पर चिंता जताई.

कोर्ट ने सरकारों से कहा, "किसी पर भी आतंकवादी का ठप्पा लगाने से पहले गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए. हमें ये कहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है कि ऐसा लगता है कि असहमति को दबाने की बेचैनी में सरकार के ज़हन में संविधान से सुनिश्चित विरोध प्रदर्शन के अधिकार और आतंकी गतिविधियों के बीच की रेखा धुंधली सी हो रही है. अगर ऐसी धारणा मज़बूत हुई, तो ये लोकतंत्र के लिए दु:खद होगा."

न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने यह कहते हुए तीनों छात्रों को ज़मानत दे दी कि 'इनके ऊपर लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया यूएपीए की धारा 15 (आपराधिक कृत्य), धारा 17 (आपराधिक गतिविधि के लिए फंड जुटाने की सज़ा) और धारा 18 (साज़िश रचने की सज़ा) के अनुरूप नहीं हैं.'

हालांकि, दिल्ली पुलिस को दिल्ली हाईकोर्ट की ये टिप्पणी रास नहीं आई और पुलिस ने कोर्ट के आदेश को 'सोशल मीडिया नैरेटिव के आधार पर दी गई ज़मानत' बताया.

16 जून, 2021 को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें पुलिस ने कहा, "दिल्ली हाईकोर्ट अभियुक्तों को ज़मानत देते वक़्त एनआईए बनाम ज़हूर अहमद शाह वटाली केस में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला समझने में नाकाम रहा. दिल्ली हाईकोर्ट ने न केवल केस का मिनी ट्रायल किया बल्कि ऐसे नतीजे पर पहुंचा, जो रिकॉर्ड में आई चीज़ों और मुक़द्दमे की सुनवाई के दौरान पेश की गईं दलीलों के उलट है."

दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट के फ़ैसले को 'पूर्वाग्रह से ग्रसित' बताया.

देवांगना कलिता
BBC/FACEBOOK PINJRATOD
देवांगना कलिता

हाईकोर्ट का आदेश मनवाने सेशन कोर्ट पहुंचे

दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश 15 जून को जारी हुआ था, जिसके मुताबिक़ तीनों अभियुक्तों को 16 जून की दोपहर तक रिहा कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन इस वक़्त तक रिहा न किए जाने पर अभियुक्तों के वकील दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट पहुंचे. कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगला दिन मुकर्रर किया.

17 जून को कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंदर बेदी ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ़ इक़बाल तन्हा को तत्काल रिहा किया जाए.

जस्टिस बेदी ने दिल्ली पुलिस की वो याचिका ख़ारिज कर दी, जिसमें रिहाई में तीन दिन का समय और देने की मांग की गई थी क्योंकि पुलिस अभियुक्तों के स्थायी पते की पुष्टि नहीं कर पा रही थी.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "बेल के बाद भी जेल में रहने देने का ये कोई स्वीकार्य तर्क नहीं है."

यूएपीए ऐक्ट
K ASIF/THE INDIA TODAY GROUP VIA GETTY IMAGES
यूएपीए ऐक्ट

सुप्रीम कोर्ट में क्या सुनवाई होगी?

दो दिन की खींचतान के बाद आख़िरकार तीनों अभियुक्त 17 जून की शाम जेल से रिहा कर दिए गए.

दिल्ली पुलिस ने अभियुक्तों की ज़मानत के ख़िलाफ़ जो याचिका दायर की है, उस पर 18 जून को सुनवाई होगी.

जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन की बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
delhi violence court Natasha, Devangana, Asif released from jail
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X